Jaikrishan Uniyal Tag: कविता 210 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jaikrishan Uniyal 4 May 2020 · 3 min read महाभारत का सूत्रधार । महाभारत के सूत्रधार, इनमें प्रमुख हैं यह चार। भीष्म पितामह,ना चाहते हुए भी, कौरव पक्ष में ही खड़े थे। गांधार राज शकुनि, अपनी बहन के घर पर रहते थे। कहते... Hindi · कविता 1 3 1k Share Jaikrishan Uniyal 25 Apr 2021 · 2 min read ये भेदभाव क्यों हुआ! लोग भेदभाव करते हैं, यह सुना करते थे! कभी कभार देखने को भी मिला, भेदभाव जब किया गया!. इसे करने का उद्देश्य भी रहा, था अपने और पराए का संदेश... Hindi · कविता 2 6 1k Share Jaikrishan Uniyal 1 May 2020 · 3 min read धृतराष्ट्र का पुत्र मोह! हस्तिनापुर के महाराज, इनका नाम है धृतराष्ट्र! नेत्रहीनता से संतप्त, अपनी कुंठा में अभिशप्त! राज सिंहासन चाहते अपने अनुकूल, पुत्र मोह में रहते व्याकूल! भीष्म,इनके पिता समान, तात कह कर... Hindi · कविता 2 2 917 Share Jaikrishan Uniyal 11 Sep 2019 · 1 min read पंचायत चुनाव-अबकी बारी मैं हूँ डिग्री धारी,फिर भी चुनाव लड़ने का नहीं अधिकारी! माना मैं तीन बच्चों का बाप सही,क्या इसलिए चुनाव के योग्य नहीं! हां मैं सवर्ण भी तो हूँ,और चुनाव में... Hindi · कविता 1 813 Share Jaikrishan Uniyal 22 Jan 2021 · 2 min read भक्त वत्सल भगवान-नादान इंसान!! श्रृष्टि के ये तीन देव, ब्रह्मा विष्णु महादेव, भक्त वत्सल है यह त्रिमूर्ति, अद्भुत है इनकी श्रृष्टि; एक जन्म दाता, एक हैं पालक, एक मुक्ति के दाता जीवन सघांरक! तीनों... Hindi · कविता 2 8 790 Share Jaikrishan Uniyal 28 Apr 2020 · 3 min read अद्भुत है पांचाली का जीवन! यज्ञ कुण्ड से जन्मी पांचाली, द्रौपद की यह बेटी, नाम दिया इसको द्रौपदी ! विवाह को भी एक यज्ञ किया गया, मंछली की आंख का भेदन करना था! यह लक्ष्य... Hindi · कविता 2 3 737 Share Jaikrishan Uniyal 18 May 2021 · 2 min read झम झमा झम हुई बरसात! आज रात को जब हुई बरसात, बड़े दिनों के बाद हुई बरसात, खुब जमकर हुई बरसात, झम झमा झम हुई बरसात! गर्मी से जब हम हांफ रहे थे, कुलर पंखे... Hindi · कविता 1 2 705 Share Jaikrishan Uniyal 25 Apr 2020 · 2 min read मृत्यु लोक के हम हैं प्राणी! देखा नही पर,सुना जरूर है, और कई लोक हैं यहाँ पर! कौन वहाँ पर रहते हैं, यह भी हमने सुना यहाँ पर! पर हम तो हैं मृत्यु लोक के प्राणी,... Hindi · कविता 2 665 Share Jaikrishan Uniyal 9 Jun 2018 · 2 min read जीवन-मृत्यु का संघर्ष "एक वानगी" जीवन है संघर्ष पथ, मृत्यु है,कटु एवम् अन्तिम सत्य। जीवन और मृत्यु के मध्य, दूरी है,एक अनिश्चित, प्राणी,तय करता है जब यह सफर, जब कभी पुरी होती है यह यात्रा,... Hindi · कविता 609 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jul 2020 · 2 min read ..................... करवट!! करवट, ऐसा कौन है जो करवट नहीं बदलता, बदलना पड़ता है, जब एक ही स्थिति में, रहते हुए थक जाते हैं, तो मजबूरन करवट बदल जाते हैं। जीवन में ना... Hindi · कविता 5 8 648 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jun 2021 · 4 min read गृहस्थ प्रबंधन! पांच जनों का हो परिवार, तो राशन कितना लगता है, एक वक्त के भोजन का, इतना तो प्रबंधन करना पड़ता है, गेहूं चावल मंडवा झंगोरा, आधे सेर का एक कटोरा!... Hindi · कविता 4 4 630 Share Jaikrishan Uniyal 29 Mar 2021 · 2 min read योग्यता का भ्रम! ना पालो तुम, यूं योग्यता का भ्रम, नहीं है कोई किसी से कम, पहुंचे हो जहां पर तुम, पहुंच सकते थे वहां पर हम, जिसे तुम अपनी योग्यता बताते हो,... Hindi · कविता 1 6 599 Share Jaikrishan Uniyal 9 Apr 2020 · 1 min read लौक डाउन [ताला बंदी] मेरे सपने में आया ! लौक डाउन मेरे सपने में आया! आकर उसने मुझे बताया!! मुझे अभी रुकने को कहा गया है! काम नहीं पुरा हुआ है!! तू तो चाहता था,मैं चला जाऊँ! मुझे कहा... Hindi · कविता 2 2 583 Share Jaikrishan Uniyal 25 May 2021 · 2 min read छलकते आंसू आंखों में क्यों आ जाते हैं आंसू आकर के क्या जतलाते हैं आंसू, चोट लगती है जब शरीर पर, आह उभरती है तब मुख पर, तब निकलने लगते हैं आंसू... Hindi · कविता 2 2 595 Share Jaikrishan Uniyal 24 Jan 2021 · 1 min read नाक की लड़ाई !! अब लग रहा है किसान आन्दोलन, बन गया है नाक की लड़ाई, ना तो सरकार ने मानी बात, ना मान रहे हैं किसान भाई! देश इसे देख रहा है टुकर-... Hindi · कविता 1 6 552 Share Jaikrishan Uniyal 5 May 2020 · 4 min read देवव्रत से भीष्म पितामह तक। शांतनु के लाडले, हस्तिनापुर के राजकुमार। मां गंगा के पुत्र हैं यह, मां इनकी प्रेरणा का आधार। गंगा के चले जाने से, शांतनु रह ग्ए थे अकेले, अकेला पन वह... Hindi · कविता 4 4 555 Share Jaikrishan Uniyal 19 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन का पहला पाठ! आंदोलन कारी! यह है उस दौर की बात, जब मैं गया कक्षा आठ, उम्र थी तब चौदह वर्ष, चुना गया मैं अध्यक्ष, हो रहा था मुझे अति हर्ष, मिला मुझे था एक... Hindi · कविता 1 3 534 Share Jaikrishan Uniyal 8 Jun 2020 · 5 min read उडान एक संस्मरण हवाई यात्रा पर! ************************ मैं और मेरी पत्नी,ने भरी उड़ान, इंडिगो एयरलाइंस का था विमान, मैंने तो इससे पहले भी, एक बार,यह यात्रा कर ली थी, किन्तु पत्नी... Hindi · कविता 4 4 529 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jul 2020 · 2 min read ................................मंडियां!! देखा है मैंने भी कभी, मंडियों को लगते हुए, बचपने में होके उत्सुक, जाते थे हम दौड़े हुए, आज गांव के तप्पड में, बैलों की मंडी लगने को है, बैलों... Hindi · कविता 2 6 565 Share Jaikrishan Uniyal 29 Dec 2017 · 1 min read आविष्कार,आवश्यकता कि जननी है कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार,आवश्यकता कि जननी है, और आविषकार नित नये रुप में मेरे समक्ष आकर, अपनी सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं, और जब भी मैं, उन्हे अमल में... Hindi · कविता 547 Share Jaikrishan Uniyal 24 Apr 2021 · 2 min read वो भी क्या दिन थे! वो भी क्या दिन थे, लगा रहता था घर पर मेहमानों का आना-जाना प्रतिदिन, कब कौन सा मेहमान आ जाए, कब कौन सा चलने को कहे, कौन रुकेगा कितने दिन,... Hindi · कविता 1 6 534 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2018 · 2 min read पक्ष-विपक्ष का तर्क -वितर्क १-वो लुटे पिटे हैं पर घुटे हुए हैं, हैं झूठे नम्बर एक। हम अच्छे हैं,हम सच्चे हैं, हैं,हम सेवक नम्बर एक। दस पांच नही,बीस तीस नही, है,आधा शतक गवांया, हमने... Hindi · कविता 512 Share Jaikrishan Uniyal 20 Apr 2021 · 1 min read माता का दरबार सजा है! माता का दरबार सजा है,जय मां भवानी भक्तों का अंबार लगा है,जय मां भवानी! शैल पुत्री बनकर आई, मां भवानी, ब्रह्मचारिणी रूप धरे है मां भवानी, चन्द्र घंटा बनकर उभरी... Hindi · कविता 1 2 515 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2021 · 2 min read स्वयं को पहचानने का जतन ! समय-समय की बात है, मैं उलझ गया था अपने आप में, कुछ घटनाचक्र ही ऐसा रहा, मैं घर से बाहर नहीं निकल सका, सामान्य प्रक्रिया तो चलती रही,..................... लेकिन अपने... Hindi · कविता 1 4 526 Share Jaikrishan Uniyal 17 Jan 2018 · 1 min read लोक तन्त्र और आतंकवाद हर रोज,हर वक्त। रेडियो,दूरदर्शन,और समाचार पत्र। में, पक्ष,एवं विपक्ष,एक स्वर एक मत । देते हैं,यह बयान, लोकतन्त्र में,हत्या और आतंकवाद का, नहीं है कोइ स्थान। और अगली ही सुबह, आता... Hindi · कविता 534 Share Jaikrishan Uniyal 19 May 2018 · 2 min read कृष्ण-कर्ण संम्वाद ,प्रसंगवस-आज के परिवेश में कृष्ण-कौन्तेय,करो तुम इस पर विचार, पाण्डवों का साथ देकर,करो भूल में तुम सुधार। कर्ण-"हे मधुसूदन,देर हुई अब, लौट मै नही सकता, दिया वचन है मां गान्धारी को,भाग नही मै पाऊंगा... Hindi · कविता 500 Share Jaikrishan Uniyal 12 May 2020 · 3 min read पाप की हांडी! फूटने को भरी है!! श्रमिकों का श्रम बल , अब लुटने को है, शायद अब पाप का भांडा फूटने को है, धन पतियों के उद्यम, में वृद्धि के लिए, सरकारों ने नियमों में बदलाव... Hindi · कविता 4 7 543 Share Jaikrishan Uniyal 5 Jun 2020 · 2 min read न जांण कख पैट्यां छ? गढ़वाली भाषा में पलायन पर वर्णित## ####################### घर कुड़ी तैं,छोडी-बाडीक, न जाण कख पैट्यां छा, बै-बुबों, भाई-बहणौं तैं,छोडी--छाडीक न जाण कख पैट्यां छा, डोखरी-पोखरी, बांझी छोडीक,न जाण किलै पैट्यां छा।... Hindi · कविता 494 Share Jaikrishan Uniyal 28 Dec 2020 · 1 min read किसान और हुक्मरान का घमासान !! किसान अपनी व्यथा को समझाने है निकला, हुक्मरानों ने बिना मांगे ही उन्हें ऐसा कुछ दे दिया, जिसे स्वीकारना हमारे लिए असहज हो रहा! बस इसी बात पर तो यह... Hindi · कविता 2 6 524 Share Jaikrishan Uniyal 28 Mar 2020 · 3 min read महाभारत का संदर्भ!कोरोना से जंग !! महाभारत का युद्ध,जो शताब्दियों पूर्व हुआ था, जिस युद्ध में,दुश्मन भी जाना- पहचाना था! और दुश्मनी की चाहत भी स्पष्ट थी पता, युद्ध जो अधिकार और अंहकार के मध्य था!... Hindi · कविता 1 482 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jul 2021 · 1 min read चिंता डायन! जाने कब से आकर मुझमें, रच बस गई ये चिंता डायन, थोड़ी सी भी कोई बात हो जाए, सताने लगती है चिंता डायन! जब तक मैं इससे, ना हुआ था... Hindi · कविता 2 2 485 Share Jaikrishan Uniyal 28 Feb 2021 · 3 min read " मैं "के चक्कर में , जब आ गया मैं! जब तक मैं, बिन" मैं "के था, इसका ना कोई अता पता था, अपनी मस्ती में ही खुश था! ना जाने इसने कब आ दबोचा, कभी ना मैंने इस पर... Hindi · कविता 1 6 467 Share Jaikrishan Uniyal 21 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से वास्ता! जब मैं बारहवीं का छात्र था, और चल रही थी बोर्ड परीक्षा, नकल करते पकड़े गए कुछ छात्र, मचाने लगे वह उत्पात, अब अगले दिन की परिक्षा को रोकने लगे,... Hindi · कविता 2 2 510 Share Jaikrishan Uniyal 20 Jan 2018 · 1 min read सृष्टि ऐ सृष्टि, कहाँ है तेरी दृष्टि, कभी अतिवृष्टि, तो कहीं अनावृष्टि। ऐ सृष्टि, ये जो आषाड है, मेघों की चिंघाड है, उफनती बाढ है, तो कहीं टूटता पहाड है। ऐ... Hindi · कविता 475 Share Jaikrishan Uniyal 16 Nov 2020 · 2 min read सर्वोच्च न्यायालय और वर्तमान परिवेश!! कुणाल कामरा, क्या खराब हो गया है दिमाग तुम्हारा, सर्वोच्च न्यायालय को आइना दिखाते हो, ऐसा तुम कैसे कर पाते हो, कभी सोचा भी है इसका अंजाम, क्या होगा इसका... Hindi · कविता 3 8 489 Share Jaikrishan Uniyal 30 Apr 2018 · 2 min read बदलता समय,बदलते हालात,पर न बदलता नजरिया ७८कि बाढ से लेकर,९१ कि कांपती धरती तक, एक दशक से अधिक समय बीत गया, सोचें जरा हम,इस बीच क्या नहीं बदला, जो तब चलना भी नहीं,सीखे थे, वह आज... Hindi · कविता 492 Share Jaikrishan Uniyal 3 Jun 2020 · 3 min read आत्महत्या की नौबत क्यों आए? जब इंसान का संघर्ष, विफल हो जाता, और संघर्ष वह नहीं कर पाता, तब निराशा का भाव प्रबल होकर, उसे जीवन जीने के, सारे विकल्प से हताश-निराश, आगे आने वाले... Hindi · कविता 2 2 499 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2018 · 1 min read बेटियां अपनी,बेटे पराये बेटे अपनी ससुराल कि सोचें, मां बाप कि सोचे बेटी, जमीन जायदाद कि चाहत सबको, पर बझंर रह गयी खेती, सोच नयी यह बिकषित हो रही, नित इस पर खटपट... Hindi · कविता 487 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jul 2018 · 1 min read गुस्से और नसे के दौर में करें यह उपाय रोड रेज पे लड कर मरते, नसे में दुर्घटना से मरते, मोबाइल से ध्यान भटक कर मरते, पर फिर भी हम नहीं सुधरते। घातक हैं यह जीने की खातिर, गुस्सा,नसा,और... Hindi · कविता 480 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2021 · 1 min read पल भर की खबर नहीं! पल भर की खबर नहीं है, ख्वाब संजोए वर्षों के, झूठी सारी मोह माया है, सपने बुनते हैं अपनों के! कौन साथ में गया है किसके, समय बिताया जिन सबने,... Hindi · कविता 4 6 502 Share Jaikrishan Uniyal 21 Apr 2020 · 2 min read एक बगिया की फुलवारी के वह दो फूल![प्रतिकात्मक.प्रसंग] ..... भाग एक- . प्रथम चरण का संदर्भ ! एक बगिया की वह फुलवारी,जो हरी-भरी बहुत ही प्यारी थी, इस बगिया में खिल आए थे,फूल अनेक! दिखती थी न्यारी सी!... Hindi · कविता 499 Share Jaikrishan Uniyal 27 Apr 2021 · 2 min read मनुष्य का चरित्र: है कितना विचित्र! मनुष्य का चरित्र, है कितना विचित्र, अपना ही देखते हैं फायदा, दूसरे के लिए अलग नियम कायदा, दूसरों से करते हैं ऐसी अपेक्षा, दूसरे की कर लेते हैं उपेक्षा, हमें... Hindi · कविता 1 4 469 Share Jaikrishan Uniyal 24 Dec 2017 · 1 min read नया नवेला,अपना आंचल,नाम मिला हमें उत्तरांचल नया नवेला,अपना आंचल,नाम मिला हमे उत्तरांचल,नकद रोकडा ना सही,ठन ठन पर प्रकृति का है,सुन्दर उपवन, चार धामों का तीर्थाटन है,अर्धकुम्भी,हरिद्वार है,उधम सिहं,पर उधोग का भार है,पर्यटन को नैनीताल,मसुरी। अल्मोडा में... Hindi · कविता 502 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2018 · 2 min read अटल -नवाज-सम्वाद अटल जी- विश्व बन्धुत्व है मूल मंत्र,मै उस देश से आया हूँ मित्रता का हाथ बढाने,मैं अटल बिहारी आया हूँ, गर साथ निभावो तुम,तो युद्ध कि आशंका थमे युद्ध विनास... Hindi · कविता 1 476 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jun 2020 · 3 min read मनरेगा का अर्थ शास्त्र!! सौ दिन का है काम, मनरेगा है नाम, खर्च का ब्यौरा, एक दिन का, टमाटर सब्जी पर रुपए बीस, दूध-दही पर खर्च होते तीस, दाल तेल नमक मिर्च मसाले,आटा, चावल... Hindi · कविता 4 4 494 Share Jaikrishan Uniyal 30 Jun 2018 · 1 min read अपने अपने मन की अपने मन की करते थे हम जब उनसे आस लगा बैठे अब जो अपने मन की कहते हैं हम चाहते थे अपने मन की, वो अपने मन की कर बैठे।... Hindi · कविता 471 Share Jaikrishan Uniyal 26 Aug 2020 · 2 min read प्रशांत तुम ऐसे तो न थे!! प्रशांत तुम ऐसे तो न थे, फिर क्यों ऐसा कर रहे, तुम प्रशांत हो, हमने तुम्हें चेताया, तुम फिर भी शान्त हो, तुमसे क्षमा मांगने को कहा, तुमने इसे नकार... Hindi · कविता 5 4 440 Share Jaikrishan Uniyal 7 Apr 2020 · 2 min read जाता क्या तू चायना! ऐ-सुन ! सुना. ! जाता क्या तू चायना! क्या करूँ जाकर के चायना! खेलेंगे,,नौकरी करेंगे,ब्यापार करेंगे,! और लायेंगें,वहाँ से कोरोना! ऐ-सुन! सुना ! जाता क्या तू चायना! क्या करूँ,मैं जाकर... Hindi · कविता 1 2 489 Share Jaikrishan Uniyal 10 May 2021 · 2 min read चले जाना है इक दिन!! चले जाना है, इक दिन, चले जाना है हम सबको, अपने अपने बुलावे पर, अपने लिए निर्धारित दिन, क्या है यह अपना पराया, यह सब जग की झूठी माया, क्या... Hindi · कविता 3 6 442 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jan 2018 · 1 min read कमाई से महगांई तक कि जंग मजदूर और किसान, अन्नदाता और बिकास कि जान, फिर भी हैं परेशान, जो कमाया, वो खाया,पिया,और पचाया, कुछ बचा नही पाया। मजदूर और किसान, दोनो रीड हैं,अर्थ ब्यवस्था की, किन्तु... Hindi · कविता 505 Share Page 1 Next