Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2024 · 1 min read

क्या है

बाहमी फ़ासला भी है लाज़िम,
वरना मिलने में फिर मज़ा क्या है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

निश्छल प्रेम की डगर
निश्छल प्रेम की डगर
Dr.Archannaa Mishraa
मायका
मायका
krupa Kadam
मिथ्या सत्य (कविता)
मिथ्या सत्य (कविता)
Indu Singh
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
Phool gufran
सूरज का ताप
सूरज का ताप
Namita Gupta
मैं छुपा नहीं सकता
मैं छुपा नहीं सकता
Bhupendra Rawat
अब ना हार मानेंगे...
अब ना हार मानेंगे...
भगवती पारीक 'मनु'
दोहा
दोहा
Suryakant Dwivedi
जिदंगी हर कदम एक नयी जंग है,
जिदंगी हर कदम एक नयी जंग है,
Sunil Maheshwari
कथ्य-शिल्प में जान हो, हो परहित का भाव।
कथ्य-शिल्प में जान हो, हो परहित का भाव।
डॉ.सीमा अग्रवाल
पर्वत 🏔️⛰️
पर्वत 🏔️⛰️
डॉ० रोहित कौशिक
*आत्मश्लाघा के धनी, देते है अब ज्ञान।
*आत्मश्लाघा के धनी, देते है अब ज्ञान।
संजय निराला
संवेदनायें
संवेदनायें
Dr.Pratibha Prakash
हे राम जी! मेरी पुकार सुनो
हे राम जी! मेरी पुकार सुनो
Sudhir srivastava
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
विशाल शुक्ल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Prashant 'अरहत'
जज्बात
जज्बात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है मैंने हंसकर कहा
किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है मैंने हंसकर कहा
Ranjeet kumar patre
"हमने पाई है आजादी प्राणों की आहुति देकर"
राकेश चौरसिया
ये दो बूंद अश्रु मेरे.....
ये दो बूंद अश्रु मेरे.....
पं अंजू पांडेय अश्रु
*कविवर श्री हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष (कुंडलिया)*
*कविवर श्री हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हिंदी से स्वराष्ट्र की
हिंदी से स्वराष्ट्र की
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
जय श्री राम
जय श्री राम
Pradeep Tiwari
नाना भांति के मंच सजे हैं,
नाना भांति के मंच सजे हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
लगते नये हो
लगते नये हो
Laxmi Narayan Gupta
"तरुवर"
Dr. Kishan tandon kranti
मर मर कर जीना पड़ता है !
मर मर कर जीना पड़ता है !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
- कल तक कोई हाल - चाल न पूछता था -
- कल तक कोई हाल - चाल न पूछता था -
bharat gehlot
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
जिंदगी देने वाली माँ
जिंदगी देने वाली माँ
shabina. Naaz
Loading...