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21 Apr 2024 · 1 min read

कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी

कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
और घुटन हद से बढ़ जाए तो सब कुछ कहने की भी।

कुछ कह के घुट जाते हैं तो कुछ कुछ मौन रहकर दब जाते है
कुछ मन में पछताते हैं तो कोई चुप रहने के सौ फायदे गिनवाते है

घुटन सबकी एक सी है बस सहने के रास्ते अलग अलग है
घाव सारे एक से ही है बस दर्द सबके अलग अलग से है।

यही जीवन चक्र चलता रहा है हर कोई कहीं न कहीं सह रहा है
कोई समझ नहीं सकता तो कोई समझा नहीं पाता
यहां खुशी से जीया हुआ जीवन किसी को रास नहीं आता।

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