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2 Feb 2024 · 1 min read

जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑

जमाने के रंगों में मै ढ़लने लगा हूॅ॑
ना चाहकर भी खुद को बदलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में…………
हकीकत समझ आ रही जिंदगी की
सपनों से भी आगे मैं निकलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में………….
देखा करता था कभी ख्वाब सुनहरे
मगर आज सच्च को समझने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में………….
मुझको शिकायत किसी से नहीं है
मैं खुद की ज्वाला में ही जलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में…………..
करता अम्ल था हर एक बात पर मैं
मगर आज शब्दों को निगलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में……………
‘V9द’ मुझको अब ये तूॅ॑ ही बता दे
मैं गिरने लगा हूं कि सम्भलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में……………

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