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14 Oct 2023 · 1 min read

एक दिन की बात बड़ी

एक दिन की बात बड़ी
निंदा प्रशंसा साथ खड़़ी

💐🌹🙏🙏💐🌹

एक दिन की बात सही में बड़ी
निंदा माया प्रशंसा साथ खड़ी

बातें करती ये निहार घड़ी पड़ी
सुन रहाजग कान खोल खड़ी

निंदा कहती प्रशंसा से हे सखी
खोल भेद आज निज सही सही

क्या कारण तेरे साथ एक पुकार
पे सारे जन होती आ खडी पड़ी

प्रशंसा खुशी से मचल बोल उठी
रंग रंगीली छैल छबीली मुंहबोली

थक थकान में भी रहती फुर्तीली
तभी जगत सुनते मेरी सटी खड़ी

चेहरे पे मुस्कान हँसी मुंह पर पड़ी
गौरव अभिमान दम्भ की संगीनी

समझे तभी नहीं करते मनमानी
नहीं समझें मानों मुंह की खानी

सुन प्रशंसा की अपनी प्रशंसा
सहज भाव से निंदा बोल उठी

सुन री सखी ये मेरी तेरी कोई
कुछ नहीं ये सब माया की बोली

मनमोहक तृष्णा जब जकड़ लेता
तब निंदा प्रशंसा रूप निखरआता

सत्यवादी से बलशाली मिथ्यावादी
मोह माया में हो जाते क्रुरविचारी

यहीं भू की भागीदारी दुनियादारी
निंदा जन आत्म बल भरने वाली

प्रशंसा शक्ति दम्भ दोनों की प्यारी
जग रीत प्रीत समझ बुझ कबीरा ने

तभी तो एक संदेश लिख छोड़ी
निन्दक नियरे राखिएऑंगनकुटी

छवाय बिन पानी साबुन बिना
निर्मल करे सुभाय 💐🙏🙏

🌹☘️🌹🌷🙏🌹☘️☘️🌷

तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण

Language: Hindi
338 Views
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
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