*बस एक बार*
बस एक बार
चाहत है सांवरे तुझे देखने की,
कहना है कुछ बातें तेरे सामने ,
जो कह न सकी उसे बोल कर ,
जी भर का देखना चाहती हूं।
बस एक बार…..
नजर में रहते हो फिर भी,
इधर उधर नित ढूंढ रहे हैं,
कभी मूर्ति में कभी मंदिर में,
कभी घर के कोने में बैठे हुए,
लागी लगन तुझसे ही अब ,
देखे बिना मन ना लगता है,
आ जाओ सावरिया ,
बस एक बार……
जिधर देखो तुम ही तुम नजर आते हो,
हमें देख ओझल हो जाते हो,
मन मंदिर में बसे हुए हो,
भक्ति रस में डूबे हुए हैं,
चरणो में शीश झुका खड़े हो,
पुकार रहे हृदय मन से,
अब सामने आ भी जाओ ,
सांवरे कृष्ण कन्हैया ,
नजरों में समा लूं,
बस एक बार…..!!!
शशिकला व्यास शिल्पी ✍️