Jaikrishan Uniyal Language: Hindi 240 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Jaikrishan Uniyal 1 Jul 2020 · 2 min read नित बढ़ रहें हैं जिनके दाम! डीजल पैट्रोल हैं इनके नाम!! विगत कुछ दिनों से, थोड़े-थोडे करके, बढ़ते रहे, जिनके दाम, डीजल पैट्रोल हैं इनके नाम। यूं तो इनके बढ़ने का सिलसिला, तब शुरू हुआ था, जब देश में मनमोहन सिंह... Hindi · कविता 2 7 199 Share Jaikrishan Uniyal 29 Jun 2020 · 2 min read कोरोना को भगाने के लिए, आत्मबल का संबल चाहिए!! सर्दी खांसी पहले भी होती थी, कितने ही बार इसको झेला है, जुखाम बुखार भी कितनी बार हुआ, इसको भी बार बार झेला है, कभी ना हम इनसे घबराए, जितना... Hindi · कविता 4 2 324 Share Jaikrishan Uniyal 27 Jun 2020 · 3 min read चीन के चक्कर में चल पड़ी चिक-चिक! चीन ने गलवन घाटी में, बढ़ाई अपनी सक्रियता, आम आदमी को चल गया, जल्दी ही इसका पता। डेढ़ माह तक तो, दोनों ने सब्र से काम लिया, फिर एक दिन... Hindi · कविता 2 4 420 Share Jaikrishan Uniyal 22 Jun 2020 · 1 min read मित्रों नेक सलाह पर ध्यान धरो!! सीमाओं पर है तनातनी, युद्ध की है आशंका बनी, यदि ना सुलझा यह विवाद, तो सुनाई देगी, गोला-बारूद की ध्वनि। इस चीन को अचानक क्या हुआ, किसलिए हैं हमसे रुठ... Hindi · कविता 4 6 271 Share Jaikrishan Uniyal 20 Jun 2020 · 2 min read जिसे पलकों पर बिठाया ,वहीं काट खाने को आया!! हे जिनपिंग तूने यह क्या करवाया, पहले विषाणु से सारे जग को रुलाया, अब तूने सैनिकों को मरवाया, तूझे मानवता की परवाह नहीं है क्या? हमने पिछले घावों को भुलाया... Hindi · कविता 2 4 281 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jun 2020 · 3 min read मनरेगा का अर्थ शास्त्र!! सौ दिन का है काम, मनरेगा है नाम, खर्च का ब्यौरा, एक दिन का, टमाटर सब्जी पर रुपए बीस, दूध-दही पर खर्च होते तीस, दाल तेल नमक मिर्च मसाले,आटा, चावल... Hindi · कविता 4 4 572 Share Jaikrishan Uniyal 17 Jun 2020 · 3 min read पड़ोसी की अहमियत!! हमारे लिए पड़ोसी की कितनी अहमियत है, यह पड़ोसी के व्यवहार पर निर्भर है, पड़ोसी सुख-दुख में सहायक होता है, पड़ोसी पर अपनों से ज्यादा भरोसा भी होता है। लेकिन... Hindi · कविता 1 2 526 Share Jaikrishan Uniyal 17 Jun 2020 · 4 min read कोरोना काल की हवाई यात्रा संस्मरण!! हम घर लौटने के लिए, एयरपोर्ट पहुंचे, वहां का नजारा पिछले दिनों से बदला हुआ दिख रहा, हर नागरिक एक दूसरे से दूर होकर था चल रहा, आज हमें पहली... Hindi · कविता 2 4 251 Share Jaikrishan Uniyal 15 Jun 2020 · 2 min read अपनी छत! कैसी भी हो अपनी छत, अपनी ही होती है, जब चाहे, उस पर चढ़ जाओ, जब चाहे उतर आओ, ना कोई ठोका-टोकी, ना किसी से बक झक होती । जैसा... Hindi · कविता 1 375 Share Jaikrishan Uniyal 9 Jun 2020 · 1 min read जीवन जीना सबकी जरूरत है!! जीवन जीना सबकी जरूरत, जीने को सभी प्रयत्नरत्त, अपनी सुविधा, अपनी हैसियत, जो हो जाए, जितना मिल जाए, उसमें ही हम रम जाते, स्वंयम कमाते, सपरिवार मिलकर हैं खाते, दुआ... Hindi · कविता 3 3 265 Share Jaikrishan Uniyal 8 Jun 2020 · 5 min read उडान एक संस्मरण हवाई यात्रा पर! ************************ मैं और मेरी पत्नी,ने भरी उड़ान, इंडिगो एयरलाइंस का था विमान, मैंने तो इससे पहले भी, एक बार,यह यात्रा कर ली थी, किन्तु पत्नी... Hindi · कविता 4 4 551 Share Jaikrishan Uniyal 5 Jun 2020 · 2 min read न जांण कख पैट्यां छ? गढ़वाली भाषा में पलायन पर वर्णित## ####################### घर कुड़ी तैं,छोडी-बाडीक, न जाण कख पैट्यां छा, बै-बुबों, भाई-बहणौं तैं,छोडी--छाडीक न जाण कख पैट्यां छा, डोखरी-पोखरी, बांझी छोडीक,न जाण किलै पैट्यां छा।... Hindi · कविता 517 Share Jaikrishan Uniyal 3 Jun 2020 · 3 min read आत्महत्या की नौबत क्यों आए? जब इंसान का संघर्ष, विफल हो जाता, और संघर्ष वह नहीं कर पाता, तब निराशा का भाव प्रबल होकर, उसे जीवन जीने के, सारे विकल्प से हताश-निराश, आगे आने वाले... Hindi · कविता 2 2 544 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jun 2020 · 2 min read धैर्य! नहीं दिखाया? धैर्य नहीं दिखाया ,*******""******, यह बयान आज आया, अपने देश के श्रमिकों ने, धैर्य नहीं दिखाया, कृषि मंत्री ने बताया। एक तरह से उन्होंने, यह ठीक ही कहा है, जब... Hindi · कविता 2 2 283 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jun 2020 · 2 min read उथल-पुथल!! भारी उथल-पुथल है, मेरे ही, अंतर्मन में, मैं क्या जानूं, क्या हो रहा है, किसी और के, अंतर्मन में, इतना कुछ , हो गया है, आज कल में, किन्तु, मैं,... Hindi · कविता 3 5 306 Share Jaikrishan Uniyal 28 May 2020 · 3 min read बेबसी ही हर मुसीबत की जड़ है!!भाग एक। भाग एक!! विडंबना तो देखिए, रेलें गंतव्य से भटक गई, तो उसे, एक योजना का रंग दे डाला, रेलें विलम्बित हुई तो इसका भी कारण कह डाला, लोगों को खाना... Hindi · कविता 4 4 210 Share Jaikrishan Uniyal 26 May 2020 · 2 min read जो कहर बनकर आया है,! वह अवसर बनकर जाएगा? यह महामारी जिसने दुनिया को हिला दिया, जिसने हमारे वजूद को झकझोर दिया, जिसके कारण हमने कष्ट सहा, जिससे जाने कितने घर बरबाद हुए, जिससे ना जाने कितने बच्चे अनाथ... Hindi · कविता 2 3 308 Share Jaikrishan Uniyal 25 May 2020 · 2 min read हम स्वार्थ से वशीभूत हैं! हम स्वार्थ से वसीभूत हैं, अपने सुख-दुख तक सीमित हैं, अपने कष्ट हमसे सहे नहीं जाते, दूसरों के कष्ट हमें ना सताते। ऐसा युग युगांतर से ही रहा है, एक... Hindi · कविता 1 2 306 Share Jaikrishan Uniyal 24 May 2020 · 2 min read ज्योति!! यह गजब की ज्योति है, जिसमें साहस की शक्ति है, जिसमें भावना की भक्ति है, जिसमें असहाय पिता की बेबसी से, पार पाने की भी शक्ति है, यह वही ज्योति... Hindi · कविता 3 2 285 Share Jaikrishan Uniyal 23 May 2020 · 5 min read कोरोना अप डेट!! कोरोना का संक्रमण जब चीन में ही चल रहा था, तभी कुछ समाचारों में यह चर्चा का विषय बन रहा था, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे, रोकने को प्रयास किया... Hindi · कविता 1 2 276 Share Jaikrishan Uniyal 22 May 2020 · 2 min read चुक हुई है तो, स्वीकारते क्यों नहीं? माना कि कोई बिमारी नहीं चाहता है, लेकिन उसे नजर अंदाज़ कर आता है, तभी वह उस बिमारी में फंस जाता है, और यदि वह बिमारी सक्रंमण वाली है, तो... Hindi · कविता 1 4 432 Share Jaikrishan Uniyal 21 May 2020 · 2 min read बेबसी हार गयी !व्यवस्था मार गयी!! पिछले पांच-चार दिन, खुब सियासत की बिसात चली है मजदूरों को घर पहुंचाने का नाटक बाजी रही है, कांग्रेसियों ने सरकार से बसों को चलाने का आग्रह किया, सरकार को... Hindi · कविता 2 2 264 Share Jaikrishan Uniyal 20 May 2020 · 2 min read यह सियासत नही तो और क्या है? सड़कों पर चलने को मजबूर ये मजदूर, भूख और प्रयास से व्याकुल हुए ये मजदूर, शासन,प्रशासन की उपेक्षा से आहत ये मजदूर, व्यवस्था के कुप्रबंधन से निराशा में ये मजदूर,... Hindi · कविता 6 4 217 Share Jaikrishan Uniyal 19 May 2020 · 2 min read एक लाख पार!! लो हो गये हम भी,एक लाख के पार, इतने लोगों ने झेल लिया है, इस महामारी का वार । अब हम भी तो हो गये, उन देशों में सुमार, एक... Hindi · कविता 6 6 334 Share Jaikrishan Uniyal 18 May 2020 · 2 min read शब्दों से श्रद्धांजलि!! क्या नाम दूं मैं इस व्यथा को, समझ मैं नहीं पा रहा, हो गया हूं मजबूर इतना, कुछ भी कहा नहीं जा रहा। हुआ ना था मैं आज तक, लाचार... Hindi · कविता 4 6 302 Share Jaikrishan Uniyal 17 May 2020 · 2 min read सीखना होगा !हमें इन सब से सीखना होगा!! सीखना होगा, हमें यह सब सीखना होगा, इन सब लोगों से सीखना होगा, पहले लेन देन की जानते हैं, पेमैंट कैसे करें, शशिकांत दास जी बताते हैं, रोजमर्रा के काम... Hindi · कविता 2 259 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2020 · 3 min read राहत में आम आदमी कहां पर है? आधी रात में शुरू हुआ, ताला बंदी का शोर, ऐसे ही देखा था, हमने नोट बंदी का दौर, आ गई थी अचानक, ताला बंदी की आफत, तैयार नहीं था कोई... Hindi · कविता 2 4 195 Share Jaikrishan Uniyal 15 May 2020 · 2 min read तो ये राहत है? पच्चीस मार्च को आठ बजे, रात का हुआ था आगाज, और तभी,आई यह आवाज, आज की आधी रात से, देश में तालाबंदी शुरू हो जाएगी, और हमें याद आ गई... Hindi · कविता 3 6 254 Share Jaikrishan Uniyal 14 May 2020 · 1 min read पराधिनता का बोध भाव!! स्वाधीन हैं हम तब तक ही, जब तक नहीं किसी का हस्तक्षेप, जैसे ही किसी ने दिया दखल, हमारे जीवन में, अनाधिकार, नहीं कर पाते हम उसे स्वीकार, हो जाते... Hindi · कविता 3 4 499 Share Jaikrishan Uniyal 13 May 2020 · 1 min read लाचार किसान!क्या है समाधान? मजदूर तो दिख ही रहा था बेजार,, अब किसान भी दिखाई दे रहा है लाचार, हर दिन,हर माह उसका श्रम लगता है, किन्तु फल तो उसको,फसल पकने पर मिलता है,... Hindi · कविता 4 5 279 Share Jaikrishan Uniyal 12 May 2020 · 3 min read पाप की हांडी! फूटने को भरी है!! श्रमिकों का श्रम बल , अब लुटने को है, शायद अब पाप का भांडा फूटने को है, धन पतियों के उद्यम, में वृद्धि के लिए, सरकारों ने नियमों में बदलाव... Hindi · कविता 4 7 579 Share Jaikrishan Uniyal 11 May 2020 · 12 min read पांडवों का गृहस्थी जीवन!उत्कर्ष एवं पराभव। शेष भाग पांडवों का यह सर्वोच उत्थान का वैभव काल था, राजसूर्य यज्ञ करके उनकी यश पताका बढ़ गई, उधर दुर्योधन के मन में अपमानित होने से, प्रतिकार की भावना बढ़ने लगी... Hindi · घनाक्षरी 3 3 416 Share Jaikrishan Uniyal 10 May 2020 · 3 min read पांडवों का गृहस्थी जीवन!उत्सर्ग एवं पराभव।। अर्जुन ने स्वयंबर तो जीता, द्रौपदी का वरण भी कर लिया। लेकिन घर पर आकर, माता से परिहास कर बैठे, माता हम अनमोल उपहार लाए हैं, यह वाक्य कह दिया,... Hindi · कविता 2 3 551 Share Jaikrishan Uniyal 9 May 2020 · 3 min read पांडवों की युवावस्था/किशोरावस्था!! कौरव, पांडवों की शिक्षा दिक्षा पुरी हो गई, इधर हस्तिनापुर को युवराज देने की तैयारी चल रही। युवराज के पद के लिए दावेदार हैं यह दो, युधिष्ठिर और दुर्योधन में... Hindi · कविता 1 5 333 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2020 · 2 min read पांडव गाथा। शैशव काल पांडू पुत्रों की यह गाथा, राज कुल में जन्म है पाया। भरत वंश के यह वाहक, कुल दीपक यह ,कुल के नायक। कुंन्ती पुत्र इनका परिचय, अनिश्चय का कारण बन... Hindi · कविता 1 2 438 Share Jaikrishan Uniyal 7 May 2020 · 2 min read मुझ जैसा कोई देवव्रत होता। मैं यदि देवव्रत होता,कभी ऐसी शपथ नहीं लेता। और अगर मजबूर कोई करता, तो अपने तर्कों को मैं रखता। यदि तब भी वह मानें नहीं होते, तो मैं शपथ भी... Hindi · कविता 1 2 433 Share Jaikrishan Uniyal 6 May 2020 · 4 min read देवव्रत से भीष्म पितामह तक। शेष भाग के अंश द्रौपदी को जीत स्वयंम्बर में, पांडव पहुंचे गए अपनी कुटिया में। धीरे-धीरे सबको पता चल गया, पांडव जिंदा हैं, हैं अभी भी इस दुनियां में! भीष्म के मन... Hindi · कविता 4 2 285 Share Jaikrishan Uniyal 5 May 2020 · 4 min read देवव्रत से भीष्म पितामह तक। शांतनु के लाडले, हस्तिनापुर के राजकुमार। मां गंगा के पुत्र हैं यह, मां इनकी प्रेरणा का आधार। गंगा के चले जाने से, शांतनु रह ग्ए थे अकेले, अकेला पन वह... Hindi · कविता 4 4 589 Share Jaikrishan Uniyal 4 May 2020 · 3 min read महाभारत का सूत्रधार । महाभारत के सूत्रधार, इनमें प्रमुख हैं यह चार। भीष्म पितामह,ना चाहते हुए भी, कौरव पक्ष में ही खड़े थे। गांधार राज शकुनि, अपनी बहन के घर पर रहते थे। कहते... Hindi · कविता 1 3 1k Share Jaikrishan Uniyal 3 May 2020 · 4 min read दानवीर कर्ण।। सूर्य पुत्र के रूप में जन्मा, कुन्ती है जन्मदात्री मां। पाल पोस कर बड़ा किया है, वो मुंह बोली है राधेय मां। है नहीं यह क्षतृय वर्ण , तब ही... Hindi · कविता 1 2 577 Share Jaikrishan Uniyal 1 May 2020 · 3 min read धृतराष्ट्र का पुत्र मोह! हस्तिनापुर के महाराज, इनका नाम है धृतराष्ट्र! नेत्रहीनता से संतप्त, अपनी कुंठा में अभिशप्त! राज सिंहासन चाहते अपने अनुकूल, पुत्र मोह में रहते व्याकूल! भीष्म,इनके पिता समान, तात कह कर... Hindi · कविता 2 2 996 Share Jaikrishan Uniyal 28 Apr 2020 · 3 min read अद्भुत है पांचाली का जीवन! यज्ञ कुण्ड से जन्मी पांचाली, द्रौपद की यह बेटी, नाम दिया इसको द्रौपदी ! विवाह को भी एक यज्ञ किया गया, मंछली की आंख का भेदन करना था! यह लक्ष्य... Hindi · कविता 2 3 807 Share Jaikrishan Uniyal 27 Apr 2020 · 2 min read और कितने लोक! मृत्यु लोक जिसे कहते हैं, हम वहीं पर रहते हैं! जीवन-मरण है जिसका कर्म, आवागमन इसका मर्म ! फिर लोग यह क्यों कहते हैं, कुछ तो अच्छा करले प्राणी, लोक-प्रलोक... Hindi · कविता 3 2 329 Share Jaikrishan Uniyal 25 Apr 2020 · 2 min read मृत्यु लोक के हम हैं प्राणी! देखा नही पर,सुना जरूर है, और कई लोक हैं यहाँ पर! कौन वहाँ पर रहते हैं, यह भी हमने सुना यहाँ पर! पर हम तो हैं मृत्यु लोक के प्राणी,... Hindi · कविता 2 739 Share Jaikrishan Uniyal 24 Apr 2020 · 2 min read अपनों के लिए,मर-मर के जी जाएंगे![घरेलू हिंसा पर विचारने हेतु] जीवन के इस सफर में,अब तक मैंने काम किया! याद नही है मुझ को,इससे पहले कभी आराम मिला! जीवन ऐसा ढल गया है अपना ! घर पर बैठ कर समय... Hindi · कविता 519 Share Jaikrishan Uniyal 23 Apr 2020 · 3 min read बगिया की फुलवारी में दो फूल ..प्रतिकात्मक चरित्र प्रसंग..! युद्ध की तैयारी होने लगी, हो गया शंखनाद ! दोनों पक्षों की ओर से,लग गया सेनाओं का अंबार! एक ओर,महारथियों की थी भरमार ! एक ओर, पांच पांडव के साथ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 317 Share Jaikrishan Uniyal 22 Apr 2020 · 2 min read बगिया की फुलवारी में दो फूल ..प्रतिकात्मक प्रसंग ! भाग दो............प्रतीकात्मक प्रस्तुति प्रसंग !.......................... फाँस लिया अपने जाल में,रखा यह प्रस्ताव, जीत गए जो तुम अभी,मैं जाउंगा बनवास, जो हार गए जो तुम अब,जाओगे बनवास! करना पड़ा स्वीकार इसे,मान... Hindi · कविता 1 510 Share Jaikrishan Uniyal 21 Apr 2020 · 2 min read एक बगिया की फुलवारी के वह दो फूल![प्रतिकात्मक.प्रसंग] ..... भाग एक- . प्रथम चरण का संदर्भ ! एक बगिया की वह फुलवारी,जो हरी-भरी बहुत ही प्यारी थी, इस बगिया में खिल आए थे,फूल अनेक! दिखती थी न्यारी सी!... Hindi · कविता 573 Share Jaikrishan Uniyal 20 Apr 2020 · 2 min read सब चलता है! येे जुमला हमने कई बार सुना है,सब चलता है! यह कहते हैं। चलने को चाहे कुछ नहीं चलता,पर अक्सर लोग यही कहते हैं। कब हमने यह सोचा था कि ,हम... Hindi · कविता 1 270 Share Jaikrishan Uniyal 17 Apr 2020 · 2 min read क्यों डरते हैं हम, करने से सच का सामना! डरते हैं हम क्यों,करने से सच का सामना! क्यों नही चाहते,हम उस सच को जानना! आया है जो आज हमारे समुख, चाहता है वह यह जतलाना! मैं ही हूँ एक... Hindi · कविता 2 259 Share Previous Page 3 Next