Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 1 min read

गीत मौसम का

मधुर गुंजन करता आया मौसम
रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम
मस्त पवन के झोंके
तन मन को आनंदित कर जाते हैं
ऐसे मौसम में ही तो
नव सृजन के गीत गाये जाते हैं
हो कर मलंग इस मौसम को जीलो
हर लम्हे ऐसे सुहाने कहां आते हैं
सुशील मिश्रा( क्षितिज राज)

Language: Hindi
1 Like · 147 Views
Books from सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
View all

You may also like these posts

करगिल दिवस
करगिल दिवस
Neeraj Agarwal
आशा की पतंग
आशा की पतंग
Usha Gupta
मुझे इमकान है
मुझे इमकान है
हिमांशु Kulshrestha
वर्णव्यवस्था की वर्णमाला
वर्णव्यवस्था की वर्णमाला
Dr MusafiR BaithA
तुम पर क्या लिखूँ ...
तुम पर क्या लिखूँ ...
Harminder Kaur
🙅याद रखा जाए🙅
🙅याद रखा जाए🙅
*प्रणय*
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
उॅंगली मेरी ओर उठी
उॅंगली मेरी ओर उठी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आज़ादी की चाह
आज़ादी की चाह
अरशद रसूल बदायूंनी
दोहे : राघव
दोहे : राघव
Rita Singh
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
Lokesh Sharma
जितना अधिक आप अपने जीवन की प्रशंसा करते हैं और जश्न मनाते है
जितना अधिक आप अपने जीवन की प्रशंसा करते हैं और जश्न मनाते है
ललकार भारद्वाज
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
Anand Kumar
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जो चाहने वाले होते हैं ना
जो चाहने वाले होते हैं ना
पूर्वार्थ
श्रध्दा हो तुम ...
श्रध्दा हो तुम ...
Manisha Wandhare
" सुनो जरा "
Dr. Kishan tandon kranti
--> पुण्य भूमि भारत <--
--> पुण्य भूमि भारत <--
Ankit Halke jha
तुलसी के मानस में राम
तुलसी के मानस में राम
Bharti Das
ज्यामिति में बहुत से कोण पढ़ाए गए,
ज्यामिति में बहुत से कोण पढ़ाए गए,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
4614.*पूर्णिका*
4614.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
Rj Anand Prajapati
श्रृंगार रस पर मुक्तक
श्रृंगार रस पर मुक्तक
Dr Archana Gupta
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कुछ ज़ख्म अब
कुछ ज़ख्म अब
Sonam Puneet Dubey
तिलक लगाओ माथ या,
तिलक लगाओ माथ या,
sushil sarna
दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,
दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,
umesh vishwakarma 'aahat'
सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
स्त्री की स्वतंत्रता
स्त्री की स्वतंत्रता
Sunil Maheshwari
Loading...