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15 Jan 2025 · 1 min read

ये दिल न मेरा लग रहा

तुम राह में बिछड़ गए
ये दिल न मेरा लग रहा
सूर्य सर पे जल रहा
फिर भी अंधेरा लग रहा
तुम इस कदर सताओगे
ये उम्मीद मुझको थी नहीं
तुम इतना याद आओगे
ये उम्मीद मुझको थी नहीं
जो गीत तुमपे लिख रहा था
वो भी न पूरी हो सकी
तुम अचानक जुदा हुए
न बाते जरूरी हो सकी
दिल की बात दिल में ही
बस पीर बनके रह गई
ख्वाब सारे रेत की दीवार
बनके ढह गई
छंद सारे चुपके चुपके
मुक्तक जैसे हो गए
गाँव की पगडंडियाँ
सड़क जैसे हो गए
लड़का जो हूँ सो
आँसु भी न बहा सका
ऐ जाने गजल मेरी तुझे
दिल भी न दिखा सका
जो हवा तेरी जुल्फ को
लहरा रही थी हौले से
वही हवा अब मुझे
जला रही है शोले से
अब न मिलोगी कभी
ये भी पता है मुझे
पलभर में कौन कभी
भला समझा है मुझे
चलो अब खुश रहो
ये कथन है मेरा
तेरे हर कदम का
सर्मथन है मेरा

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