सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' Tag: कविता 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Nov 2024 · 1 min read मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा रोम रोम खिल जाएगा जब गंगा में गोते लगाएगा मणिकर्णिका घाट पर जीवन का अर्थ पाएगा हरिश्चंद्र के घाट पर... Hindi · कविता · संस्मरण 16 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2024 · 1 min read दरमियान कुछ नहीं दरमियान कुछ नहीं पर हमारे एक कहानी तो है जो रह गई अधुरी एक कहानी तो है राह में भटक रहा था मैं मिली तुम तो थोड़ा ठहरा तो मैं... Hindi · कविता 56 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Sep 2024 · 1 min read जब भी लिखता था कमाल लिखता था जब भी लिखता था कमाल लिखता था सवालों के वो जबाब लिखता था अनछुए अनकहे भाव जीवन्त हो उठते थे जब वो कागज पर कलम रखता था Hindi · कविता 42 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Aug 2024 · 1 min read एक मौन घर घर में होती है अक्सर चार दीवारी एक छत छत पर लगा पंखा ओर दीवार पर लगा होता एक रोशनदान और आइना उस आइने जब भी मैं अपने आप... Hindi · कविता · संस्मरण 1 97 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 Jun 2024 · 1 min read गवाही देंगे मुझे जब कभी ढूंढिएगा किसी पर्वत पर या नदी के मुहाने पर ढूंढिएगा हवाओं की गर्मजोशी में ढूंढिएगा झरनों की झनकार में ढूंढिएगा खिलते हुए फूल की खुशबू में ढूंढिएगा... Hindi · कविता · गीत 2 187 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Apr 2024 · 1 min read कौन्तय रण के उस क्षण में कौन्तय शिथिल हो जाते हैं जब सम्मुख अपने वो अपनों को पाते हैं अन्तर्मन में ज्वालामुखी सा उठता है जाने क्या क्या अक्षि में छा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 162 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read जीवन मर्म नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो नीर को तीर पर आते हुए फिर स्वयं से कुछ सवाल करो कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो जैसे आती लहर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 184 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए हुं मैं एक कवि बस इतना सा ही जानिए मैं लिखुंगा किसी के अन्तर्मन की वेदना मैं लिखुंगा किसी के मौन की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 143 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read कुछ लोग शहर के बीचों बीच तंग गलियारों में रहते हैं कुछ लोग दिखने में लोगों जैसे पर लोगों से परे है कुछ लोग सिटी में सटी सटी सी बस्तियों में रहते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 157 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मृत्यु शैय्या मृत्यु शैय्या पर जब आ जाओगे सोचो क्या क्या जी जाओगे चार उम्रो के लेखे होंगे शैय्या पर भी अकेले होंगे जीवन क्षण में क्षरण मृत्यु का वरण होगा सांसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · जीवन दर्शन 159 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read लोग जाने किधर गये अवशेष शेष बचे यादों के लोग जाने किधर गये जो थे खास बहुत वो लोग जाने किधर गये अधरों पर है अब मौन लोग जाने किधर गये खुल कर मिलते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 2 175 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा जंगल कटेगा तो कुछ दिखाई नहीं देगा कहां से लाओगे गीत नदियों के जब झरना ही सुनाई ना देगा आधुनिकता की इस दौड़ में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 220 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है आदि काल से आधुनिक काल तक हम आ तो गये चकमक के पत्थर से चल कर मिसाइलों तक आ तो गये जंगल जिसमें बिताया करते थे जीवन उस जंगल का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 202 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र आधुनिकता की दौड़ में जिंदगी को कर के शामिल मैं दौड़ता रहा दौड़ता रहा तमाम उम्र सपनो को पूरा करने जिद पर अड़ा रहा मैं तमाम उम्र घर , परिवार,यार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 158 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे ये खूबसूरत दृश्य आंखों से ओझल हो जाएंगे जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे आधुनिकता के इस खेल में बस पुर्जे ही रह जाएंगे बारिश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 170 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जीवन चक्र घर की जिम्मेदारी की जद में आ गया एक नन्हा कल मुश्किल में आ गया पिता जी को लगी थी लत दारु की उस में पिता का जीवन चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 207 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए खूद से एक मुक्कमल मुलाकात कीजिए राहें ज़िन्दगी में नजारे है बहुत नज़रें उठाईं कुछ गुनगुनाइए सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) Poetry Writing Challenge-2 · कविता 99 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 156 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नौका को सिन्धु में उतारो नौका को सिन्धु में उतारो किनारों से दूर करो जानना है यदि खुद को तो खुद के निर्णय पर विश्वास करो तुम ऊर्जा के पूंज हो तुम ही आभा सूर्य... Poetry Writing Challenge-2 · Motivation · कविता 144 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Feb 2024 · 1 min read चिरैया पूछेंगी एक दिन चिरैया पूछेंगी एक दिन मेरा छज्जा किधर गया तिनके तिनके से जोड़ा था वो छज्जा किधर गया धूप में तप तप कर मैं लायी थी तिनका बड़ी ही मेहनत से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 219 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read है कौन वहां शिखर पर है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है तुम में है कुछ बात वो ही वहां से बतला रहा है जानो खुद को पहचानो खुद को कह रहा... Poetry Writing Challenge-2 · Life · कविता 165 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read किसी नदी के मुहाने पर किसी नदी के मुहाने पर जाना जब सब कुछ हाथ से छूट रहा हो कुछ भी समझ ना आ रहा हो समय का बन्द फिसलता जा रहा हो तब किसी... Poetry Writing Challenge-2 · Love · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 128 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हे कौन वहां अन्तश्चेतना में हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन हो कर देखता जिसने देखा तुम्हारा बाल्यपन ओर युवा अवस्था तुम्हारे विचलन और मौन को देखता हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 1 107 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 147 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read गीत मौसम का मधुर गुंजन करता आया मौसम रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम मस्त पवन के झोंके तन मन को आनंदित कर जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नव सृजन के गीत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 130 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 143 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 6 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Hindi · कविता · गीतिका 1 200 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 Dec 2023 · 1 min read बुढ़िया काकी बन गई है स्टार साल में एक बार आती है उस बुढ़िया के चेहरे पर मुस्कान जब बड़े बड़े लाउडस्पीकर से होने लगते हैं प्रचार होने लगते हैं भाषण और सुनाई देने लगती है... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 1 222 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2023 · 1 min read खुद से मिल हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Hindi · कविता · संस्मरण 3 217 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Aug 2023 · 1 min read राम वन गमन हो गया राम वन गमन हो गया हाय रे विधाता ये क्या हो गया अयोध्या देख कैसे सुनी हो गई जैसे कोई सुहागन विधवा हो गई कोई तो करो जतन कोई तो... Hindi · Mythology · अखंड भारत · कविता · लघु कथा · संस्मरण 2 602 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 20 Aug 2023 · 1 min read गीत मौसम का मधुर गुंजन करता आया मौसम रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम मस्त पवन के झोंके तन मन को आनंदित कर जाते हैं ऐसे मौसम में ही नव सृजन के गीत गाये... Hindi · कविता · मुक्तक 1 280 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Aug 2023 · 1 min read यह हिन्दुस्तान हमारा है तन मन धन इस पर वारा है यह हिन्दुस्तान हमारा है भारत में वीर महान हुए श्री रामचन्द्र भगवान हुए लंकापति रावण मारा है यह हिन्दुस्तान हमारा है यहां जन्मे... Hindi · अखंड भारत · अखंड हिंदू राष्ट्र · कविता · भारतीय संस्कृति · संस्मरण 2 945 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 28 Jul 2023 · 1 min read वृक्ष बन जाओगे "हे पॖकृति तुम्हे समर्पित एक बीज करते है हम अपनी एक छोटी सी पहल करते है " एक बीज पौधा बना अब एक वृक्ष बनने की यात्रा को शुरू कर... Hindi · कविता 2 183 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 19 Jul 2023 · 1 min read निज धर्म सदा चलते रहना जाने कौन डगर को ठहरे कदम हमारे रस्ते हमारी राह निहारे आंखों ने कुछ ख्वाब है देखे हम अभी से क्या ही बतलाये अभी फूलों का रस्ता है राह सुहानी... Hindi · कविता 3 204 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Jul 2023 · 1 min read हे चाणक्य चले आओ चन्द्रगुप्त ओर चाणक्य के मिलन से ही नवनिर्माण हुआ था एक शिष्य ने गुरू के वचनो को शिरोधार्य किया था कठिन चुनौती अथक परिश्रम ओर साहस से एक साधारण सा... Hindi · Emotional · Motivation · कविता 2 164 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Jul 2023 · 1 min read चोला रंग बसंती चोला रंग बसंती पहन जो इंकलाब को गाता था जिसके कतरे कतरे में आजादी का सपना आता था मां भारती की बेड़ियां देख लहू जिसका उबला था लायलपुर का जन्मा... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · लेख · संस्मरण 5 2 250 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Jul 2023 · 1 min read झील किनारे पलो से किये है तैयार लम्हे तुम्हारे लिए एक दिन आना तुम ख्वाब में हमारे लिए तुम को अपनी प्यारी दुनिया में ले जाएंगे कुछ नगमे जो लिखे हैं झील... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · संस्मरण 2 319 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 10 Jun 2023 · 1 min read बस्ता वो जो मुझ से कभी छूटा नहीं वो जो मेरे साथ बचपन से रहा मेरे अध्ययन के सफर के साथी मेरे शून्य से शिखर के दर्शक तु नये नये रूपो... Hindi · कविता · संस्मरण 1 197 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Jun 2023 · 1 min read निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए बहती नदियां की तरह बहते रहिए पथ की सुगमता क्या पथ की जटिलता क्या जो भी मिले वरण कीजिए निरन्तरता ही जीवन है चलते... Poetry Writing Challenge · Life Quotes · कविता · कविता/गीतिका · जीवन एक सुंदर सपना · जीवन सार 2 570 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Jun 2023 · 1 min read कैसे अम्बर तक जाओगे कैसे अम्बर तक जाओगे जिसने चुनौतियों का वरण ना कर सहज भाव में जीवन को स्वीकार किया क्या उसने जीवन का आनंद लिया जो खुद को गर ना कर पाये... Poetry Writing Challenge · Ahsaas · Hindi Kavita · Life Quotes · कविता · ग़ज़ल 1 318 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read उठो पथिक थक कर हार ना मानो उम्मीद की किरण बन आया अँधेरा चीर कर सूरज आया पंक्षी फिर चहकने लगे गगन में फिर झरनों ने गीत मधुर गाया ऋतुओं ने खिलाये फूल भंवरों ने गुंजन किया... Poetry Writing Challenge · कविता · जीवन · शौर्य · संस्मरण 4 227 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read किस कदर है व्याकुल किस कदर है व्याकुल धरा और गगन मेल हो जाऐ इनका करो कुछ जतन तुम निहारो तो सही गगन की तरफ कुछ कह रहा है वो गुनगुनाते हुए हवाऐ बनी... Poetry Writing Challenge · कविता · ग़ज़ल · संस्मरण 5 141 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 May 2023 · 1 min read मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ सहज भाव से लेखनी को लेकर अपने हाथ मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ कभी नदियाँ कभी अम्बर कभी पंक्षी कभी समुंदर कभी बारिश कभी बुन्दो पर लिख... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 4 2 564 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 19 May 2023 · 1 min read सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता चल पड़े है कदम जहां ले चले रस्ता टिकट कटा कर बैठ गये है अब तो हम गाड़ी में देखा जाएगा... Poetry Writing Challenge · कविता · कोटेशन · मुक्तक · शेर 1 306 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 May 2023 · 1 min read चाहता है जो चाहता है जो वो करता क्यों नहीं जो कर रहा वो भी करता क्यों नहीं करता है जो वो तू करता क्यों नहीं सोचा है कभी जो हो रहा है... Poetry Writing Challenge · Life Quotes · Love Life · कविता · ग़ज़ल · गीत 1 624 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 May 2023 · 1 min read चाहता है जो चाहता है जो वो करता क्यों नहीं जो कर रहा वो भी करता क्यों नहीं करता है जो वो तू करता क्यों नहीं सोचा है कभी जो हो रहा है... Hindi · Life · कविता · संस्मरण 2 456 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 May 2023 · 1 min read कवि की कल्पना जो कवि लिखता है वह भी कल्पना से ही पोषित भाव है जो हो कर भी नहीं ओर जो नहीं हो कर भी होते भाव है जो भी आया कल्पना... Poetry Writing Challenge · कविता · लेख · संस्मरण 276 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read मैं बारिश में तर था शहर में उस रोज बारिश थी और मैं बारिश में तर था रिस गई सारी कड़वाहट हृदय की ओर मैंने उस दिन भूला दिया उस गम को पल को लफ्ज़... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 207 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read कल कल करती बेकल नदियां कल कल करती बेकल नदियां किनारों से मेल ना करती नदियां अपने अल्हड़पन बहती नदियां अपने प्रारंभ और प्रारब्ध को जाने नदियां कल कल करती बेकल नदियां जीवन मंत्र देती... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 399 Share Page 1 Next