'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
वैश्विक परिवर्तन में मीडिया की भूमिका
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
मायड़ भासा मोवणी, काळजियै री कोर।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कठिन था बहुत कठिन था रुक कर किसी दर पे फ़िर से चलना बहुत कठि
*अपना सरगम दे जाना*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
दिल ना होगा ना मेरी जान मोहब्बत होगी
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
एक नज़्म _ सीने का दर्द मौत के सांचे में ढल गया ,
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
गलत आचारों का जन्म गलत विचारों से होता है।
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '