Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2020 · 5 min read

कोरोना अप डेट!!

कोरोना का संक्रमण जब चीन में ही चल रहा था,
तभी कुछ समाचारों में यह चर्चा का विषय बन रहा था,
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे, रोकने को प्रयास किया था,
किन्तु वह प्रयास आधा-अधूरा ही चल रहा था,
धीरे धीरे इसका फैलाव बढ़ने लगा तो,
चीन से बाहर निकल रहे लोगों से यह फैलने लगा था,
हमारे देश में तब संसद का संचालन जारी था,
संसद में इस विषय को राहुल ने रखा था,
लेकिन तब हमारे स्वास्थ्य मंत्री ने, इस पर ध्यान नहीं दिया,
ज़बाब देने के बजाय, इस प्रकरण को ही छोड़ दिया,
और अन्य विषयों पर भाषण देकर, इसे गैर जरूरी मान लिया,
हद तो तब हो गई जब, एक सांसद महोदय ने ऐसा कहा,
इटली से आए हुए लोगों से यह रोग लाया गया,
उनका इशारा सोनिया-राहुल की ओर ही था,
यदि तब उपहास उड़ाने के बजाए गंभीरता दिखाई होती,
तो जो हालात आज हो रहे, वह हालत आज ना हो रही होती,
अपने अजीबो गरीब मसखरों से यह संसद आवाद है,
संसद में इस गंभीर विषय पर, हुई उपेक्षा आज भी याद है।

अब इस विषाणु का प्रभाव बढ़ने लगा था,
लेकिन सरकार की ओर से अभी भी कोई चर्चा नहीं कर रहा था,
विदेश से लोगों का आवागमन निर्बाध गति से चल रहा था,
ऐसे में पहले-पहल चीन से कुछ छात्र आए थे,
जिनमें से तीन-चार छात्र केरला में आए थे,
जिनका उपचार करने को केरल ने प्रयास किया,
बिना किसी लक्षण-,बिना किसी औषधि के यह उपचार चला,
तब भी सरकार ने विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध नहीं लगाया,
और इसी मध्य जमातियो ने जमावड़ा, दिल्ली में लगाया,
अभी तक इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया,
तभी अमेरिका के राष्ट्र पति का आगमन यहां पर हुआ,
बड़ी-बड़ी तैयारियां इसके लिए होने लगी थी,
ट्रंप महोदय के महोत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही थी,
एक लाख से अधिक लोगों की रैली का सम्मान दिया गया,
स्टेडियम में भी लोगों का जमावड़ा लगा दिया था,
ट्रंप जी के स्वागत में यह सब करना ही था,
कोरोना जैसे विषाणु पर सोचने का अवसर ही कहां था।

अब जब ट्रंप साहेब का जाने का समय आया,
तब तक दिल्ली में दंगों का दौर शुरु हो गया,
यह भी हमारे देश की स्थाई बिमारी है,
विभिन्न क्षेत्रों में यह होती आई है,
हिंदू-मुस्लिम में तो यह स्थाई भाव है,
लेकिन हिंदू-सिखों में भी यह हो चुका है,
ऊंच-नीच में भी यह हो जाता है,
जातियों में भी यह बंट जाता है,
तो ऐसे में दिल्ली दंगों से हलकान हो गई थी,
फिर कोरोना पर सोचने की किसको पड़ी थी।

किन्तु कोरोना तो अपने संक्रमण में जुटा हुआ था,
अपने आगोश में कितनों को ले चुका था,
अब सरकार ने इस विषय पर सोचना प्रारंभ किया,
तब तक मध्य प्रदेश में एक घटना चक्र चल गया,
कमलनाथ की सरकार का इकबाल डोल गया,
सिंधिया के समर्थकों ने समर्थन देना बंद किया,
कुछ दिन तक तो मोल-तोल होता रहा,
लेकिन अब सिंधिया जी का धैर्य भी डोल गया,
राज्य सभा में उन्हें उपेक्षा का डर सता रहा था,
इधर भाजपा ने इसका भरोसा दिया था,,
फिर मध्य प्रदेश की सरकार को गिराया,
अब शिवराज को सत्ता की कमान को थमाया,
सिंधिया को राज्य सभा का प्रत्याशी बनाया,
इतने अहम कामों में व्यस्त रहते,कोरोना पर ध्यान कम आया।

अब कोरोना की जिम्मेदारी का एहसास जनता को कराना था,
इसके लिए जनता कर्फ्यू का प्रयोग आजमाना था,
देश की जनता ने इसे खुब सराहा,
और मनचाहा कर्फ्यू का पालन करवाया,
तो सोच लिया मैं जो चाहूंगा , जनता उसे मान लेगी ,
मेरे कहने के अनुसार वह सब कुछ कर लेती है,
लेकिन इसमें अबके वह चुक गए थे,
लोग कहे गए के बाद अपने उल्लाल में जुट गए थे,
और तब आंकलन ना कर पाना अब भारी पड़ने वाला था,
जब उन्होंने लौकडाउन का आह्वान कर डाला था,
इक्कीस दिन का समय मांगा गया था,
जो जहां है वहीं पर रुक जाए,यह कहा गया था,
सारे काम-धाम रोक दिए गए थे,
धियाड़ी मजदूरों के लिए नहीं सोचा गया था,
अब रोज कमाकर खाने वाले को कुछ नहीं सूझ रहा था,
दो चार दिन तक तो जो रुपया-टका था,
उसमें ही गुजारा चल गया था,
लेकिन बाकी दिनों तक कैसे गुजर होगी,
इससे वह विचलित हो रहा था,
और जब धैर्य ने साथ नहीं दिया,
तो फिर घर को निकल पड़े थे,
और यह सिलसिला जो शुरु हुआ,
तो वह अब तक चल रहा है,
लौकडाऊन का यह चौथा चरण चल रहा है,
लेकिन किया गया कोई भी प्रयास असफल ही रहा है।

सरकार ने जिम्मेदारियों के निर्वाह का आंकलन सही नहीं किया,
और एक महामारी का सही मूल्यांकन नहीं किया,
उससे निपटने का तरीका भी उचित नहीं चुना गया,
गरीब मजदूरों का क्या होगा, इस पर विचार नहीं किया गया,
जो भी कहीं आया-गया था, उसे लौटने के लिए समय नहीं दिया,
रोजमर्रा के जीवन में जुटे लोगों पर विचार नहीं हुआ,
और एक ही आदेश पर लौकडाउन शुरू कर दिया ,
लोकडाउन के जो उद्देश्य रखें गये थे,
वह भी सफल नहीं हुए,
गरीब मजदूर सड़कों पर भटकते रहे थे,
उद्योग धंधे भी बंद पड गये थे,
सारी अर्थ व्यवस्था में बिगाड़ आ गया है,
देश वर्षों पीछे को चला गया है।

अब सरकार ने हाथ-पैर चलाने शुरु किए हैं,
उद्योग धंधे भी शुरू किए हैं,
आने-जाने के मार्ग खोल दिए हैं,
रेल-हवाई सेवा भी प्रारंभ किए जा रहे हैं,
कोरोना के साथ जीने का अभ्यास शुरू किया जा रहा है,
साथ ही साथ में यह भी कहा जा रहा है,
भौतिक दूरी को बनाया जाना अभी जारी है,
यह सब कहके सरकार ने अब हथियार डाल दिए हैं,
सब कुछ जनता के हालात पर छोड़ दिये हैं,
सरकारों ने बहुत कुछ किया है, इसे नकार नहीं सकते,
लेकिन समय पर जनहित के कार्यों को छोड़ नहीं सकते।
और ऐसा ही कुछ हुआ है इस बार,
क्या होगा इसका परिणाम पर नहीं किया गया विचार,
जनता की भी सहने की सीमा होती है,
जब तक वह सह सकती है सहती है,
इसे समझने में सरकार ने कर दी है लेट,
विपक्ष को भी मिला है अवसर, तो वह भी सरकार को रहा लपेट,
सवा लाख तक पहुंच गया आंकड़ा, यह कोरौना का है अपडेट।।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कौशल कविता का - कविता
कौशल कविता का - कविता
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
🍂तेरी याद आए🍂
🍂तेरी याद आए🍂
Dr Manju Saini
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
कवि दीपक बवेजा
#लघुकथा :--
#लघुकथा :--
*Author प्रणय प्रभात*
रिश्ते..
रिश्ते..
हिमांशु Kulshrestha
सबका वह शिकार है, सब उसके ही शिकार हैं…
सबका वह शिकार है, सब उसके ही शिकार हैं…
Anand Kumar
बाबू
बाबू
Ajay Mishra
* शक्ति है सत्य में *
* शक्ति है सत्य में *
surenderpal vaidya
बेड़ियाँ
बेड़ियाँ
Shaily
रण प्रतापी
रण प्रतापी
Lokesh Singh
मां शैलपुत्री
मां शैलपुत्री
Mukesh Kumar Sonkar
चले ससुराल पँहुचे हवालात
चले ससुराल पँहुचे हवालात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बहुत टूट के बरसा है,
बहुत टूट के बरसा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
समाधान से खत्म हों,आपस की तकरार
समाधान से खत्म हों,आपस की तकरार
Dr Archana Gupta
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
Ajay Kumar Vimal
कैद अधरों मुस्कान है
कैद अधरों मुस्कान है
Dr. Sunita Singh
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
Sukoon
जेठ की दुपहरी में
जेठ की दुपहरी में
Shweta Soni
सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
Sanjay ' शून्य'
घर के किसी कोने में
घर के किसी कोने में
आकांक्षा राय
23/172.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/172.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
Phool gufran
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कमबख्त ये दिल जिसे अपना समझा,वो बेवफा निकला।
कमबख्त ये दिल जिसे अपना समझा,वो बेवफा निकला।
Sandeep Mishra
SuNo...
SuNo...
Vishal babu (vishu)
गए हो तुम जब से जाना
गए हो तुम जब से जाना
The_dk_poetry
"नजीर"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
Loading...