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About the book
लफ़्ज़ों में पिरो लेते हैं एहसास के मोती, इज़हार ए तमन्ना का सलीक़ा नहीं आता। कोशिश करती हूं कि अपने एहसासों को लफ़्ज़ों के ज़रिये से कुछ ऐसा लिख सकूं... Read more
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