Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2020 · 3 min read

बगिया की फुलवारी में दो फूल ..प्रतिकात्मक चरित्र प्रसंग..!

युद्ध की तैयारी होने लगी, हो गया शंखनाद !
दोनों पक्षों की ओर से,लग गया सेनाओं का अंबार!
एक ओर,महारथियों की थी भरमार !
एक ओर, पांच पांडव के साथ खड़े थे गिरधर !
एक पक्ष ने सत्य को सामने अपने पाया !
एक पक्ष ने महारथियों का बल आजमाया !
युद्ध में होने लगा था वार पर वार!
एक पक्ष करने लगा,अब घातक प्रहार !
घातक प्रहार ने कर दिया जब उनको हलकान !
तब दूसरे पक्ष ने, होकर अब किया यह ऐलान !
चक्रव्यू का किया जायेगा अब संधान,
चक्र व्यू का संधान, एवं चल दी एक और चाल !
जो भेद सके इस चक्र को,उसको दो कहीं और टाल !
ऐसे में वह चक्र व्यू भेद ना पाएँगे !
और इस प्रकार हम उन्हें युद्ध में हरायेंगे !
पर इस ओर एक और योद्धा जिसको भेदन थोड़ा आता था !
वह अपने साथियों को यह भरोसा दिलाता था!
कहने लगा वह,छः द्वार मै कर लूँगा पार,
बस बच जाएगा एक और द्वार,! जिसे पार करना नहीं जाना है!
बोले तब एक वीर ,इसको मैंने पार कर जाना है!
हो गए अब युद्ध में एक-दूसरे के समुख !
और पार कर दिए वह सब,जो रखा था लक्ष्य !
लेकिन सातवाँ द्वार ना पार कर पाया,
जिसने कहा था उसे पार करने को,उसे दूसरों ने था उलझाया !
और इस प्रकार,इस वीर ने बीर गति को अपनाया!
यह चोट बडी भारी पाई थी !
जिसने. किया था छल अब उसे मारने की कसम खाई थी!
इस कसम को निभाया गया!और उस अधर्मी को मार गिराया गया!
अब युद्ध में घात प्रतिघात का दौर सामने आते रहे!
एक पक्ष दूसरे पक्ष को आघात पहुंचाते रहे!
इस प्रकार बड़े-बड़े वीर -बीर गति पाते रहे !
अब युद्ध निर्णायक स्थिति में आकर खड़ा था!
सच्चाई को सामने रख कर युद्ध करने वाला, विजय पाने के निकट खड़ा था!
दूसरी ओर वह थे,जो कुछ भी देने से असहमत हुए थे !
जिन्होंने अपने अहंकार में यह युद्ध चुना!
जिस अहंकार के मद में उसने ,अपनों के संग में षड्यंत्र बुना !
उसकी ओर सेअब, उसके अतिरिक्त कोई वीर नहीं रहा !
अब अपनी अंतिम लड़ाई में,उसे स्वयं लड़ना पड़ रहा !
और यह युद्ध बहुत मारक बन गया था!
एक ओर प्रण प्रतिग्या दाँव पर लगा था!
एक ओर प्रतिष्ठा का यह युद्ध बना था !
दोनों दक्छ थे, इस युद्ध कला में!
करते थे वार-पर वार अपनी कला से !
किन्तु एक वीर को विश्वास का अभाव था विकल !
दूसरे वीर में अपनी प्रतिग्या को पाने का था भाव प्रबल !
और साथ में था अवतारी का बुद्धि कौशल !
इसको हासिल कर -कर दिया उसने उसको निर्बल !
और साथ ही जीत लिया वह रण !
जिस पर लगा था उनका अपना प्राण और प्रण !
यों तो जीत लिया युद्ध को,सब कुछ हार कर !
स्वीकार करना पड गया, उसे अपनी नियति मानकर !
युद्ध के उपरांत नये रुप में बगिया को बसाना था!
जो रह गए थे तब जीवित,उनको अपना बनाना था !
यह उन्होंने करके दिखा दिया था!
जिनके पुत्रों ने उनसे युद्ध किया था!
इन्होंने उनको भी अपना ही मान कर उन्हें अपना लिया था!
यही विशेषता रही है इनकी, धर्म का मार्ग कभी ना छोड़ पाए ! समय आने पर बगिया को,अपने उत्तराधिकारी को सौंप गए! स्वयं तीर्थाटन के लिए,हिमालय की ओर चल दिए!
इस प्रकार से एक युद्ध जो अपनों ने अपनों से जीता लड कर !
अपनों की बलियां लेकर,और देकर !
जिसके प्रायश्चित के लिए इन्हें, ईश्वर से प्रार्थना करनी पडी थी!
हर किसी में अपना हुनर होता है,और होती है एक पहचान!
किसी को भी आहत ना करें, यही इस प्रस्तुति का निदान ।
इति!

2 Comments · 276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
"ज्ञान रूपी दीपक"
Yogendra Chaturwedi
चाहत
चाहत
Shyam Sundar Subramanian
कठिन परीक्षा
कठिन परीक्षा
surenderpal vaidya
♥️राधे कृष्णा ♥️
♥️राधे कृष्णा ♥️
Vandna thakur
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
Anand Kumar
👺 #स्टूडियो_वाले_रणबांकुरों_की_शान_में...
👺 #स्टूडियो_वाले_रणबांकुरों_की_शान_में...
*Author प्रणय प्रभात*
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यादों के झरोखों से...
यादों के झरोखों से...
मनोज कर्ण
बेहतरीन इंसान वो है
बेहतरीन इंसान वो है
शेखर सिंह
*अपयश हार मुसीबतें , समझो गहरे मित्र (कुंडलिया)*
*अपयश हार मुसीबतें , समझो गहरे मित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मंत्र  :  दधाना करपधाभ्याम,
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
Harminder Kaur
एस. पी.
एस. पी.
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
Anil chobisa
घर नही है गांव में
घर नही है गांव में
Priya Maithil
ग़ज़ल/नज़्म: एक तेरे ख़्वाब में ही तो हमने हजारों ख़्वाब पाले हैं
ग़ज़ल/नज़्म: एक तेरे ख़्वाब में ही तो हमने हजारों ख़्वाब पाले हैं
अनिल कुमार
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
कवि रमेशराज
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
सम्बन्ध
सम्बन्ध
Shaily
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरे जब से सवाल कम हैं
मेरे जब से सवाल कम हैं
Dr. Mohit Gupta
ज़रूरत के तकाज़ो पर
ज़रूरत के तकाज़ो पर
Dr fauzia Naseem shad
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
Ajay Kumar Vimal
जीवन में शॉर्ट कट 2 मिनट मैगी के जैसे होते हैं जो सिर्फ दो म
जीवन में शॉर्ट कट 2 मिनट मैगी के जैसे होते हैं जो सिर्फ दो म
Neelam Sharma
जन्म दिवस
जन्म दिवस
Jatashankar Prajapati
आदमी की आँख
आदमी की आँख
Dr. Kishan tandon kranti
3031.*पूर्णिका*
3031.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक ऐसा मीत हो
एक ऐसा मीत हो
लक्ष्मी सिंह
खुद से मिल
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...