मैं छुपा नहीं सकता
मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी
और उपन्यास
मेरी हर एक रचना का
मुख्य पात्र रही हो तुम
मैंने नहीं गढा तुम्हें
अपनी रचनाओ मे
त्याग की देवियों
“मीरा” और
“यशोधरा” की तरह
बल्कि इस दफा मैंने
केंद्र मे रखा हर एक
उस पुरुष को
जिसने समर्पित किया
अपना जीवन
अपनी प्रेयसी को