बरसात

आया हूं और चला जाऊंगा, आप किस्से सुनते रह जाएंगे,
ज़िंदगी को देखेंगे हाथों में मगर, खुद को ही ना देख पाएंगे।
ज़र्रा नवाज़ी और सुर्खियां मिलेंगी आपको अब हर गली,
दुनिया की सारी नजरों में खुद जैसे तमाशबीन नज़र आएंगे।
बस यूंही एक दिन कुछ बातें उठ आयेंगे, चंद अल्फ़ाज़ लिखते हुए घुमंतू कतराएंगे,
फिर जब देखेंगे आईने में दिल का हाल कई, अनकही आंसुओं की बरसात लाएंगे।।
~राजीव दत्ता घुमंतू