Manisha Manjari Tag: कविता 175 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manisha Manjari 10 May 2022 · 1 min read स्याह रात ने पंख फैलाए, घनघोर अँधेरा काफी है। शंखनाद की गुंज उठी, युद्ध तो अभी बाकी है। स्याह रात ने पंख फैलाए, घनघोर अँधेरा काफी है। प्रज्ज्वलित दरिया के समक्ष खड़ी मैं, पार उतरना बाकी है। ना नय्या... Hindi · कविता 2 676 Share Manisha Manjari 1 Apr 2022 · 1 min read यादों की साजिशें कतरा कतरा कर वो यादें डराती हैं। जब भी ये हवाऐं वेग में गाती हैं, वो हंसी झंकार सी गूँज जाती है। कभी कभी ये हवाऐं ठहर सी जाती हैं,... Hindi · कविता 1 2 656 Share Manisha Manjari 3 Apr 2022 · 1 min read जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है। जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है, इक चेहरे को अपने साथ ले आती है। अंधेरी रातों में तन्हाईयाँ सी छा जाती हैं, और जागती सुबहों में परछाईयोँ को... Hindi · कविता 2 2 596 Share Manisha Manjari 7 Jul 2022 · 1 min read क्यों करूँ नफरत मैं इस अंधेरी रात से। क्यों करूँ नफरत मैं इस अंधेरी रात से, जिसने मिलवा दिया मुझे अपने आप से। गर्दिशों में भी इसने चमकना सिखाया, और आंसुओं के साथ भी तो अपना बनाया। हाँ,... Hindi · Hindi Poem · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · Manishamanjari · कविता 4 2 635 Share Manisha Manjari 1 May 2022 · 1 min read जब वो कृष्णा मेरे मन की आवाज़ बन जाता है। जिंदगी ने नये पंख दिए, पर उड़ने को मन कतराता है। शिकारी के बिछे जाल से, दिल अब भी घबराता है। कहीं घात में बैठा, वो आज भी इतराता है।... Hindi · कविता 3 2 561 Share Manisha Manjari 23 Apr 2022 · 1 min read मौन में गूंजते शब्द शब्दों की कमी तो हमेशा रही, उनके व्यक्तित्त्व में, पर भावनाओं की बारिश सदैव होती रही उस घर में। कठोर आवरण तो ज़रूर था, उस वातावरण में, परंतु करवाहट ना... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 11 12 591 Share Manisha Manjari 27 Sep 2022 · 1 min read जगदम्बा के स्वागत में आँखें बिछायेंगे। जगदम्बा के स्वागत में आँखें बिछायेंगे, और उन्हीं नज़रों से जाने कितनी स्त्रियों को शर्मिंदा कर जायेंगे। समाज़ के कुछ ठेकेदार ऐसे भी हैं, जो माँ पे तो हक़ जमायेंगे,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कटाक्ष · कविता · नवरात्र 5 10 784 Share Manisha Manjari 16 Apr 2022 · 1 min read पिता आँखों में कुछ स्वप्न सजाए, चल पड़ा वो नई राहों में, ख्वाहिश थी एक कली खिले और महके उसके आँगन में। हवाओं ने चुगली कर डाली, कह डाला ईश्वर के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 15 14 575 Share Manisha Manjari 15 Jul 2022 · 1 min read कड़वा है पर सत्य से भरा है। यहाँ संस्कार खामोशी से तोले जाते हैं, शब्द भी निःशब्द होकर बोले जाते हैं। शरीर भले चोटों से भरा हो, पर लबों पे मुस्कुराहटों के ताले ठोके जाते हैं। संवेदनाओं... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 2 6 655 Share Manisha Manjari 12 Aug 2022 · 1 min read ठोकरों ने गिराया ऐसा, कि चलना सीखा दिया। ज़िन्दगी ने राहों को हीं, मंज़िल बना दिया, ठोकरों ने गिराया ऐसा, कि चलना सीखा दिया। हवाओं ने पतझड़ में, साजिशों का सहारा लिया, जुड़े थे कभी शाख़ से, ज़मीं... Hindi · Hindi Poem · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 10 12 553 Share Manisha Manjari 17 Jun 2022 · 1 min read शाश्वत सत्य की कलम से। वैराग्य का भी अपना हीं मजा है, ना किसी के आने की सदा है, ना किसी के जाने की सज़ा है। जीवन को उस पार ले जाना भी इक अदा... Hindi · Manishamanjari · कविता 2 4 613 Share Manisha Manjari 16 May 2022 · 1 min read ठंडे पड़ चुके ये रिश्ते। रिश्तों को तोड़ते ये आजकल के रिश्ते, गर्माहट से मीलों दूर ठंडे पड़ चुके ये रिश्ते। कभी तूफानों में ढ़ाल सदृश हुआ करते थे जो रिश्ते, आज एक स्पर्श से... Hindi · कविता 4 5 573 Share Manisha Manjari 5 Apr 2022 · 1 min read उन्हें आज वृद्धाश्रम छोड़ आये क्षणभंगुर् सी ये जिंदगी अपनी, नित्य नवीन चलचित्र दिखाये। कल सोये थे जिस आँचल में, उसे आज वृद्धाश्रम छोड़ आये। नये कोपलों के खिलने पे, एक वक्त जो थे मुस्कुराये।... Hindi · कविता 2 5 664 Share Manisha Manjari 10 Apr 2022 · 1 min read राम के जन्म का उत्सव राम के जन्म का उत्सव मनायेंगे, जाने कब ये राम को हृदय में बसायेंगे। वो तो अपनो से छले गये थे, परंतु ये उनके नाम पे जग को छल जायेंगे।... Hindi · कविता 1 479 Share Manisha Manjari 29 May 2022 · 1 min read शब्दों के एहसास गुम से जाते हैं। शब्दों के एहसास गुम से जाते हैं, खामोशियों की चादरों में ये मुस्कुराते हैं। शोर का तो बवंडर सा उठता है, पर जाने क्यों होंठों को ये दगा दे जाते... Hindi · कविता 5 2 442 Share Manisha Manjari 30 Mar 2022 · 1 min read संदर्भों की आर कल एक मुसाफ़िर गुजरा, मेरी राह से। तोल रहा था खुद को कृष्णा के, नाम से। उत्सुक हो पूछा मैंने, विश्वास से। कैसे हुआ ऊँचा तु सृष्टि के, नाथ से।... Hindi · कविता 1 440 Share Manisha Manjari 14 Apr 2022 · 1 min read समय के पंखों में कितनी विचित्रता समायी है। समय के पंखों में कितनी विचित्रता समायी है। अजनबी रास्तों पर चलकर समझा, इनमें कितनी कठिनाई है। तारों के निकलने से पहले, गोधूलि शाम की बारी आई है। और सुबहों... Hindi · कविता 2 1 503 Share Manisha Manjari 19 Aug 2022 · 1 min read असफ़लताओं के गाँव में, कोशिशों का कारवां सफ़ल होता है। कुछ खतों के मुक्कद्दर में, बस जेहन की ज़मीं होती है, खंज़र जैसे हाथों में, जब लकीरों की कमी होती है। खमोशिओं की गहराईयों में, शब्द निर्वस्त्र से पड़े होते... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 6 11 454 Share Manisha Manjari 25 Jul 2022 · 1 min read ये बारिश की बूंदें ऐसे मुझसे टकराईं हैं। ये बारिश की बूंदें ऐसे मुझसे टकराईं हैं, शायद तुम्हें ढ़ुढ़ते ढुंढते मेरे पास चली आईं हैं। ये जमीं की खुशबू फिज़ा में ऐसे छायी है, जैसे मेरे ज़हन में... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 3 6 452 Share Manisha Manjari 20 Apr 2022 · 1 min read सार्थक शब्दों के निरर्थक अर्थ सार्थक शब्दों के अर्थ निरर्थक हो जाते हैं, कर्म की प्रतिबद्धता के बिना, जब वो थिरक जाते हैं। रास्तों के बिना मंजिल अज़नबी बन के आते हैं, नये आगजों में... Hindi · कविता 4 5 430 Share Manisha Manjari 1 Jul 2022 · 1 min read कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं। कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं, जब आंखें आंसुओं से लिपट जाती हैं। भीगते तो हैं सतह मगर, चोटें आत्मा तक पहुँच जाती हैं। कहते हैं अंधकार मिटाने को वो... Hindi · Hindi Poem · Life · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 3 2 455 Share Manisha Manjari 1 Aug 2022 · 1 min read जब उम्मीदों की स्याही कलम के साथ चलती है। कुछ ख्वाहिशें सिर्फ जेहन तक का सफर करती हैं, हाथों की लकीरें बस रेखाचित्र बनी फिरती हैं होठों पे आयी मुस्कान उधार सदृश्य लगती है, कितनी किस्तों में होगी अदायगी,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 3 13 456 Share Manisha Manjari 28 Jul 2022 · 1 min read किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी। किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी। पर बता मुझे, यदि ये भी न रहे तो मेरे अस्त्तित्व को कौन दर्शाएगी? इस खालीपन के अंधेरों... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 7 9 450 Share Manisha Manjari 4 Apr 2022 · 1 min read सम्मान की निर्वस्त्रता युग परिवर्तित हो चला, पर कुंठा अभी भी वही सताये। सत्य पराजित हो रहा, और असत्य सर्वत्र जीतता जाये। प्रकाशित हो रहा जग सारा, पर अंधेरे से कोई निकल ना... Hindi · कविता 3 2 414 Share Manisha Manjari 16 Mar 2022 · 1 min read इन्तज़ार कभी मैं भी एक घर हुआ करता था, जहां किलकारियों का मधुर स्वर हुआ करता था। जहां गिरते पड़ते कदमों ने चलना सीखा था। जहां बसते के भरे डब्बों पे... Hindi · कविता 5 6 373 Share Manisha Manjari 14 May 2022 · 1 min read क्यों ना नये अनुभवों को अब साथ करें? रास्तों की सुने या मंजिलों की फरियाद करें, बीते कल में जियें या नये कल का आगाज करें। जाती रात में अमावस की घनी परछाई है, क्या आने वाली रातों... Hindi · कविता 1 374 Share Manisha Manjari 4 Mar 2023 · 1 min read चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा। हुई स्वार्थ की पराकाष्ठा, तो व्यक्तित्व गिरता जायेगा, ये सत्य एक दिन, तेरी संवेदनाओं को भी सतायेगा। व्यंग का पात्र कब तक, तू औरों को बनायेगा, काल के आघात से,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 478 Share Manisha Manjari 26 Apr 2022 · 1 min read आज असंवेदनाओं का संसार देखा। असंवेदनाओं का नज़ारा बरकरार देखा, मानवता को, बेसहारा हर बार देखा। उन आँखों में बस तथ्य एवं तर्क की तलवार देखा, बेबसी की चीखों को कफ़न के पार देखा। उसने... Hindi · कविता 4 2 351 Share Manisha Manjari 21 Jul 2022 · 1 min read इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी। अंधेरी गलियों में अकसर गुम हो जाती हुंँ मैं, रौशनी को तरसती हैं आंखें मेरी, इतनी घबराती हुँ मैं। विश्वास ने छला है ऐसा, आस्था भी डराती मुझको, रज्जु में... Hindi · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 8 8 364 Share Manisha Manjari 6 Aug 2022 · 1 min read आंधियां आती हैं सबके हिस्से में, ये तथ्य तू कैसे भुलाता है? अंतर्मन के द्वंदों से आज भी मन थर्राता है, बीते वक़्त का तूफ़ान जब राहों को भरमाता है। शब्दों का वो कोलाहल संवेदनाओं को स्तब्ध कर जाता है, आघातों की... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 6 4 359 Share Manisha Manjari 25 Apr 2022 · 1 min read नदी सदृश जीवन ये वादा था, जीवन का, नदी सदृश बहूंगी मैं। सदैव गतिमान्, बिना थके साथ चलूँगी मैं। चंचलता और ठंडक की उदाहरण बनूँगी मैं। सीमाओं को तोड़ती हुई, अंततः सागर में... Hindi · कविता 5 2 332 Share Manisha Manjari 26 Jul 2022 · 1 min read सागर ने लहरों से की है ये शिकायत। सागर ने लहरों से की है ये शिकायत, वो कश्ती आती नहीं जिसकी थी मुझे आदत। मेरी मौजों में घुलती रहती थी वो खिलखिलाहट, और आँखे ढ़ुंढती थी मीलों तक... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 5 9 345 Share Manisha Manjari 21 Mar 2022 · 1 min read एक संवाद ये अक्स कुछ याद दिलाता है, बीते दिनों से संवाद कराता है। चेहरा तो वही है पर, आँखों में स्याह उतर आता है। लहरों पे बढ़ती नाव को, पीछे छूटे... Hindi · कविता 3 4 325 Share Manisha Manjari 27 Jul 2022 · 1 min read धारणाएँ टूट कर बिखर जाती हैं। धारणाएँ टूट कर बिखर जाती हैं, संबंधों की आर में जब ये छली जाती हैं। विजय शत्रुओं पर तो मिल जाती है, अनुभव तो अपनों का घात करवाती है। समक्ष... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 2 8 384 Share Manisha Manjari 5 Aug 2022 · 1 min read ये ज़िन्दगी जाने क्यों ऐसी सज़ा देती है। ये ज़िन्दगी जाने क्यों ऐसी सज़ा देती है, कागज़ की कश्ती छीन, हाथों में पतवार थमा देती है। ओस की बूंदें तो भोर के सहारे गिरा करती हैं, पर तपिश... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · कविता 6 7 352 Share Manisha Manjari 8 Sep 2022 · 1 min read जीवन क्षणभंगुरता का मर्म समझने में निकल जाती है। स्वयं के अक्स की पहचान, धूमिल सी हो जाती है, विपत्तियों की गाठें जब, जीवन की डोर में लग जाती हैं। खुशियों के क्षण तो, पलक झपकते खो जाते हैं,... Hindi · Hindi Poem · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 4 5 357 Share Manisha Manjari 11 Sep 2022 · 1 min read रेत पर नाम लिख मैं इरादों को सहला आयी। तलाश ज़िन्दगी की, उस मकाम पे ले आयी, खुद की परछाई भी, तब मेरे काम ना आयी। घर के मोह ने, मुझे एक आशातीत दुनिया दिखाई, कि घर तो कभी... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 4 6 451 Share Manisha Manjari 5 Oct 2022 · 1 min read रावणदहन आज राम का रूप धर, रावण के पुतले जलाएंगे, बारूदों की लड़ियों से, उसके विशालकाय स्वरुप को सजायेंगे। धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा, अग्निमय वाणों से उसके हृदय को छलनी कर... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कटाक्ष · कविता · मनीषा मंजरी 7 8 403 Share Manisha Manjari 14 Sep 2022 · 1 min read काल के चक्रों ने भी, ऐसे यथार्थ दिखाए हैं। काल के चक्रों ने भी, ऐसे यथार्थ दिखाए हैं, कल जो अपने थे, आज वही तो पराये हैं। जो पोंछते थे कभी, आँखों से बहते हुए अश्रु, उन्होंने हीं तो... Hindi · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 6 10 382 Share Manisha Manjari 3 Mar 2023 · 1 min read खुले आँगन की खुशबू वो खुले आँगन की खुशबू, यादों को आज भी महकाती है, बरसात में चलायी, जो कागज़ की नाव, वो बारिश आँखों में लाती है। आज भी गर्मी की दोपहरें, उस... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 1 399 Share Manisha Manjari 30 Jun 2022 · 1 min read अंधेरी रातों से अपनी रौशनी पाई है। उन परिंदों की उड़ान पर कब तक पहरे लगा पाएगा कोई, जिन्होंने उड़ना भी पंख गंवाने के बाद हीं सीखा है। अंधेरी रातों से अपनी रौशनी पाई है, और खुद... Hindi · Hindi Poem · Life · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 3 4 339 Share Manisha Manjari 8 Oct 2022 · 1 min read ख़्वाहिश है की फिर तुझसे मुलाक़ात ना हो, राहें हमारी टकराएं,ऐसी कोई बात ना हो। ख़्वाहिश है कि फिर तुझसे मुलाक़ात ना हो, राहें हमारी टकरायें, ऐसी कोई बात ना हो। अंधेरों में गुम होने की आदत है मुझे, जिसकी सुबह फिर आये, ऐसी रात... Hindi · Featuring In The Upcoming Nove · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 8 12 318 Share Manisha Manjari 1 Oct 2022 · 1 min read मैं टूटता हुआ सितारा हूँ, जो तेरी ख़्वाहिशें पूरी कर जाए। तेरी आहटें, मेरी खामोशियों को फ़िर छू ना पाए, ये हवाएँ, फिर ठहरे पानी में हलचल ना मचाये। तेरी मुस्कुराहटें मेरे वज़ूद को, फ़िर ज़िंदा ना कर पाए, उदासियों की... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 7 1 328 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read शवदाह शवदाह करने आया वो, घाट में ग्लानि नहीं थी, उसे अपने-आप में। बचपन बिताया था, जिसकी छाँव में उसी को जलाने, आया वो गाँव में। साँसे जुड़ी थी कभी, जिसकी... Hindi · कविता 5 2 287 Share Manisha Manjari 23 Sep 2022 · 1 min read ये उम्मीद की रौशनी, बुझे दीपों को रौशन कर जातीं हैं। क़ायनात की साजिशें कुछ यूँ भी रंग लातीं हैं, की किसी अपने का साथ, मिटा कर चली जाती हैं। वादे तोड़ने की कोशिशों में, जब नाक़ाम हो जातीं हैं, तो... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी 4 4 336 Share Manisha Manjari 10 Jul 2022 · 1 min read काश उसने तुझे चिड़ियों जैसा पाला होता। कुछ तो थी, उन आंखों की ख्वाहिश, जिसे मूंद कर खत्म कर दी, उसने हर फरमाइश। अब ना वो तुझे बार बार बुलाएगी, घर कब आएगा, ये कह कर सताएगी।... Hindi · Life · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 1 4 289 Share Manisha Manjari 8 Apr 2023 · 1 min read घर की चाहत ने, मुझको बेघर यूँ किया, की अब आवारगी से नाता मेरा कुछ ख़ास है। अस्थियों पर खड़ी, ये जो मेरी लाश है, अब ना किसी भी भावना की मोहताज़ है। महसूस नहीं होते हैं, अब दर्द नये, घावों के इतने निशाँ, मेरे पास हैं।... Hindi · Hindi Poem · कविता · काव्य संग्रह 2 · मनीषा मंजरी 339 Share Manisha Manjari 4 Sep 2022 · 1 min read अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं। अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं, स्वयं के विचार हीं तो, सबसे ज्यादा सताते हैं। अन्धकार के बादल, जब छत पर मंडराते हैं, साये रिश्तों के हीं, सर्वप्रथम... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 6 8 327 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read वाक्यों के मध्य का मौन वाक्यों के मध्य का मौन सुना है, कभी उसमें एक चीख़ सी मौजुद होती है। इक साधारण से दृश्य के पीछे, भी पूरी पटकथा ससंवाद लिखी होती है। बहते रक्त... Hindi · कविता 1 252 Share Manisha Manjari 3 Mar 2023 · 1 min read अपनेपन का मुखौटा मुखौटों के बाज़ार में, वो खुद को बेच आते हैं, इतने चेहरे एक शख्सियत में, जाने कहाँ से वो लाते हैं। मुस्कान ओढ़े दहलीज पर, तुम्हारे चले आते हैं, और... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 326 Share Page 1 Next