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6 Mar 2024 · 1 min read

बूँद बूँद याद

बूँद बूँद याद
टपकती रही रात भर
ज़ेहन में जमीं बर्फ़ से
तन – मन गीला हो गया

सीलन सी भर गयी
कमरे में हर तरफ़
साँसें रुक गईं हैं
तेरे बेरुख़ी के गंध से

. . . . . . . अतुल “कृष्ण”

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