Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2024 · 2 min read

आपके दिल में क्या है बता दीजिए…?

आपके दिल में क्या है बता दीजिए?
इस मुहब्बत का कुछ तो सिला दीजिए।

हमने ज़ुर्मे-मुहब्बत तो कर ही दिया,
आप इस ज़ुर्म की अब सज़ा दीजिए।

इश्क़ के मर्ज़ से कैसे तौबा करूँ?
देख कर नब्ज़ मुझको दवा दीजिए।

बोसे नज़रों से ले लूंगा मैं आपके,
चाँद सी अपनी सूरत दिखा दीजिए।

चांद में दाग़ है ऐसा कहते हैं सब,
यह वहम आप सबका मिटा दीजिए।

मुंतज़िर हैं सभी आज दीदार के,
रुख से परदा जरा सा हटा दीजिए।

हूँ मैं मासूम सा और नादान भी,
दिल में अपने मुझे दाख़िला दीजिए।

लोग दीवाना कहते हैं बस आपका,
आप अपनी मुहऱ भी लगा दीजिए।

जिसको चाहा है शिद्दत से मैंने ख़ुदा,
उसको अहसास कुछ तो करा दीजिए।

आपका रुख़ मुक़म्मल ग़ज़ल हो गया,
मुस्कुराकर नया काफ़िया दीजिए।

इल्तिज़ा है मेरी आज आग़ोश की,
बंदिशें दरमियां की मिटा दीजिए।

फ़ुरसतें ग़र नहीं है मुलाक़ात की,
दूर से ही झलक इक दिखा दीजिए।

काफ़िला बादलों का चला जाएगा,
गेसुओं को ज़रा सा हिला दीजिए।

है नज़ाकत, शराफ़त या जादूगरी,
हो सके तो हमें भी सिखा दीजिए।

ज़िन्दगी भर की यह प्यास बुझ जाएगी,
आप आँखों से सागर पिला दीजिए।

आपके शह्र में हूँ भटकता हुआ,
मेरी मंज़िल का मुझको पता दीजिए।

है गुज़ारिश हमारी अगर मान लें,
प्यार में मत किसी को दग़ा दीजिए।

आँखें पत्थर हुईं सूख आंसू गये,
ज़ख्म देकर कोई फिर रुला दीजिए।

ख्व़ाहिशों का गला घोंट दूंगा मगर,
ख़त मेरे सब पुराने जला दीजिए।

सिसकियां हिचकियां और सरगोशियां,
आज इनके सिवा कुछ भी गा दीजिए।

खाक़ हो तो चुका है मेरा आशियाँ,
अब न चिंगारियों को हवा दीजिए।

है अंधेरा घना जिंदगी में मेरी,
अपनी मुट्ठी के जुगनू उड़ा दीजिए।

बैर दिल से मिटा साथ रहिए सभी,
आग नफ़रत की यारो बुझा दीजिए।

दर्द की रात है जो कि कटतीं नहीं,
गाके लोरी मुझे माँ सुला दीजिए।

बस गुज़ारिश ख़ुदा से मेरी है यही,
अपनी रहमत को सब पर लुटा दीजिए।

|| पंकज शर्मा “परिंदा” ||

Language: Hindi
93 Views

You may also like these posts

Time flies🪶🪽
Time flies🪶🪽
पूर्वार्थ
आप किताबों में झुक जाओ, ये दुनिया आपके आगे झुकेगी ।।
आप किताबों में झुक जाओ, ये दुनिया आपके आगे झुकेगी ।।
Lokesh Sharma
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
Ravikesh Jha
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
ओसमणी साहू 'ओश'
बेटा पढ़ाओ कुसंस्कारों से बचाओ
बेटा पढ़ाओ कुसंस्कारों से बचाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अब जख्म बोलता है,मैं नहीं।
अब जख्म बोलता है,मैं नहीं।
लक्ष्मी सिंह
रीत कहांँ
रीत कहांँ
Shweta Soni
दो का पहाडा़
दो का पहाडा़
Rituraj shivem verma
*बस एक बार*
*बस एक बार*
Shashi kala vyas
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
****बसंत आया****
****बसंत आया****
Kavita Chouhan
छाऊ मे सभी को खड़ा होना है
छाऊ मे सभी को खड़ा होना है
शेखर सिंह
- मेरे ख्वाबों की रानी -
- मेरे ख्वाबों की रानी -
bharat gehlot
वर्तमान का सोशल मीडिया अच्छे अच्छे लोगो को बाजारू बना दिया ह
वर्तमान का सोशल मीडिया अच्छे अच्छे लोगो को बाजारू बना दिया ह
Rj Anand Prajapati
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
3579.💐 *पूर्णिका* 💐
3579.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लाख देखे हैं चेहेरे, मगर तुम सा नहीं देखा
लाख देखे हैं चेहेरे, मगर तुम सा नहीं देखा
Shinde Poonam
आज
आज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
उस साधु को फिर देखने मैं जो गई - मीनाक्षी मासूम
उस साधु को फिर देखने मैं जो गई - मीनाक्षी मासूम
Meenakshi Masoom
किसी ने क्या खूब कहा है किताब से सीखो तो नींद आती है,
किसी ने क्या खूब कहा है किताब से सीखो तो नींद आती है,
Aisha mohan
अद्भुत है ये वेदना,
अद्भुत है ये वेदना,
sushil sarna
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मेरी आज की परिकल्पना "
DrLakshman Jha Parimal
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पराया दर्द
पराया दर्द
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
Iamalpu9492
विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन
Santosh kumar Miri
Loading...