पथरा गई हैं आँखें , दीदार के लिए यूं
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ग़ज़ल
1,,
पथरा गई हैं आँखें , दीदार के लिए यूं ,
इक बार सामने आ, मनुहार के लिए यूं ।
2,,
चाहत में डूब कर हम खोए कहां कहां तक ,
कोई जतन करो तुम , इक़रार के लिए यूं ।
3,,
बीमार दिल शिकायत, क्यूं कर रहा है तुमसे,
आँसू छिपा के रख लो ,उपहार के लिए यूं ।
4,,
इस ज़िंदगी की खातिर , चलते रहेंगे मिल के ,
मुझ से ख़फ़ा न होना , इज़हार के लिए यूं ।
5,,
बहकी हुई फिजाएँ , मदमस्त गुनगुनाएं ,
गुल “नील” खिल रही है, गुलज़ार के लिए यूं ।
✍️नील रूहानी,,, ( नीलोफर खान )