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27 Jan 2024 · 1 min read

तुम याद आये !

,
तुम याद आये !
———————–
हुआ सवेरा नींद से जागे ,
नजर घुमाई इत-उत देखा;
कहीं नजर आ जाते तुम तो,
मन भर जाता तुम दिखते तो,
तुम न दिखे तो तुम याद आए!

जब याद आये,तुम याद आये !!

विचलित मन एक आहट आई,
हृदय हिला एक लहर समाई,
पाँव धरूँ तो बढ़ें न आगे –
बाहों के आवृत्त निरर्थक,
सूनी गोद याद तुम आये !

जब याद आये,तुम याद आये !!

साँझ भई पाखी घर लौटे,
मन कहता है तुम भी लौटो,
आते ही आलिंगन पाऊँ-
पंजा मसको कस-मस जाऊँ,
यह न हुआ तो तुम याद आये!

जब याद आये, तुम याद आये !!

देह हमारी या कि तुम्हारी ,
अर्पित है सारी की सारी ,
तुम न रहो तुम,मैं न रहूँ मैं –
ऐसे भाव जगाओ प्रियवर ,
सारी सृष्टि निहित हो जाये!

जब याद आये,तुम याद आये !!

तुम ना परखो मैं ना परखूँ ,
प्रेम बहार बनूँ बन बरखूँ,
हेरूँ हर पल अपलक लोचन-
दीठि प्रदेश हरेक पन निरखूँ,
तुम बिन प्रभु भी नजर न आये!

जब याद आये,तुम याद आये !!

जब न दिखोगे जी दौड़ेगा,
मन मैं क्या है मन पूछेगा ,
दिल मन से मन दिल से पूछे ,
तुम्हें कसम तुम सत्य बताना-
मुझ बिन कैसे दिवस बिताये !

निज मन की कब तक मन राखूँ!
जब याद आये,”तुम याद आये” !!
——————————————
मौलिक-चिंतन
राम स्वरूप दिनकर

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