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19 Jul 2023 · 1 min read

निज धर्म सदा चलते रहना

जाने कौन डगर को ठहरे कदम हमारे
रस्ते हमारी राह निहारे
आंखों ने कुछ ख्वाब है देखे
हम अभी से क्या ही बतलाये

अभी फूलों का रस्ता है
राह सुहानी लगती है
पर हम को मालूम है
अभी शूलो का आना बाकी है

पथ में पर पथिक चिन्ता कैसी
राह मिलेगी कहीं फूल
तो कहीं शूलों की
चलना निज धर्म सदा चलते रहना

सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

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