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हर सफ़र एक सबक हैं की मंज़िल तक कौन साथ चलेगा।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"संघर्ष जारी है"
Madhu Gupta "अपराजिता"

चोटिल मन पर वार करेगा,
Madhu Gupta "अपराजिता"

"माँ तेरे आँचल में"
Madhu Gupta "अपराजिता"

चार कदम चल कर थक गए हैं हम।
Madhu Gupta "अपराजिता"

किस्मत का खेल है या यूं कहिए लकीरों का।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कोई रास्ता नज़र नहीं आता कोई मंजिल दिखाई नहीं देती।
Madhu Gupta "अपराजिता"

मौन में भी एक ध्वनि आ बसी है,ना है आवाज़ फिर भी सरगम सी छिड़
Madhu Gupta "अपराजिता"

ज़िंदगी तेरी ज़िद है कि तू मुझे चैन से नहीं रहने देगी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

मुझे उठाने वाले कहाँ जा कर सो गए हो तुम।
Madhu Gupta "अपराजिता"

तू इंसान था या शैतान जो निहत्थों पर बेरहमी से वार किया।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"इंसानियत हुई शर्मसार"
Madhu Gupta "अपराजिता"

ज़िंदगी और मौत के बीच,फ़ासला रफ़्ता रफ़्ता घट रहा है।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"एक तरफा मोहब्बत"
Madhu Gupta "अपराजिता"

"विचार जो राह दिखाए"
Madhu Gupta "अपराजिता"

कोई तस्वीर अब मुकम्मल नहीं बनती।
Madhu Gupta "अपराजिता"

खिड़कियां भी ख़ामोश पड़ी है दरवाज़े भी नहीं बोलते।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"हम भारत के लोग"
Madhu Gupta "अपराजिता"

सिकन्दर सारी दुनिया को जितने के बाद भी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

अब तुम मुझमें घर करते जा रहे हो।
Madhu Gupta "अपराजिता"

ये ख़ालीपन अब कैसे भरूं मैं,
Madhu Gupta "अपराजिता"

उठ जाओ वो ये कह कर हर रोज़ जगाता है।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कभी थकता कभी चलता राही
Madhu Gupta "अपराजिता"

दुनिया का सबसे सही इंसान मैं हूँ और जो भी हुआ मेरे साथ गलत ह
Madhu Gupta "अपराजिता"

बहुत कड़वाहट है फिर भी मोहब्बत आज भी बरकरार है।
Madhu Gupta "अपराजिता"

हँसी में उड़ा दिए हमने कई ग़म के दिन।
Madhu Gupta "अपराजिता"

रुका रुका सा है ये वक़्त, ठहरी ठहरी सी है शाम।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"चलो तो सही दो कदम"
Madhu Gupta "अपराजिता"

क्यों ऐसा अक्सर होता है,
Madhu Gupta "अपराजिता"

"ऐसा क्यों होता है अक्सर"
Madhu Gupta "अपराजिता"

इस दिल-ए-नादाँ को है उसी की जुस्तुजू।
Madhu Gupta "अपराजिता"

वजह आज मैं उसको नफ़रत करने की दे आई हूँ।
Madhu Gupta "अपराजिता"

सारी उदासी उसके दिल के कोने में छुपा कर रख आई हूँ।
Madhu Gupta "अपराजिता"

जहाँ बोलते हुए ना सोचना पड़े,
Madhu Gupta "अपराजिता"

नदिया ख़ारे समुद्र को,
Madhu Gupta "अपराजिता"

"वह कल था"
Madhu Gupta "अपराजिता"

तन्हा उदास छोड़कर,वो दूर जा बैठा।
Madhu Gupta "अपराजिता"

ना मैं इसे याद करूंगी,ना मैं उसे याद करूंगी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

मुझसे आ कर कोई मिलता क्यों नहीं।
Madhu Gupta "अपराजिता"

ना कुछ लिखा जा रहा है ना कुछ पढ़ा जा रहा है।
Madhu Gupta "अपराजिता"

बहुत उदासी छा गई, बीच में अंधेरा भी तो आ गया,
Madhu Gupta "अपराजिता"

सारे निशाँ मिटा दिये,कोई गिला न ख़ुद से किया।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"ज़िंदगी सी किताब"
Madhu Gupta "अपराजिता"

आज तेरी बर्बादी का फ़रमान जारी कर आई हूँ।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"भूले हैं हम रफ़्ता रफ़्ता"
Madhu Gupta "अपराजिता"

बोली लगा दी मैंने उन तमाम ख़्वाबों की।
Madhu Gupta "अपराजिता"

भूल गए हम रफ़्ता रफ़्ता ज़ख़्म पुराने आहिस्ता आहिस्ता।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"ना कृष्णा ना राम मिलेंगे"
Madhu Gupta "अपराजिता"

"माँ ब्रह्मचारिणी"
Madhu Gupta "अपराजिता"

"मां चंद्रघंटा"
Madhu Gupta "अपराजिता"