Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2024 · 1 min read

कुंडलियां

कुंडलियां
सृजन शब्द-आयोजक

आयोजक अच्छे बनो, कोई भी हो काम।
लोग सराहें आपको,खूब कमाओ नाम।।
खूब कमाओ नाम, मनोबल बढ़ता जाये।
आयोजन में आप,सफलता निश्चित पाये।।
सीमा करना काज,लगे मन को जो रोचक।
रख कर मन में जोश,बनो तुम अच्छे आयोजक।।

सीमा शर्मा

58 Views

You may also like these posts

अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजे.
अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजे.
MEENU SHARMA
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
पुनर्आगमन
पुनर्आगमन
अंकित आजाद गुप्ता
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
शेखर सिंह
19. *मायके की याद*
19. *मायके की याद*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कुंडलिया - रंग
कुंडलिया - रंग
sushil sarna
पीढ़ियों का संवाद पीढ़ियों से
पीढ़ियों का संवाद पीढ़ियों से
Arun Prasad
मुक्तक ....
मुक्तक ....
Neelofar Khan
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
singh kunwar sarvendra vikram
ज़रा सा इश्क
ज़रा सा इश्क
हिमांशु Kulshrestha
जो रोज भागवत गीता पड़ता है वह कोई साधारण इंसान नहीं,
जो रोज भागवत गीता पड़ता है वह कोई साधारण इंसान नहीं,
Shivam Rajput
पीछे
पीछे
Ragini Kumari
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
Neelam Sharma
घनाक्षरी
घनाक्षरी
seema sharma
देश चलता नहीं,
देश चलता नहीं,
नेताम आर सी
सैल्यूट है थॉमस तुझे
सैल्यूट है थॉमस तुझे
Dr. Kishan tandon kranti
**  मुक्तक  **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
Shweta Soni
*अपनेपन से भर सको, जीवन के कुछ रंग (कुंडलिया)*
*अपनेपन से भर सको, जीवन के कुछ रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सरोवर की और बहती नदियों पर कभी भी विश्वास कर नहीं उतरना चाहि
सरोवर की और बहती नदियों पर कभी भी विश्वास कर नहीं उतरना चाहि
Jitendra kumar
*नींद आँखों में  ख़ास आती नहीं*
*नींद आँखों में ख़ास आती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शीर्षक – मेरा मुकद्दर ( गजल )
शीर्षक – मेरा मुकद्दर ( गजल )
Manju sagar
प्रेम तत्व
प्रेम तत्व
Rambali Mishra
रियायत कौन देता है दूकानदारी में,तंग हाथ रखे जाते हैं खरीददा
रियायत कौन देता है दूकानदारी में,तंग हाथ रखे जाते हैं खरीददा
पूर्वार्थ
4005.💐 *पूर्णिका* 💐
4005.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शिकायत नही किसी से
शिकायत नही किसी से
Kaviraag
चलना तुमने सिखाया ,रोना और हंसना भी सिखाना तुमने।
चलना तुमने सिखाया ,रोना और हंसना भी सिखाना तुमने।
SUNIL kumar
इस मक़ाम पे बदल ना जाना मेरे दोस्त!
इस मक़ाम पे बदल ना जाना मेरे दोस्त!
Ajit Kumar "Karn"
सूरज की संवेदना
सूरज की संवेदना
Dr B.R.Gupta
Loading...