Jaikrishan Uniyal Language: Hindi 240 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jaikrishan Uniyal 30 Oct 2021 · 2 min read असहज सवाल! जिन बातों में सहमति नहीं होती, बार बार जब वह सामने आ जाती, दिल चाहता है उनसे ना हो जाए सामना, जिनके जवाब देने में मन हो जाए अनमना, अक्सर... Hindi · कविता 3 4 520 Share Jaikrishan Uniyal 17 Oct 2021 · 2 min read ये वो हैं जो हिसाब मांगते ! वो जिसने मानवता की राह दिखाई, वो जिसने आजादी की चाह जगाई, आज उससे कुछ लोग हिसाब मांगते, पुछ रहे हैं अपना हिन्दुस्तान कहां है? जिसने अपना सब कुछ त्यागा,... Hindi · मुक्तक 2 4 370 Share Jaikrishan Uniyal 30 Aug 2021 · 3 min read अजन्मा है वो,जन्मा है जो! भादों मास की बात थी अष्टमी की रात थी, बरस रहे थे मेघ घनघोर, मथुरा में मच गया था शोर, देवकी नंदन आने को है, आठवीं संतान पाने को है!... Hindi · हाइकु 3 4 716 Share Jaikrishan Uniyal 20 Aug 2021 · 3 min read बात गरीब गुरबों की! अपने देश में गरीबों की संख्या का सटीक आंकड़ा ही नहीं है,बस तुके में कहा जाता है कि देश में बीस बाइस करोड़ लोग गरीब हैं!दो हजार ग्यारह की जनगणना... Hindi · लेख 1 2 1k Share Jaikrishan Uniyal 16 Aug 2021 · 3 min read गुरबत में है निम्न मध्यम वर्ग! कल जब देश में आजादी के पचत्तर साल का उत्सव मनाया जा रहा था,तब निम्न मध्यम वर्ग के नागरिक अपनी रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति के लिए अपनी ध्याडी मजदूरी... Hindi · लेख 512 Share Jaikrishan Uniyal 8 Aug 2021 · 3 min read उलझन में मध्यम वर्ग! आज के परिवेश में जब देश विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है, आर्थिक मंदी, रोजगार की कमी, व्यापार में शिथिलता, महंगाई में वृद्धि ऐसी परिस्थितियां हैं जिनकी सबसे... Hindi · लेख 2 2 352 Share Jaikrishan Uniyal 1 Aug 2021 · 3 min read धारणा बनाता उच्च मध्यम वर्ग! आज कल के परिवेश में जब देश अनेकों प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है ऐसे में सरकार अपने वजूद को बचाने के प्रयास में लगी रहे तो जायज बनता... Hindi · लेख 2 2 823 Share Jaikrishan Uniyal 25 Jul 2021 · 1 min read ये किस्तम नहीं तो और क्या है? जब आर्थिक संकट से यह देश जूझ रहा था, तब हमारे मुखिया को आधुनिक सुविधाओं से लैस वायु यान चाहिए था! सारा जहां जब महामारी से हलकान हुआ जा रहा... Hindi · तेवरी 1 2 495 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jul 2021 · 1 min read कैसा चल रहा आज!देश का ये राज काज!! कैसा चल रहा है आज, देश का ये राज काज, जुटा रहे हैं धन दौलत, छोड़ कर लोक लाज! नित बढ़ रहे हैं दाम, डीजल पेट्रोल पे, माह दो माह... Hindi · तेवरी 3 6 495 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jul 2021 · 1 min read चिंता डायन! जाने कब से आकर मुझमें, रच बस गई ये चिंता डायन, थोड़ी सी भी कोई बात हो जाए, सताने लगती है चिंता डायन! जब तक मैं इससे, ना हुआ था... Hindi · कविता 2 2 485 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jul 2021 · 2 min read एक उम्र के बाद! एक उम्र के बाद, आदमी में, बदलने लगते हैं , विचार, आदतें, तौर-तरीके, उम्मीदें, और, कार्य व्यवहार! एक उम्र के बाद, उम्र की, एक निर्धारित उम्र होती है, यानी समय... Hindi · कविता 3 2 449 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jun 2021 · 2 min read गन्ना ना दे,भेली देंवे! अपने बड़े बुजुर्गो से सुना था, गन्ना ना दें,भेली देंवे! सुन कर बड़ा अजीब लगता था, यह वृद्ध ऐसा क्यों कहता है! यह पहेली अब समझ में आई, जब काम... Hindi · कविता 2 7 371 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jun 2021 · 4 min read गृहस्थ प्रबंधन! पांच जनों का हो परिवार, तो राशन कितना लगता है, एक वक्त के भोजन का, इतना तो प्रबंधन करना पड़ता है, गेहूं चावल मंडवा झंगोरा, आधे सेर का एक कटोरा!... Hindi · कविता 4 4 630 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jun 2021 · 1 min read सकारात्मकता का बोध! आज कल चर्चा में है, सकारात्मक रहना, और नकारात्मकता से दूर रहना, बतलाया जा रहा है। तो बताए देते हैं , हम तो सकारात्मक ही रहे हैं, रहते हैं, और... Hindi · कविता 2 328 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2021 · 1 min read पल भर की खबर नहीं! पल भर की खबर नहीं है, ख्वाब संजोए वर्षों के, झूठी सारी मोह माया है, सपने बुनते हैं अपनों के! कौन साथ में गया है किसके, समय बिताया जिन सबने,... Hindi · कविता 4 6 502 Share Jaikrishan Uniyal 25 May 2021 · 2 min read छलकते आंसू आंखों में क्यों आ जाते हैं आंसू आकर के क्या जतलाते हैं आंसू, चोट लगती है जब शरीर पर, आह उभरती है तब मुख पर, तब निकलने लगते हैं आंसू... Hindi · कविता 2 2 595 Share Jaikrishan Uniyal 23 May 2021 · 2 min read रे मनुवा! क्या लेकर आया है रे, क्या लेकर जाएगा, रे मनुवा एक दिन, सब कुछ यहीं पर छूट जाएगा! नई नई, पहचान लेकर, छोटी सी जान लेकर, मैं यहां पर आया... Hindi · गीत 3 4 530 Share Jaikrishan Uniyal 20 May 2021 · 2 min read हो जाए ना बत्ती गुल! ये ऐसा कैसा समय है आया, हो रही है जब बत्ती गुल, घर पर ऐसे ठिठके हैं, जैसे हम हों बिल्कुल नाकुल (ना काबिल)! कभी बिना काम के भी निकल... Hindi · कविता 3 3 354 Share Jaikrishan Uniyal 18 May 2021 · 2 min read झम झमा झम हुई बरसात! आज रात को जब हुई बरसात, बड़े दिनों के बाद हुई बरसात, खुब जमकर हुई बरसात, झम झमा झम हुई बरसात! गर्मी से जब हम हांफ रहे थे, कुलर पंखे... Hindi · कविता 1 2 705 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2021 · 3 min read निन्यानबे के फेर में! यूं तो घर गृहस्थी को चलाने के फेर में, लग जाते हैं हम अंधेर में! सब ही जुटे पड़े हैं, निन्यानबे के फेर में! मजदूर मजूरी करता है, थोड़ी ही... Hindi · कविता 2 7 412 Share Jaikrishan Uniyal 10 May 2021 · 2 min read चले जाना है इक दिन!! चले जाना है, इक दिन, चले जाना है हम सबको, अपने अपने बुलावे पर, अपने लिए निर्धारित दिन, क्या है यह अपना पराया, यह सब जग की झूठी माया, क्या... Hindi · कविता 3 6 443 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2021 · 2 min read महानगरों का तिलिस्म कहें या चकाचौंध! रोजी-रोटी की भागदौड़ में, गांव के वह दिन, घर खेत खलिहान, हुआ करती थी अपनी पहचान, जब सुविधाओं की चाहत ने, दिया हमें झकझोर, चले आए हम घर बार छोड़,... Hindi · कविता 1 2 410 Share Jaikrishan Uniyal 4 May 2021 · 2 min read एक डोज सच का भी! हम दूसरों के सच बता रहे हैं, अपने सच को छुपा रहे हैं, हां यह सच है गलतियां हुई हैं भारी, पर क्या हमने भी निभाई अपनी जिम्मेदारी, हमने भी... Hindi · कविता 2 12 340 Share Jaikrishan Uniyal 2 May 2021 · 2 min read पक्ष-विपक्ष एवं निष्पक्ष! हमारा रहा है सदा ही एक पक्ष, हम कभी नहीं रहे हैं निष्पक्ष, इसकी शुरुआत अपने घर से ही कर लें, अपने परिवार के किसी भी सदस्य के रूप में,... Hindi · कविता 1 4 461 Share Jaikrishan Uniyal 30 Apr 2021 · 2 min read आपदा को अवसर में बदलने की कला! आपदा को अवसर में बदलने की कला में, महारथ हासिल कर ली है अब मुनाफा बाजों ने, बीमार पर है आपदा, परिवार को सुविधा का अभाव, कालाबाजारी में मिलती है,दवा,... Hindi · कविता 298 Share Jaikrishan Uniyal 27 Apr 2021 · 2 min read मनुष्य का चरित्र: है कितना विचित्र! मनुष्य का चरित्र, है कितना विचित्र, अपना ही देखते हैं फायदा, दूसरे के लिए अलग नियम कायदा, दूसरों से करते हैं ऐसी अपेक्षा, दूसरे की कर लेते हैं उपेक्षा, हमें... Hindi · कविता 1 4 469 Share Jaikrishan Uniyal 25 Apr 2021 · 2 min read ये भेदभाव क्यों हुआ! लोग भेदभाव करते हैं, यह सुना करते थे! कभी कभार देखने को भी मिला, भेदभाव जब किया गया!. इसे करने का उद्देश्य भी रहा, था अपने और पराए का संदेश... Hindi · कविता 2 6 1k Share Jaikrishan Uniyal 24 Apr 2021 · 2 min read वो भी क्या दिन थे! वो भी क्या दिन थे, लगा रहता था घर पर मेहमानों का आना-जाना प्रतिदिन, कब कौन सा मेहमान आ जाए, कब कौन सा चलने को कहे, कौन रुकेगा कितने दिन,... Hindi · कविता 1 6 534 Share Jaikrishan Uniyal 23 Apr 2021 · 2 min read सच कहूं, डर तो लगता है! है मृत्यु निश्चित, यह जानता हूं मैं, पर, मर ना जाऊं ऐसे ही, डरता हूं मैं! डरा रही है यह बिमारी, कह रहे हैं जिसे महामारी, पर, घोषित नहीं कर... Hindi · कविता 2 8 472 Share Jaikrishan Uniyal 20 Apr 2021 · 1 min read माता का दरबार सजा है! माता का दरबार सजा है,जय मां भवानी भक्तों का अंबार लगा है,जय मां भवानी! शैल पुत्री बनकर आई, मां भवानी, ब्रह्मचारिणी रूप धरे है मां भवानी, चन्द्र घंटा बनकर उभरी... Hindi · कविता 1 2 515 Share Jaikrishan Uniyal 18 Apr 2021 · 2 min read लो लौट आया कोरोना ! बीत गया एक साल, बजाते रहे गाल, ताली बजाई, थाली बजाई, दीप जलाए, मोमबत्तियां जलाई, किसी किसी ने टार्च जलाई, कुछ लोगों ने मोबाइल से रोशनी बनाई, हर उपाय वह... Hindi · कविता 2 6 447 Share Jaikrishan Uniyal 29 Mar 2021 · 2 min read योग्यता का भ्रम! ना पालो तुम, यूं योग्यता का भ्रम, नहीं है कोई किसी से कम, पहुंचे हो जहां पर तुम, पहुंच सकते थे वहां पर हम, जिसे तुम अपनी योग्यता बताते हो,... Hindi · कविता 1 6 599 Share Jaikrishan Uniyal 23 Mar 2021 · 3 min read नेतृत्व में नैसर्गिक गुणों की विधा ! हम लोकतंत्र में जीवन जीने वाले हैं लोग, हमारे चुने हुए ही हमारे नेता कहलाते हैं, यह परिक्षा देने आते हैं वह, और जब चुन लिए जाते हैं, तो हमारे... Hindi · कविता 1 8 406 Share Jaikrishan Uniyal 12 Mar 2021 · 2 min read अपना प्यारा देश हमारा!! अपना प्यारा भारत देश, बोली भाषा हैं अनेक, रहन सहन में है अनेकता, खान पान में विविधता, जलवायु नहीं एक समान, कहीं पर बहती शीत लहर है, कहीं पर गर्म... Hindi · कविता 1 311 Share Jaikrishan Uniyal 7 Mar 2021 · 2 min read समय चक्र और जीवन सफर ! माता के गर्भ से, प्रारंभ हो गया, जो जीवन का सफर, और फिर, एक निर्धारित समय पर, आ गये हम धरती मां की गोद पर, तिल तिल कर, कब बड़े... Hindi · कविता 1 4 445 Share Jaikrishan Uniyal 28 Feb 2021 · 3 min read " मैं "के चक्कर में , जब आ गया मैं! जब तक मैं, बिन" मैं "के था, इसका ना कोई अता पता था, अपनी मस्ती में ही खुश था! ना जाने इसने कब आ दबोचा, कभी ना मैंने इस पर... Hindi · कविता 1 6 467 Share Jaikrishan Uniyal 27 Feb 2021 · 1 min read आंदोलन पर प्रश्न नाहक! आंदोलन से कोई यों ही नहीं जुड़ जाता, जब तक जिसके अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा नहीं हो जाता, वह आंदोलन की राह नहीं अपनाता! जब हो जाएं प्रतिकूल परिस्थिति, तब... Hindi · कविता 1 1 266 Share Jaikrishan Uniyal 26 Feb 2021 · 3 min read आंदोलन ! जो जूड़ गया जीवन में!! बांदल नदी पर, इस बार, खनन नहीं, अपितु, हो रहा था, बाढ़ सुरक्षा कार्य, मांग की गई थी, जिसकी, अनेकों बार, खुश थे हम, सुरक्षा के भाव से, बच जाएंगे,... Hindi · कविता 1 319 Share Jaikrishan Uniyal 25 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन मेरी नियति! आंदोलन मेरे भाग्य में, आंदोलन ही मेरी नियति, इसका हुआ आभास मुझे, जब बन गई ये परिस्थिति, बात यह सतान्वे अठ्ठानवे की, जब जिला प्रशासन ने, वह नदी पट्टे पर... Hindi · कविता 1 280 Share Jaikrishan Uniyal 25 Feb 2021 · 3 min read आंदोलन काल! उन्नीस सौ अठ्ठासी में पंचायत के चुनाव का बिगुल बजा, अन्य लोगों की तरह, मैंने भी चुनाव लडा, अपने ही साथी संगी, बन गये प्रतिध्वंदी, खुब हुई हममें जंग, जीत... Hindi · कविता 3 6 464 Share Jaikrishan Uniyal 24 Feb 2021 · 3 min read गृहस्थ जीवन और जन सरोकार! सन उन्नीस सौ ईक्कासी, मैं हुआ गृहस्थी, सन बयासी में, बना सदस्य पंचायत में, एक ओर घर गृहस्थी की थामना, दूसरी ओर जन सरोकारों से होता सामना, दोनों में संतुलन... Hindi · कविता 1 2 280 Share Jaikrishan Uniyal 22 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से साक्षात्कार! यह किस्सा है तब का, जब मैं प्रशिक्षु बना पौलीटैकनिक का, जिस पाठ्यम में प्रवेश लिया, नाम उसका का कामर्शियल प्रैक्टिस था, दो वर्षीय यह डिप्लोमा, इस से पूर्व जिसने... Hindi · कविता 1 414 Share Jaikrishan Uniyal 21 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से वास्ता! जब मैं बारहवीं का छात्र था, और चल रही थी बोर्ड परीक्षा, नकल करते पकड़े गए कुछ छात्र, मचाने लगे वह उत्पात, अब अगले दिन की परिक्षा को रोकने लगे,... Hindi · कविता 2 2 510 Share Jaikrishan Uniyal 19 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन का पहला पाठ! आंदोलन कारी! यह है उस दौर की बात, जब मैं गया कक्षा आठ, उम्र थी तब चौदह वर्ष, चुना गया मैं अध्यक्ष, हो रहा था मुझे अति हर्ष, मिला मुझे था एक... Hindi · कविता 1 3 534 Share Jaikrishan Uniyal 11 Feb 2021 · 2 min read आपदाओं के बीच जीए गये ये दसक! जनवरी से लेकर दिसंबर का अंतराल, बीतते गए साल दर साल, होती रही है वर्ष भर ऐसी हलचल, एक ऐसा सच अविचल अटल। कनोडिया गाड़ की झील से लेकर,(उत्तरकाशी में... Hindi · कविता 3 10 262 Share Jaikrishan Uniyal 5 Feb 2021 · 1 min read काहे का अन्नदाता!! जब हो गया खूब फजीता, तब सड़कों पर उतरा अन्न उपजाता, मुझसे क्यों रुठ गये,शासक भ्राता, मैं तो हूं सबका अन्नदाता। यह कानून नहीं मेरे हित में, वापस ले लो... Hindi · कविता 5 7 331 Share Jaikrishan Uniyal 3 Feb 2021 · 1 min read दूरी का नया प्रतिमान!!(पैमाना) अभी तक दूरी नापने का, पैमाना जो आम खास था, सेंटीमीटर इंच फिट मीटर, और किलोमीटर के नाम था। यूं तो आपसी समझ संबंध को भी, दूरी से आंका जाता... Hindi · कविता 2 5 323 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jan 2021 · 1 min read शरद का अहसास ! शरद को यूं तो एक ऋतु से जाना जाता है, किन्तु शरद पर मनुष्य का अख्तियार ज्यादा है, ऋतु तो वर्ष भर में एक बार आकर दे जाती है दस्तक,... Hindi · कविता 2 262 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jan 2021 · 4 min read मंथन!! आज जब हमारे गणतंत्र को बहत्तर वर्ष हो रहे हैं,यह उम्र आम इंसान के लिए बाणप्रस्थ से संन्यास की ओर जाने की तैयारी करने का द्योतक है,तब हमारे इस लोक... Hindi · लेख 1 4 323 Share Jaikrishan Uniyal 24 Jan 2021 · 1 min read नाक की लड़ाई !! अब लग रहा है किसान आन्दोलन, बन गया है नाक की लड़ाई, ना तो सरकार ने मानी बात, ना मान रहे हैं किसान भाई! देश इसे देख रहा है टुकर-... Hindi · कविता 1 6 552 Share Page 1 Next