मैथिली मानकीकरण।

मैथिली मानकीकरण।
आचार्य रामानंद मंडल।
आइ कालि एगो नव मैथिली शोध संस्थान जोर शोर से मैथिली के मानकीकरण पर भीरल हय। नेपाल के अंतरराष्ट्रीय मैथिली भाषाविद डॉ रामावतार यादव,वरीय आलोचक डा रमानंद झा रमण,वरीय साहित्यकार डा भीमनाथ झा आ अन्य के समूह द्वारा मैथिली के स्थिरीकरण के लेल मानकीकरण के आवश्यकता बतैलन।समुह द्वारा मैथिली के वर्तनी के स्थिरीकरण के दिशा मे काज कैल गेल।इहो बताएल गेल कारक के विभिक्त जोर के लिखल जाए। कारण कि आबि मैथिली विश्व भाषा बन गेल हय।
परंतु समुह मैथिली के विभिन्न शैली यथा अंगिका, बज्जिका, खोरठा आ नागपुरी पर कोनो विचार न कैलन।समुह अतीत के विचार से प्रभावित हो अइ सभ के उपेक्षित कैलन जेना अतीत मे करैत रहलैन ।
मैथिली लोकभाषा के पाणणि के व्याकरण जेका संस्कृतनिष्ठ बनाके मैथिली के लोक से दूर कै देलन।अइ संदर्भ मे एगो घटना के स्मरण आवश्यक हय जे एकबार प्रसिद्ध साहित्यकार जगदीश प्रसाद मंडल के रचना के बर्तनी के बदल देल गेल रहय।परंच बाद मे इ विदेह पत्रिका वोइ रचना के हु बहु हु प्रकाशित कैलन।बाद मे जगदीश प्रसाद मंडल के उपन्यास पंगु पर साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत कैल गेल।
आब विचार के विषय इ हय कि केन्द्रीय मैथिली अर्थात मानक मैथिली जेकरा सोतीपुरा मैथिली कहल जाइ हय मे तत्सम शब्द के प्रयोग ज्यादा होइ हय जौं कि अंगिका -बज्जिका मे तद्भव आ देसी शब्द के प्रयोग होइ हय। वर्तनी मे जंहा मैथिली मे ण,ष,ऋ के प्रयोग कैल जाइ हय त इ बज्जिका मे ण,ष,ऋ के प्रयोग निषेध कैल गेल हय।ण के बदले न,ष के बदले स आ ऋ के बदले रि के प्रयोग कैल जाइ हय। तुलनात्मक अध्ययन कैला पर पायल जाइ हय कि एकरा उच्चारण से कोनो मतलब न हय बल्कि वर्तनी मे भिन्नता के द्योतक हय। एकटा गाम आ एकटा समाज के व्यक्ति के वर्तनी मे भिन्नता पायल जाइत हय। यथा – अतीत मे लोहना मधुबनी के विद्वान रमाकांत झा आ विद्वान कांचीनाथ झा किरण। वर्तमान मे वोही गाम के कथाकार अशोक आ शिवशंकर श्रीनिवास।
मिथिला के विभिन्न क्षेत्र वर्तमान मे बज्जिकांचल आ अंगिकांचल हो आ अतीत के मिथिला आ तिरहुत क्षेत्र के मैथिली भाषा भिन्नता के बोली कह के खारिज करनाई अपने पैर पर अपने कुरहर चलनाइ साबित होयत। भिन्न-भिन्न क्षेत्र के शब्द आ वर्तनी के समेकित करनाई आवश्यक प्रतीत होइ हय। शब्द आ वर्तनी के पर्यायवाची बनाबे के आवश्यकता हय।परंच वर्तनी के नाम पर वर्तमान संपादक महाकवि विद्यापति के अवहट्ट रचना के शुद्ध मैथिली बनाबे पर भिरल हतन।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।