समय बदलते सूखी धरती मुस्काती :: जितेंद्र कमल आनंद
मुक्तक ( पोस्ट १२७)
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समय बदलते सूखी धरती मुस्काती ऐसे बाला ।
नयी नवेली ओढ चुनरिया मदमाती जैसे बाला ।
सृष्टि – चक्र का घूर्णन निश्चित सुखद समय भी लाता यों नवल प्रकृति की गोद — मोद में शर्माती जैसे बाला ।।
—– जितेन्द्रकमल आनंद
१-११-१६ — सॉई| विहार| कालोनी
रामपुर — २४४९०१( उ प्र )