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1 May 2024 · 1 min read

किताबों वाले दिन

अच्छे होते थे स्कूल – कॉलेज वाले दिन
कापी – किताबों के बीच एक अजब सी
बेफिक्री रहती थी दिलों में
कहीं कुछ नहीं सूझा
बस एक किताब ली और टहल लिए
कुछ न करने का मन हुआ
किताब तुरंत हाथ में आ गयी।

दो – चार साथी आमने – सामने छत पर
किताब लिए टहलते रहते
इशारों में चर्चा होती
अगले दिन का कार्यक्रम तय
कब, कहाँ, कौन से पीरियड में
क्लास बंक करके किसके साथ
और कुछ नहीं बस किताब लिए हाथ।

सचमुच बड़े अच्छे होते थे मस्ती भरे दिन
ग्रुप में डिस्कशन का बहाना
कुछ साथियों का इकट्ठा बैठ बतियाना
पढ़ाई का बेवजह सा बहाना।

कमरे में ही बैठे हुए दुनिया भर की चर्चा
और दुनिया से फिल्मी किस्सों में खो
खुद भी किसी फिल्मी किरदार सा हो जाना
किताबों का फिल्मी मैगज़ीन में बदल
मन का रोमानी हो जाना।

सच में बड़े अद्भुत होते थे वो दिन
जब हम कुछ न होकर भी अपने मन के
मौजी होते थे जब चाहते जैसे चाहते
किताबें संग लिए सपनों की
सतरंगी दुनिया में बेवजह से डोलते थे।

दिनांक :- ११/०३/२०२४.

Language: Hindi
1 Like · 140 Views
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