Jaikrishan Uniyal Tag: कविता 210 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Jaikrishan Uniyal 5 Dec 2020 · 2 min read उजाला और धूप! उजाला बनाया जा सकता है धूप नहीं, यह बात व्यंग्यकार समत सरल ने कही, और बहुत ही तर्कसंगत एवं सटीक बात कही! इसके कहने के निहितार्थ क्या हैं, मनुष्य स्वयं... Hindi · कविता 1 5 376 Share Jaikrishan Uniyal 22 Nov 2020 · 2 min read जिद कहें या हठ बात तो एक ही है! हम जिद कर बैठते हैं, अपनी मनवाने के लिए, वो हठ कर डालते हैं, न मानने के लिए! हमारी जिद और उनकी हठ, जूझने लगती है, पल, दो पल, घड़ी,... Hindi · कविता 1 4 320 Share Jaikrishan Uniyal 16 Nov 2020 · 2 min read सर्वोच्च न्यायालय और वर्तमान परिवेश!! कुणाल कामरा, क्या खराब हो गया है दिमाग तुम्हारा, सर्वोच्च न्यायालय को आइना दिखाते हो, ऐसा तुम कैसे कर पाते हो, कभी सोचा भी है इसका अंजाम, क्या होगा इसका... Hindi · कविता 3 8 533 Share Jaikrishan Uniyal 10 Nov 2020 · 2 min read आग्रह-पुर्वाग्रह-और दुराग्रह!! सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु निरामय, सब सुखी रहें सभी निरोगी जीवन जीएं, यह आग्रह लेकर चलने वाले, हैं यह सब कितने निराले, अपने संग संग चाहते हैं सबको,, सुख... Hindi · कविता 2 2 520 Share Jaikrishan Uniyal 4 Nov 2020 · 3 min read मनुष्य में पशुता और पशुओं में सहिष्णुता!! मानव में मानव नहीं दिखता, बढ़ रही है मानव में पशुता, इधर पशुओं का व्यवहार भी बदल रहा है, अब उसमें हिंसा की जगह सहिष्णुता का भाव दिखता है, मानव... Hindi · कविता 1 4 283 Share Jaikrishan Uniyal 1 Nov 2020 · 1 min read खुशामद:=खुशी+आमद!! ,"क्षणिकाएं!" खुश धन आमद बराबर खुशामद! खुशियां मिले, बिना आमद, अपनी कहां ऐसी किस्मत, जब भी पाना होता है कुछ, तो करनी पड़ती है, यह खुशामद! खुशामद चाकरी पाने की,... Hindi · कविता 2 4 453 Share Jaikrishan Uniyal 25 Oct 2020 · 1 min read सरकार हमारी बनाओ, मुफ्त वैक्सीन लगाओ!! अन्नपूर्णा,धन लक्ष्मी जी, थी जनता को समझा रही, सरकार हमारी बना दो, मुफ्त वैक्सीन लगवा लो, वैक्सीन का मुल्य समझ आ रहा है, वोट से वैक्सीन का सौदा किया जा... Hindi · कविता 1 309 Share Jaikrishan Uniyal 21 Oct 2020 · 1 min read आत्ममुग्धता से लेकर, अंधभक्ति तक!! आत्ममुग्धता से लेकर अंधभक्ति तक पराकाष्ठा के शिखर पर रहने को आतुर आत्मावलोकन की दरकार है! चल रहा है द्वंध अंदर ही अंदर, किन्तु स्वीकारना दंभ से भरे हुए इस... Hindi · कविता 3 2 591 Share Jaikrishan Uniyal 15 Oct 2020 · 3 min read एंकर सुख! कितना सुकून है एंकर होने में, कितना सुख है एंकर बनने में, हर रोज टीवी पर दिखने को मिलता है, अच्छा होवे या बुरा घटे, अपने चश्मे से दिखाने को... Hindi · कविता 3 2 339 Share Jaikrishan Uniyal 7 Oct 2020 · 1 min read मैं निर्भया हूं, निर्भय होकर वार करुंगी!! मैं बेटी हूं भारत मां की, मुझे जाति-धर्म में ना बांटो तुम, मैं जननी बन कर, जन्म देती हूं, मुझे खांचों में ना बांधों तुम! मैं ही मां हूं, बहन... Hindi · कविता 1 2 427 Share Jaikrishan Uniyal 2 Oct 2020 · 2 min read क्या अब मान लें, आप हैं यह सब मुमकिन है? जब यह नारा सामने आया, मोदी हैं तो सब मुमकिन है, सुनकर हमें भी भ्रम हुआ, यह सब कैसे मुमकिन है! लेकिन जब पुलवामा घट गया, तो प्रतिक्रिया में बालाकोट... Hindi · कविता 2 4 416 Share Jaikrishan Uniyal 27 Sep 2020 · 2 min read बिलों के बिल में मजदूर-किसान!! सरकार बिल लेकर आई है, एक बिल में किसान, एक बिल में मजदूर भाई है, दोनों ही संतुष्ट नहीं, लेकिन सरकार अडिग है, इस बिल की नितांत जरुरत है, इससे... Hindi · कविता 3 5 215 Share Jaikrishan Uniyal 16 Sep 2020 · 2 min read हम प्राइम टाइम देखने में लगे हैं! सुशांत दुनिया से चले गए, रिया को हो गई जेल, अब कंगना की एंट्री हुई,देख सियासत का खेल! सुशांत एक बार नहीं मरा,बार बार मारा गया, और रिया को हत्यारा... Hindi · कविता 2 4 254 Share Jaikrishan Uniyal 10 Sep 2020 · 1 min read पप्पू की बातें!! जिसे वह पप्पू बता रहे थे, उसे उसके भी उसे,पप्पू ठहरा रहे थे, हम भी उसे पप्पू ही जता रहे थे! वो पप्पू हम सबको समझा रहा था, इनका कहा... Hindi · कविता 3 10 412 Share Jaikrishan Uniyal 4 Sep 2020 · 2 min read प्राथमिकता की विश्वसनीयता! प्रतिबद्धता एवं व्यवस्था का आत्मावलोकन!!!! प्राथमिकता है हर किसी को मिले सुविधाएं, जीवन जीने से लेकर,खाने-पीने तक की, पढ़ने-लिखने, और कहने-सूनने की, सोचने-समझने, और चयन करने की, कमाने से लेकर,खर्च करने की। किन्तु प्रतिबद्धता है,जीओ... Hindi · कविता 3 4 521 Share Jaikrishan Uniyal 2 Sep 2020 · 2 min read कांग्रेस!! "भूत-बर्तमान-भविष्य"!! सौ सालों से अधिक का इतिहास है जिसका, कांग्रेस नाम है उसका! एक फिरंगी ने जिसे जन्म दिया है, एक फिरंगन के हाथों में दम तोड रही है, आज मरी-अब... Hindi · कविता 2 4 341 Share Jaikrishan Uniyal 1 Sep 2020 · 3 min read भगवान भरोसे! चलो भाई राम भरोसे, राम भरोसे,राम भरोसे, कभी सुना था ये गाना, इतने वर्षों बाद याद दिलाया, निर्मला सीतारमण ने यह तराना। अर्थ व्यवस्था जो बेजार है, भगवान इसका जिम्मेदार... Hindi · कविता 1 4 538 Share Jaikrishan Uniyal 29 Aug 2020 · 3 min read ये वादा तो न किया था !! साल चौदह में आपने कहा था, अच्छे दिनों को लाने का वादा किया था, दो करोड़ नौकरियां हम देंगे, पंन्द्रह लाख को बैंक खाते में भेजेंगे, सब का साथ सबका... Hindi · कविता 3 4 290 Share Jaikrishan Uniyal 26 Aug 2020 · 2 min read प्रशांत तुम ऐसे तो न थे!! प्रशांत तुम ऐसे तो न थे, फिर क्यों ऐसा कर रहे, तुम प्रशांत हो, हमने तुम्हें चेताया, तुम फिर भी शान्त हो, तुमसे क्षमा मांगने को कहा, तुमने इसे नकार... Hindi · कविता 5 4 461 Share Jaikrishan Uniyal 25 Aug 2020 · 3 min read एक मौत-और इतना शोर! सुशांत-चिर-शान्त,प्रिय एवं परिजन आक्रान्त, जन-मानस दिग्भ्रमित, और मिडिया अशांत। हे सुशांत तुम क्यों मर गये, मिडिया वाले तड़प रहे, जो तुम ना मरे होते, तो यह और क्या दिखा रहे... Hindi · कविता 2 5 263 Share Jaikrishan Uniyal 23 Aug 2020 · 2 min read समय की गति, और सामाजिक परिवेश!! यह कैसा समय आया, अपना भी दिख रहा पराया, पहले मिलने पर हर्षित हो जाया करते थे, अब दिखते हैं तो, दूर से ही मुस्करा कर निकल जाते हैं। बिमारियां... Hindi · कविता 2 2 246 Share Jaikrishan Uniyal 13 Aug 2020 · 2 min read ये अब मुझे, मरने भी नहीं देती!! बना-और बनी जब गये हम बन, मिल गया एक नव जीवन, अब तक मात -पिता एवं भाई भौजाई, यही तो थे अपने मन मस्तिष्क में समाए, कभी-कभार बहने और भतीजे,... Hindi · कविता 3 8 466 Share Jaikrishan Uniyal 6 Aug 2020 · 2 min read हे निरीह प्राणी तू चाहता क्या है? हे निरीह प्राणी तू क्या चाहता है, क्या मैं अपना अधिकार छोड़ दूं, क्या मैं अपना विवेक खो दूं, और तेरी खिदमत में लग जाऊं, अपने अरमानों को जला दूं,... Hindi · कविता 1 4 336 Share Jaikrishan Uniyal 6 Aug 2020 · 3 min read रक्षा सूत्र से रक्षा बंधन तक, का पड़ाव!! कहते हैं पहली बार, माता लक्ष्मी ने, राजा बलि को, रक्षा सूत्र बांध कर, इसका सूत्र पात किया था, चुंकि,श्री हरि विष्णु जी को, राजा बलि ने अपने महल में,... Hindi · कविता 2 2 359 Share Jaikrishan Uniyal 3 Aug 2020 · 2 min read स हा रा !! जब जीवन में हताशा भर जाए, मन उच्चाट सा हो जाए, जीने की इच्छा मिट जाए। तब कांधे पर कोई हाथ धरे, और मुस्कान भरे लहजे में कहे, क्या बात... Hindi · कविता 3 10 436 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jul 2020 · 2 min read मोदी-जिनपिंग वार्ता!! एक काल्पनिक आधार!? हाल के घटनाक्रम से, मोदी जी को आघात लगा, जब से चीन ने, सीमाओं पर अतिक्रमण किया, तब मोदी जी ने, जिनपिंग से कहा, भाई मेरे तू ये बता,क्या है... Hindi · कविता 3 4 320 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jul 2020 · 1 min read इंच भर!! इंच है एक पैमाना, चाहे कुछ भी हो नापना, किन्तु बन गया है यह, प्रतिष्ठा को आंकने का , एक अजीब सा नजराना। हम एक इंच भी अपनी, जमीन नहीं... Hindi · कविता 4 8 491 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jul 2020 · 2 min read .................. शोषण!! शोषण एक मानसिक बिमारी है, शोषित होना लाचारी है, हम इसे सहजता से लेते हैं, हर रोज,हर बात पर शोषित होते रहते हैं, हमें अपनी सामर्थ्य का आभास रहता है,... Hindi · कविता 3 2 281 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jul 2020 · 2 min read ................................मंडियां!! देखा है मैंने भी कभी, मंडियों को लगते हुए, बचपने में होके उत्सुक, जाते थे हम दौड़े हुए, आज गांव के तप्पड में, बैलों की मंडी लगने को है, बैलों... Hindi · कविता 2 6 621 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jul 2020 · 2 min read ..................... करवट!! करवट, ऐसा कौन है जो करवट नहीं बदलता, बदलना पड़ता है, जब एक ही स्थिति में, रहते हुए थक जाते हैं, तो मजबूरन करवट बदल जाते हैं। जीवन में ना... Hindi · कविता 5 8 706 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2020 · 1 min read एनकाउंटर!! फिर हो गया है एनकाउंटर, पर पहली बार नहीं हुआ है, अनेकों बार इस प्रक्रिया को अपनाया गया है, तो अब कोई नयी बात नहीं हुई है। नया तो बस... Hindi · कविता 5 4 488 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2020 · 2 min read अब आ भी जाओ तुम अवतारी! अब आ भी जाओ तुम अवतारी, राह देख रहे हैं हम तुम्हारी, सुनते हैं तुम, आते रहते हो, भक्तों के कष्टों को हरते हो, मैं भी तो हूं भक्त तुम्हारा,... Hindi · कविता 6 8 279 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jul 2020 · 2 min read नित बढ़ रहें हैं जिनके दाम! डीजल पैट्रोल हैं इनके नाम!! विगत कुछ दिनों से, थोड़े-थोडे करके, बढ़ते रहे, जिनके दाम, डीजल पैट्रोल हैं इनके नाम। यूं तो इनके बढ़ने का सिलसिला, तब शुरू हुआ था, जब देश में मनमोहन सिंह... Hindi · कविता 2 7 198 Share Jaikrishan Uniyal 29 Jun 2020 · 2 min read कोरोना को भगाने के लिए, आत्मबल का संबल चाहिए!! सर्दी खांसी पहले भी होती थी, कितने ही बार इसको झेला है, जुखाम बुखार भी कितनी बार हुआ, इसको भी बार बार झेला है, कभी ना हम इनसे घबराए, जितना... Hindi · कविता 4 2 323 Share Jaikrishan Uniyal 27 Jun 2020 · 3 min read चीन के चक्कर में चल पड़ी चिक-चिक! चीन ने गलवन घाटी में, बढ़ाई अपनी सक्रियता, आम आदमी को चल गया, जल्दी ही इसका पता। डेढ़ माह तक तो, दोनों ने सब्र से काम लिया, फिर एक दिन... Hindi · कविता 2 4 419 Share Jaikrishan Uniyal 22 Jun 2020 · 1 min read मित्रों नेक सलाह पर ध्यान धरो!! सीमाओं पर है तनातनी, युद्ध की है आशंका बनी, यदि ना सुलझा यह विवाद, तो सुनाई देगी, गोला-बारूद की ध्वनि। इस चीन को अचानक क्या हुआ, किसलिए हैं हमसे रुठ... Hindi · कविता 4 6 270 Share Jaikrishan Uniyal 20 Jun 2020 · 2 min read जिसे पलकों पर बिठाया ,वहीं काट खाने को आया!! हे जिनपिंग तूने यह क्या करवाया, पहले विषाणु से सारे जग को रुलाया, अब तूने सैनिकों को मरवाया, तूझे मानवता की परवाह नहीं है क्या? हमने पिछले घावों को भुलाया... Hindi · कविता 2 4 280 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jun 2020 · 3 min read मनरेगा का अर्थ शास्त्र!! सौ दिन का है काम, मनरेगा है नाम, खर्च का ब्यौरा, एक दिन का, टमाटर सब्जी पर रुपए बीस, दूध-दही पर खर्च होते तीस, दाल तेल नमक मिर्च मसाले,आटा, चावल... Hindi · कविता 4 4 572 Share Jaikrishan Uniyal 17 Jun 2020 · 3 min read पड़ोसी की अहमियत!! हमारे लिए पड़ोसी की कितनी अहमियत है, यह पड़ोसी के व्यवहार पर निर्भर है, पड़ोसी सुख-दुख में सहायक होता है, पड़ोसी पर अपनों से ज्यादा भरोसा भी होता है। लेकिन... Hindi · कविता 1 2 525 Share Jaikrishan Uniyal 17 Jun 2020 · 4 min read कोरोना काल की हवाई यात्रा संस्मरण!! हम घर लौटने के लिए, एयरपोर्ट पहुंचे, वहां का नजारा पिछले दिनों से बदला हुआ दिख रहा, हर नागरिक एक दूसरे से दूर होकर था चल रहा, आज हमें पहली... Hindi · कविता 2 4 250 Share Jaikrishan Uniyal 15 Jun 2020 · 2 min read अपनी छत! कैसी भी हो अपनी छत, अपनी ही होती है, जब चाहे, उस पर चढ़ जाओ, जब चाहे उतर आओ, ना कोई ठोका-टोकी, ना किसी से बक झक होती । जैसा... Hindi · कविता 1 374 Share Jaikrishan Uniyal 9 Jun 2020 · 1 min read जीवन जीना सबकी जरूरत है!! जीवन जीना सबकी जरूरत, जीने को सभी प्रयत्नरत्त, अपनी सुविधा, अपनी हैसियत, जो हो जाए, जितना मिल जाए, उसमें ही हम रम जाते, स्वंयम कमाते, सपरिवार मिलकर हैं खाते, दुआ... Hindi · कविता 3 3 264 Share Jaikrishan Uniyal 8 Jun 2020 · 5 min read उडान एक संस्मरण हवाई यात्रा पर! ************************ मैं और मेरी पत्नी,ने भरी उड़ान, इंडिगो एयरलाइंस का था विमान, मैंने तो इससे पहले भी, एक बार,यह यात्रा कर ली थी, किन्तु पत्नी... Hindi · कविता 4 4 550 Share Jaikrishan Uniyal 5 Jun 2020 · 2 min read न जांण कख पैट्यां छ? गढ़वाली भाषा में पलायन पर वर्णित## ####################### घर कुड़ी तैं,छोडी-बाडीक, न जाण कख पैट्यां छा, बै-बुबों, भाई-बहणौं तैं,छोडी--छाडीक न जाण कख पैट्यां छा, डोखरी-पोखरी, बांझी छोडीक,न जाण किलै पैट्यां छा।... Hindi · कविता 516 Share Jaikrishan Uniyal 3 Jun 2020 · 3 min read आत्महत्या की नौबत क्यों आए? जब इंसान का संघर्ष, विफल हो जाता, और संघर्ष वह नहीं कर पाता, तब निराशा का भाव प्रबल होकर, उसे जीवन जीने के, सारे विकल्प से हताश-निराश, आगे आने वाले... Hindi · कविता 2 2 542 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jun 2020 · 2 min read धैर्य! नहीं दिखाया? धैर्य नहीं दिखाया ,*******""******, यह बयान आज आया, अपने देश के श्रमिकों ने, धैर्य नहीं दिखाया, कृषि मंत्री ने बताया। एक तरह से उन्होंने, यह ठीक ही कहा है, जब... Hindi · कविता 2 2 282 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jun 2020 · 2 min read उथल-पुथल!! भारी उथल-पुथल है, मेरे ही, अंतर्मन में, मैं क्या जानूं, क्या हो रहा है, किसी और के, अंतर्मन में, इतना कुछ , हो गया है, आज कल में, किन्तु, मैं,... Hindi · कविता 3 5 305 Share Jaikrishan Uniyal 28 May 2020 · 3 min read बेबसी ही हर मुसीबत की जड़ है!!भाग एक। भाग एक!! विडंबना तो देखिए, रेलें गंतव्य से भटक गई, तो उसे, एक योजना का रंग दे डाला, रेलें विलम्बित हुई तो इसका भी कारण कह डाला, लोगों को खाना... Hindi · कविता 4 4 208 Share Jaikrishan Uniyal 26 May 2020 · 2 min read जो कहर बनकर आया है,! वह अवसर बनकर जाएगा? यह महामारी जिसने दुनिया को हिला दिया, जिसने हमारे वजूद को झकझोर दिया, जिसके कारण हमने कष्ट सहा, जिससे जाने कितने घर बरबाद हुए, जिससे ना जाने कितने बच्चे अनाथ... Hindi · कविता 2 3 307 Share Jaikrishan Uniyal 25 May 2020 · 2 min read हम स्वार्थ से वशीभूत हैं! हम स्वार्थ से वसीभूत हैं, अपने सुख-दुख तक सीमित हैं, अपने कष्ट हमसे सहे नहीं जाते, दूसरों के कष्ट हमें ना सताते। ऐसा युग युगांतर से ही रहा है, एक... Hindi · कविता 1 2 305 Share Previous Page 2 Next