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16 May 2024 · 1 min read

तेरा ही आभाव हैं

जीवन के दर्पण में खुद का ही गुणगान हैं
संताप की धरती में अनेकों बलिदान हैं
रहस्य की दुनिया में रहस्य-मयी घाव हैं
तूफान के आगोश में डूबने को नाव हैं
हदय पर लगे चोट का अनेको प्रभाव हैं
कठिन ए डगर में तेरा ही अभाव हैं

मूलतः विनाश में आक्रोश का साथ हैं
विकास की नैया तो घातियों के हाथ हैं
मेरा धन-धान्य तो तुझसे मिला ज्ञान हैं
तेरा शब्द भाव ही तो मेरी पहचान हैं
आदर्श के गंगा में लटकाएँ हुए पाव हैं
कठिन ए डगर में तेरा ही अभाव हैं

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