सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक लड़के की औकात एक ही लाइन में तौल दि जाती है और वह लाइन है
आज का पुरुष औरतों को समान अधिकार देने की बात कहता है, बस उसे
वो सुनाते थे मोहब्बत की कहानी मुझको।
*आओ लक्ष्मी मातु श्री, दो जग को वरदान (कुंडलिया)*
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ज़िन्दगी को है शाद बस ज़रूरत तेरी
हम हमेशा सोचा करते थे कि सबके साथ अच्छा करेंगे तो हमारे साथ
मेरी आवाज से आवाज मिलाते रहिए