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13 Aug 2021 · 1 min read

मंहगाई

बाजार में आजकल
सबके ऊपर चढ़ गई है।

मंहगाई तेरे नखरे अजीब,
तू मन से उतर गई है।

तुझे छूना कौन चाहे,
अच्छे-अच्छे उडनबाजों के
पर कतर रही है।

मंहगाई तेरे नखरे अजीब,
तू मन से उतर गई है।

बेसहारा बन,
अभाव में रहा,

पालक का कोई
भाव न रहा।

तेरे आगे मुरझा कर
निगहबानी में
आहे भर रही है।

मंहगाई तेरे नखरे अजीब,
तू मन से उतर गई है।
✍️ शिवपूजन यादव’सहज’
ग्राम पोस्ट रामपुरकठरवां लालगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश।

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