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15 Feb 2024 · 1 min read

जीवन मर्म

नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो
नीर को तीर पर आते हुए
फिर स्वयं से कुछ सवाल करो
कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो
जैसे आती लहर तीर से वापस होती है
ठीक वैसे ही जीवन की परीक्षा होती है
एक नहीं अनगिनत बार हुआ
लहरों ने तीर को छुआ
पर तीर स्थिर रहा
डटा रहा वैसे ही तुम भी
तीर बनो
थोडे धीर थोड़े गम्भीर बनो
बाधाए आएगी जाएगी
सौ सौ बार तुम्हें छलाएगी
पर तुम डटे रहना अटे रहना

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Books from सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
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