Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2024 · 1 min read

तनहा विचार

कभी जीने का कभी मरने का बहाना
ये कल था हमारा आज तुम्हारा है जमाना ।

खालीपन मे तजुर्बे के सफेद बाल रगंना
कल हमारी बंदिश थे आज तुम्हारी बंदिश है कंगना ।

वक्त की सुई एक छोटी एक बड़ी
कल हम दौड़ते थे इनपर आज तुमको है जमना ।

तनहा शायर हूँ-यश

1 Like · 148 Views

You may also like these posts

सिर्फ जी तोड़कर मेहनत की ,नहीं की कभी नतीजे की परवाह ,
सिर्फ जी तोड़कर मेहनत की ,नहीं की कभी नतीजे की परवाह ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
क्या संग मेरे आओगे ?
क्या संग मेरे आओगे ?
Saraswati Bajpai
नागरिकों के कर्तव्य।
नागरिकों के कर्तव्य।
Priya princess panwar
मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया
मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया
Jyoti Roshni
आशुतोष,
आशुतोष,
पं अंजू पांडेय अश्रु
*तानाजी पवार: जिनके हाथों में सोने और चॉंदी के टंच निकालने क
*तानाजी पवार: जिनके हाथों में सोने और चॉंदी के टंच निकालने क
Ravi Prakash
23/64.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/64.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शिव स्तुति
शिव स्तुति
Arvind trivedi
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
#विषय गोचरी का महत्व
#विषय गोचरी का महत्व
Radheshyam Khatik
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
आजकल सबसे जल्दी कोई चीज टूटती है!
आजकल सबसे जल्दी कोई चीज टूटती है!
उमेश बैरवा
बदरा बरसे
बदरा बरसे
Dr. Kishan tandon kranti
खामोशी
खामोशी
Sudhir srivastava
कजरी (वर्षा-गीत)
कजरी (वर्षा-गीत)
Shekhar Chandra Mitra
Rumors, gossip, and one-sided stories can make it easy to pa
Rumors, gossip, and one-sided stories can make it easy to pa
पूर्वार्थ
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
नेताम आर सी
"गरीबी मिटती कब है, अलग हो जाने से"
राकेश चौरसिया
..
..
*प्रणय*
अरसे के बाद, तस्लीम किया उसने मुझे,
अरसे के बाद, तस्लीम किया उसने मुझे,
Shreedhar
बादल
बादल
Dr.Pratibha Prakash
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुसीबत के वक्त
मुसीबत के वक्त
Surinder blackpen
" अब कोई नया काम कर लें "
DrLakshman Jha Parimal
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
प्रणय
प्रणय
Neelam Sharma
जीता हूं मैं अब तो बस तुम्ही को देखकर।
जीता हूं मैं अब तो बस तुम्ही को देखकर।
Rj Anand Prajapati
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
शेखर सिंह
Loading...