जय बाला जी: मॉग सिया की सेंदुर पूरित: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट३२)
जयबालाजी:: ताटंक छंद : ३१
मॉग सिया की सेंदुर पूरित ,लख कपि ने भी मल डाला
देखा मॉ ने ,मन में सोचा, सुत कितना भोला- भाला ।
किया ज्ञात जब कारण उनसे , अम्ब आपसे सीखा है।
निहित विपुल कल्याण कंत का , सरल ह्रदय बोले बाला
—- जितेंद्रकमलआनंद