Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

परिवार

परिवार हैं आसमान,
और
उसमें चलती उलझनें ही
बादल हैं।

इनके बरसने से ,
सरस चल रहा संबंध ,
नीरस और उग्र होकर,
आपसी लंबी टकराहट,
की देती है आहट।

ठीक उसी तरह जैसे,
बरसात में कौंधती है बिजली ,
भीषण -गर्ज के साथ,
और बरसता है आसमान,
अंधेरेपन से लीपे,
फिर भी,
सफेद बूंदों के साथ।

उन बूंदों में होता है ,
अनुताप वैसा,
जैसा द्रव के ,
वाष्पीकरण का,
100 डिग्री का अहसास,
उबाल भरा ।

ये टकराहट दंभ के होते हैं ,
खंभे,
इनसे लंबी – ऊंची ,
इमारतें बनती है,
घमंड की।

जिसकी नींव अनेक मतलबी ,
लबों के लफ्जों से मजबूत है,
अटूट है।
इनमें छुपे होते हैं ,
अरमान अपार।

लेकिन ,
बरसात तो तीन माह,
मेहमान है ,
वार्षिक ताप नियंत्रित करने,
लौट आती है,
उसी समय।

पर सरस चलते रिश्ते ,
बरस – बरस बरसते बूंदों की तरह,
शीतलता नहीं ,
बल्कि ताप ही देते हैं।

ये पल में बिखरे हुए ,
मन के मनके,
दिनों,
सप्ताहों,
महीनों,
और
वर्षों के वर्षों में भी,
जुड़कर,
हर्ष की मिठास को ,
बरसाते नहीं है।

अत: इस असमान,
आसमान परिवार के ,
बदलेपन के बादलों को ,
समय रहते अपने ,
सूझ रुपी वायु से विच्छिन्न कीजिए,
कि देर से सवेरा न हो।।
## समाप्त

1 Like · 189 Views

You may also like these posts

"" *मौन अधर* ""
सुनीलानंद महंत
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
Meenakshi Masoom
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
Neelofar Khan
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
डॉक्टर रागिनी
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
Phool gufran
" तार हूं मैं "
Dr Meenu Poonia
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#भ्रष्टाचार
#भ्रष्टाचार
Rajesh Kumar Kaurav
काश !!..
काश !!..
ओनिका सेतिया 'अनु '
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
Rajesh Tiwari
वक्त गुजर जायेगा
वक्त गुजर जायेगा
Sonu sugandh
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
Shweta Soni
रामसापीर
रामसापीर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
"साहित्य ने"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रश्न मुझसे किसलिए?
प्रश्न मुझसे किसलिए?
Abhishek Soni
मजाक और पैसा काफी सोच
मजाक और पैसा काफी सोच
Ranjeet kumar patre
3331.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3331.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
-गलतिया -
-गलतिया -
bharat gehlot
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
Rj Anand Prajapati
!! दिल के कोने में !!
!! दिल के कोने में !!
Chunnu Lal Gupta
गमों के बीच मुस्कुराने की आदत डालो।
गमों के बीच मुस्कुराने की आदत डालो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
म्हारे हरयाणे की नार
म्हारे हरयाणे की नार
अरविंद भारद्वाज
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
Buddha Prakash
चलो हम सब मतदान करें
चलो हम सब मतदान करें
Sonam Puneet Dubey
*गाफिल स्वामी बंधु हैं, कुंडलिया-मर्मज्ञ (कुंडलिया)*
*गाफिल स्वामी बंधु हैं, कुंडलिया-मर्मज्ञ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तप त्याग समर्पण भाव रखों
तप त्याग समर्पण भाव रखों
Er.Navaneet R Shandily
इंसान को अपनी भाषा में रोना चाहिए, ताकि सामने वालों को हंसने
इंसान को अपनी भाषा में रोना चाहिए, ताकि सामने वालों को हंसने
*प्रणय*
"कोई गुजर गया शायद"
Shakuntla Agarwal
*बिरहा की रात*
*बिरहा की रात*
Pushpraj Anant
Loading...