Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

“हमने पाई है आजादी प्राणों की आहुति देकर”

हमने पाई है आजादी प्राणों की आहुति देकर
चोट खाए कंटकों से, रक्त से विरक्ति होकर
हमने पाई है आजादी प्राणों की आहुति देकर
नयनों से सपने छुटे, मन के सब आस टूटे
सूलियों पर चढ़कर भी, सुख का आनंद लूटे
सुर्ख़ियों में थे सदा वे
मर कर भी जीते है वे मौत को भी मात देकर
हमने पाई है ————————————–१
रो रहा है प्राण भारत बंट गए दो भाग में
जिस्म थे एक मुल्क छाया, जल रहे दो आग में
नफ़रत का खंडयत्र साधे वे खड़े विभक्त होकर
हमने पाई है —————————————-२
वक्त बदले फिर न जाने क्यों बढ़ी दुस्वारीयां
संस्कृत सौहार्द बदले और बदली रीतियां
चांद, मंगल छू लिए हम वो खड़े बारूद लेकर
हमने पाई है —————————————३
हमने खोये मधुर सपने आंखों इन तारों का
झांसी वाली रानी खोए लौह थी अंगारों का
आजादी हम संग पाये क्यों लड़े कश्मीर लेकर
हमने पाई है ——————————————-४

राकेश चौरसिया

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 133 Views
Books from राकेश चौरसिया
View all

You may also like these posts

डूबते को तिनके का सहारा मिल गया था।
डूबते को तिनके का सहारा मिल गया था।
Ritesh Deo
बेहद मामूली सा
बेहद मामूली सा
हिमांशु Kulshrestha
मैं तुमसे यह नहीं पूछुंगा कि------------------
मैं तुमसे यह नहीं पूछुंगा कि------------------
gurudeenverma198
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
Phool gufran
गुरू नमन
गुरू नमन
Neha
व्यंग्य एक अनुभाव है +रमेशराज
व्यंग्य एक अनुभाव है +रमेशराज
कवि रमेशराज
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
* पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*
* पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*
पूर्वार्थ
"अयोध्या की पावन नगरी"
राकेश चौरसिया
दूबे जी का मंच-संचालन
दूबे जी का मंच-संचालन
Shailendra Aseem
* चान्दनी में मन *
* चान्दनी में मन *
surenderpal vaidya
शुक्र करो
शुक्र करो
shabina. Naaz
"किसान का दर्द"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"सहर होने को" कई और "पहर" बाक़ी हैं ....
Atul "Krishn"
" स्मार्टनेस "
Dr. Kishan tandon kranti
प्यारे बच्चे
प्यारे बच्चे
Pratibha Pandey
कसौटी से गुजारा जा रहा है
कसौटी से गुजारा जा रहा है
अरशद रसूल बदायूंनी
" महखना "
Pushpraj Anant
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
रण गमन
रण गमन
Deepesh Dwivedi
नव रात्रि में शक्तियों का संचार
नव रात्रि में शक्तियों का संचार
Santosh kumar Miri
रामपुर का इतिहास (पुस्तक समीक्षा)
रामपुर का इतिहास (पुस्तक समीक्षा)
Ravi Prakash
■ बदलता दौर, बदलती कहावतें।।
■ बदलता दौर, बदलती कहावतें।।
*प्रणय*
मत्तगयंद सवैया
मत्तगयंद सवैया
जगदीश शर्मा सहज
गोपियों का विरह– प्रेम गीत।
गोपियों का विरह– प्रेम गीत।
Abhishek Soni
तुम्हीं सदगुरु तारणहार
तुम्हीं सदगुरु तारणहार
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
अस्तित्व
अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
58....
58....
sushil yadav
बहुत कुछ बदल गया है
बहुत कुछ बदल गया है
Davina Amar Thakral
प्रकृति का प्रतिशोध
प्रकृति का प्रतिशोध
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...