Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

पतंग.

उड़ रही है मेरी पतंग
तितली की तरह
आसमान में.
नीले गगन में हवा
की लहरों में धीरे धीरे
ऊपर उड़ती है मेरी पतंग.

उड़ रही है मेरा मन भी
पतंग जैसे आसमान में.
याद आती है बचपन की
जिस दिन हम उड़ाते थे
पतंग एक साथ.

अब मैं उड़ाती हूँ
अपनी पतंग अकेले.
तू कहाँ छुप रहा है
आसमान में
क्या…देख सकता है
तुछे मेरी पतंग.
लिखा है मैं ने चिट्टी
उस पतंग में तेरे लिए

मेरी आशा निराशा
और अभिलाषा
सबकुछ लिखा है
मैं ने उसमें.
चाहती हूँ मैं भी
ऊपर आना तेरे साथ
अपनी पतंग के साथ
लेकिन कैसे आऊँगी मैं
टोरी है और किसी के
हाथों में.

Language: Malayalam
124 Views
Books from Heera S
View all

You may also like these posts

मनाओ मातु अंबे को
मनाओ मातु अंबे को
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कुछ तो बात लगती है
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कुछ तो बात लगती है
सत्य कुमार प्रेमी
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
Johnny Ahmed 'क़ैस'
"ऐ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
----- स्वप्न सलौने -----
----- स्वप्न सलौने -----
पंकज परिंदा
तू यार सुखी साकी मे
तू यार सुखी साकी मे
C S Santoshi
तेरे आने की आहट
तेरे आने की आहट
Chitra Bisht
"हिचकी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
पूर्वार्थ
नया साल
नया साल
umesh mehra
सबका हो नया साल मुबारक
सबका हो नया साल मुबारक
अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'
खाली पैमाना
खाली पैमाना
ओनिका सेतिया 'अनु '
Only attraction
Only attraction
Bidyadhar Mantry
3865.💐 *पूर्णिका* 💐
3865.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
करबो हरियर भुंईया
करबो हरियर भुंईया
Mahetaru madhukar
"चांद तन्हा ही रहा"
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
गुफ़्तगू हो न हो
गुफ़्तगू हो न हो
हिमांशु Kulshrestha
हम सृजन के पथ चलेंगे
हम सृजन के पथ चलेंगे
Mohan Pandey
बेटी - मुक्तक
बेटी - मुक्तक
लक्ष्मी सिंह
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लिवाज
लिवाज
उमेश बैरवा
क्या मिला तुझको?
क्या मिला तुझको?
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
Buddha Prakash
"ना ढूंढ सको तिनका, यदि चोर की दाढ़ी में।
*प्रणय*
हाथ पसारने का दिन ना आए
हाथ पसारने का दिन ना आए
Paras Nath Jha
काव्य भावना
काव्य भावना
Shyam Sundar Subramanian
Loading...