मुक्तक ३ और ४ कहीं कोई भटकाव नहीं ( पोस्ट १७)
कहीं कोई भटकाव नहीं
कहीं कोई अलगाव नहीं
किसी पंथ के अनुयायी हों
आपस में टकराव नहीं ।।३।।
आस का, अभिलाष का , विश्वास का हो ।
पल्लवित वट वृक्ष नव उल्लास का हो ।
बैठ जिसकी छॉव में जीवन सँवारें !
हम सभी को प्रत्येक पल मधुमास का हो।।४!!
—- जितेन्द्रकमल आनंद