Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2024 · 1 min read

आज यानी 06 दिसंबर अर्थात 05 शताब्दीयो से भी ज्यादा लम्बे काल

आज यानी 06 दिसंबर अर्थात 05 शताब्दीयो से भी ज्यादा लम्बे कालखंड के लगे कलंक को मिटाने का दिवस, 05 लाख से अधिक पुण्यात्मा हमारे पूर्वजो के बलिदान के बदले का दिवस, हमारे हृदय पर कलंक की मुगल पताका के नासूर को उखाड फेकने का दिवस, हमारे आम जनमानस के अन्दर सोये हुए राष्ट्रप्रेम को जगाने का दिवस, हमारे कार सेवको के बलिदान और शौर्य का दिवस, हमारी असहिष्णुता, शान्ति, धैर्य, भातृभाव, भाईचारे जैसे सभी विकल्पो के खत्म होने के बाद बचे एकमात्र विकल्प का दिवस, 06 दिसंबर यानि शौर्य दिवस…🙏🏃🏻‍♂️सतर्क रहे। अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तथैव च। अर्थात- अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, परंतु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना भी धर्म है। प्रणाम, नमस्कार, वंदेमातरम् … भारत माता की जय, जय श्रीराम 🚭‼️

2 Likes · 43 Views
Books from ललकार भारद्वाज
View all

You may also like these posts

न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
Yogendra Chaturwedi
हौसला देने वाले अशआर
हौसला देने वाले अशआर
Dr fauzia Naseem shad
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
Subhash Singhai
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हो गया कोई फलसफा
हो गया कोई फलसफा
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
ज़िंदगी में बहुत कुछ सीखा है...
ज़िंदगी में बहुत कुछ सीखा है...
Ajit Kumar "Karn"
गंगा मैया
गंगा मैया
Kumud Srivastava
गीता हो या मानस
गीता हो या मानस
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सब्र करते करते
सब्र करते करते
Surinder blackpen
आने वाले वक्त का,
आने वाले वक्त का,
sushil sarna
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
स्त्री मन
स्त्री मन
Vibha Jain
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
नवसंवत्सर पर दोहे
नवसंवत्सर पर दोहे
sushil sharma
माया
माया
pradeep nagarwal24
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
Kuldeep mishra (KD)
मां से ही तो सीखा है।
मां से ही तो सीखा है।
SATPAL CHAUHAN
सुनो न...
सुनो न...
हिमांशु Kulshrestha
सोभा मरूधर री
सोभा मरूधर री
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
स्त्री
स्त्री
Ajay Mishra
3269.*पूर्णिका*
3269.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
Jyoti Roshni
स्वभाव
स्वभाव
अखिलेश 'अखिल'
शीर्षक:कोई चिट्ठी लिख देते
शीर्षक:कोई चिट्ठी लिख देते
Harminder Kaur
🙅यक़ीन मानिए🙅
🙅यक़ीन मानिए🙅
*प्रणय*
आंगन
आंगन
Sumangal Singh Sikarwar
कविता
कविता
Nmita Sharma
Loading...