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17 Mar 2025 · 1 min read

सफरनामा....

सफरनामा कुछ यूं रहा
कभी मैं सफर में
कभी सफर मुझ में रहा
हर मोड़ पर मिला कोई मुसाफिर मुझे हर मोड़ पर कोई ना कोई छूटता रहा
सुनहरी यादों के पलों को कैद कर सफर मेरा जारी रहा सफर मेरा जारी रहा
कदमों के निशा छोड़े हैं जिनको ढूंढना है ढूंढ ही लेगा मुझे
अब मैं तो कहीं रूकने से रहा
कही सुबह मखमली देखी इन आंखों ने कभी शाम का नजारा देखा
कभी तारे गिने रातों में तो कभी चांद से खुद को बातें करते देखा
सफरनामा कुछ यूं रहा
कभी मैं सफर में
कभी सफर मुझ में रहा
सुशील मिश्रा ‘क्षितिज राज’

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