Posts Tag: रजकण 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 24 Mar 2025 · 1 min read लक्ष्य अभिप्रेत ///लक्ष्य अभिप्रेत/// चलते रहो चलते रहो, चलना निरंतर लक्ष्य को, मानव को यही तो अभिप्रेत है। उसर पड़े रहते खेत में, पुरुषार्थ ही रचेगा उत्कर्ष, क्या यह दृष्टि नहीं समवेत... Hindi · कविता · रजकण 12 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 23 Mar 2025 · 1 min read अरुणोदय पथ अरुणोदय पथ समरसता उत्कर्ष अनुराग, होते तिरोहित वैराग। शुभता का संदेश निरंतर, जीवन पाए मकरंद पराग।। ऋतु बसंत मधुमास, पूर्ण चंद्र की आस। नित्य निरंतर जीवन पथ पर, ब्रह्म एकात्मता... Hindi · कविता · रजकण 15 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 23 Mar 2025 · 1 min read सुलभ कांत ///सुलभ कांत/// झरती बरबस दृग जल धार, आहें अंतर से शुचि बारंबार। तुम आत्म प्राण श्रृंगार सुधा, मेरे सद्-संबल जीवन आधार।। आत्म पर्व यह प्राण पर्व यह, अरु नाद तेरा... Hindi · कविता · रजकण 15 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 22 Mar 2025 · 1 min read जाग मनुज ///जाग मनुज/// जाग जाग रे जाग मनुज।। छल छद्म बंध तोड़ आज। रहा सिंहासन उर्ध्व विराज।। सद् विचार सुपंथ स्वकाज। तो कहां दुर्लभ वह रामराज।। तू क्यों है किंकर्तव्य विमूढ़।... Hindi · कविता · रजकण 19 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 21 Mar 2025 · 1 min read जीवन अनुबंधन ///जीवन अनुबंधन/// अहे! प्राण जीवन अनुबंधन।। यह कैसा प्रबल विवर्तन, यह कैसा आत्म परिवर्तन । करता नयनों में प्रति नर्तन, या दृग जालों का संवर्धन।। यह कैसा जग का स्यंदन।... Hindi · कविता · रजकण 1 2 23 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 19 Mar 2025 · 1 min read चंद प्रश्न ///चंद प्रश्न/// हैं टिमटिमाते दीप जो, है उनमें वही उर की व्यथा। भेज चहुं दिश अंशुओं को, तम से सुनाते वे कथा।।१।। टंकार सुनकर धनुष की, उसका हृदय दहल जाएगा।... Hindi · कविता · रजकण 18 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 19 Mar 2025 · 1 min read माता का हाथ ///माता का हाथ/// हे ! मातेश्वरी सरस्वती तुम्हारी शुचि प्रेरणा उससे उद्भाषित आलोक पथ व तुम्हारे हृदय-स्पंदन-स्नेह हमें देते हैं आत्मतोष।। जीवन का सुमंगल गीत तुम्हारे ही अंतर हृदय से... Hindi · कविता · रजकण 20 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 17 Mar 2025 · 1 min read अनुराग द्विविद्या ///अनुराग द्विविधा/// उड़ रही गगन में आज धूल, उलझ गया चिकुर में एक फूल। मिल चली उसे वाती अनुकूल, चल उड़ चल रे तू झीन दुकूल।। निरभ्र नील गगन का... Hindi · कविता · रजकण 17 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 16 Mar 2025 · 1 min read सुधा प्रसाद ///सुधा प्रसाद/// तुम्हारे नयनों में घिर प्रात, नीरव स्पंदों में उर गात । तुम्हारे ही उद्गारों में कौन, नित डूबा रहता प्रति-जात।। तुम्हारा विभु सुधा प्रसाद, जीवन मर्म अविज्ञात। चिर... Hindi · कविता · रजकण 18 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 15 Mar 2025 · 1 min read स्मृति मीमांसा स्मृति मीमांसा ----------------- स्मृतियों के अविस्मृत क्षण पलों का यह भाव भरा संसार। जीवन औदार्य संघर्ष पीड़ा सभी कुछ पा लेते आकार।। कृत कर्मों के मीठे मीठे स्पंदन होते झंकृत... Hindi · मुक्तक · रजकण 22 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 7 Mar 2025 · 1 min read नीरव गीता ///नीरव गीता/// मेरे सहज ही गान चंचल, ढूंढते रहे जो साम्य अंचल। तेरी शरण ही आज लूंगी, ले लो मुझे हे शांत अविरल।। जल रहा निरंतर दीप यह, इसकी सहज... Hindi · कविता · रजकण 26 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 6 Mar 2025 · 1 min read स्वप्निल दृग ///स्वप्निल दृग/// प्रिय प्राण मेरा दृग अंचल में सोता है।। उद्वेलित सागर उद्वेलित अग जग। कूजते सदा थल नभ में खग मृग।। अब देख लें कब कौन यहां रोता है।... Hindi · कविता · रजकण 26 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 2 Mar 2025 · 1 min read प्रिय का संदेश ///प्रिय का संदेश/// प्रफुल्लित जगती खिला वसंत, लेकर अमृतमय मधुता लाते। खग मृग मधुकर सबका गुंजन, प्रियकर का संदेश सुना जाते।। प्रिय विरह के अंतर की पीड़ा, देकर संदेश जगा... Hindi · कविता · रजकण 25 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 27 Feb 2025 · 1 min read आत्म दीप की थाह ///आत्म दीप की थाह///तीन सुमन सहज खिल उठे, उर अंचल की ज्वाला में। दीप जला ज्योति जगाने, प्रभा जगत की आभा में।।१९।। धूरि-धूरिमय है जग सारा, स्नेह लसित जीवन प्रतिपग।... Hindi · कविता · रजकण 32 Share