"विचार जो राह दिखाए"
बैठो दो घड़ी शांत हो कर खुद के पास,
और पलकों का शामियाना तब लो तान।
सुनो दिल और दिमाग की इत्मीनान के साथ,
तब करो निर्णय अंदर चलते द्वंद्व के साथ।
दृष्टि सदा रखो सही,स्पष्ट और साफ़,
और पकड़ कर रखो सही विचारों का साथ।
जो विचार मन को करे विचलित हर बार,
कर दो उनकाे अलविदा एक झटके के साथ।
विचार वही पृष्ठभूमि है सच्चे जीवन के सार,
जो हमको भीड़ से करते है विलग हर बार।
अंतर्मन के बंद द्वार खोलो अच्छे विचारों के साथ,
उत्तम और परिपक्व विचार ही आत्मा को करते हैं पाक।।
जो राह से भटकाए ऐसे विचार न रखों अपने पास,
आईना सा व्यक्तित्व करे उन विचारों का अनुकरण करो हर बार।
बैठो सदा संत और अच्छे लोगों की संगत में दिन रात,
तभी विचारों का आदान प्रदान होगा अनुभव के साथ।।
मधू गुप्ता “अपराजिता”