आपने सही कहा है, लेकिन हम जैसे लोग तो सिर्फ़ अपने विचार व्यक्त करने तक ही सीमित हैं, कोई भी निर्णय लेना सरकार के हाथ में है, और सरकार स्वयं उलझन से बाहर नहीं निकल पा रही है, साथ ही यह भी सत्य है कि उसे इतनी ताकत हमारे हुक्मरानों ने ही दी है उसके साथ व्यापार बढा कर, अब बहिष्कार करने से क्या कुछ हो पाएगा, फिर भी कुछ तो करके दिखाया जाना चाहिए, आपकी टिप्पणी के लिए आभार व्यक्त करता हूं।
सांप को को मित्र बनाने से वह अपनी प्रकृति नहीं छोड़ता किसी न किसी दिन आपको अवश्य डंसता है।
यह आपकी भूल ही है जो आपने पिछली गलतियों से सबक नहीं लिया उसका परिणाम अब भोगना पड़ रहा है। आपने चीन पर विश्वास करके एक भयंकर भूल की है। यदि अभी भी समय रहते नहीं संभले तो चीन भारत की भूमि हड़पने और भारत को तबाह करने से बाज नहीं आएगा। हम सभी को एकजुट होकर ओछी राजनीति से हटके इसका सामना करना पड़ेगा तभी शांति स्थापित हो सकेगी।
धन्यवाद !
धन्यवाद उमा जी, हां यह तो बहुत पुरानी युक्ति है, लोहे को लोहे से ही काटा जाता है!