होलिका दहन

कुण्डलिया
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करो अवगुणों का दहन, आज होलिका संग।
अंत बुराई का सदा, होता है बे रंग।
होता है बे रंग, संग कुछ भी ना जाता।
करते जैसे कर्म, वही सम्मुख है आता।
कहत राज तज दम्भ, हृदय शीतलता भरो।
तज दो कपट विकार, कार्य नित नूतन करो।।
~✒️ राजकुमार पाल (राज)🖋️