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23 May 2023 · 1 min read

मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ

सहज भाव से लेखनी को लेकर अपने हाथ
मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ
कभी नदियाँ कभी अम्बर
कभी पंक्षी कभी समुंदर
कभी बारिश कभी बुन्दो
पर लिख देता हूँ
कभी बदलते वेश
कभी बदलते परिवेश
पर लिख देता हूँ
कभी कोई घटना
जो झकझोर देती
हृदय की गहराइयों को
उस पर लिख देता हूँ
लेखनी को लेकर हाथ
मैंने कोशिश की
कविता तुम ने उसमें स्वर दिये
लोगो से अपनी बात कही
सहज सब ने मुझ को सहर्ष
स्वीकार किया है
सुशील तब जा कर
सुशील से “क्षितिज राज” हो पाया है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

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