सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 83 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Jun 2023 · 1 min read निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए बहती नदियां की तरह बहते रहिए पथ की सुगमता क्या पथ की जटिलता क्या जो भी मिले वरण कीजिए निरन्तरता ही जीवन है चलते... Poetry Writing Challenge · Life Quotes · कविता · कविता/गीतिका · जीवन एक सुंदर सपना · जीवन सार 2 486 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Jun 2023 · 1 min read कैसे अम्बर तक जाओगे कैसे अम्बर तक जाओगे जिसने चुनौतियों का वरण ना कर सहज भाव में जीवन को स्वीकार किया क्या उसने जीवन का आनंद लिया जो खुद को गर ना कर पाये... Poetry Writing Challenge · Ahsaas · Hindi Kavita · Life Quotes · कविता · ग़ज़ल 1 272 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 31 May 2023 · 4 min read चिंतन और अनुप्रिया दिन की शुरुआत में चिन्तन जहां बेहद खुश था वही शाम होते होते एक अजीब सी बैचेनी उसके मन पर हावी हो रही थी हो भी क्यो ना वो पहली... Hindi · कहानी · साहित्य कथा 390 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 May 2023 · 2 min read आहट आज का दिन बहुत ही खुबसूरत निकला था सुरज की पहली किरण के साथ ही पंछीयो की चहचहाहट से जैसे सुबह झुम उठी हो ऐसा आज इसलिए था क्योंकी आज... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · Story · कहानी · लघु कथा · संस्मरण 2 3 134 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read कैसे अम्बर तक जाओगे कैसे अम्बर तक जाओगे जिसने चुनौतियों का वरण ना कर सहज भाव में जीवन को स्वीकार किया क्या उसने जीवन का आनंद लिया जो खुद को गर ना कर पाये... Quote Writer 2 375 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read उठो पथिक थक कर हार ना मानो उम्मीद की किरण बन आया अँधेरा चीर कर सूरज आया पंक्षी फिर चहकने लगे गगन में फिर झरनों ने गीत मधुर गाया ऋतुओं ने खिलाये फूल भंवरों ने गुंजन किया... Poetry Writing Challenge · कविता · जीवन · शौर्य · संस्मरण 4 173 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read किस कदर है व्याकुल किस कदर है व्याकुल धरा और गगन मेल हो जाऐ इनका करो कुछ जतन तुम निहारो तो सही गगन की तरफ कुछ कह रहा है वो गुनगुनाते हुए हवाऐ बनी... Poetry Writing Challenge · कविता · ग़ज़ल · संस्मरण 5 108 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 24 May 2023 · 1 min read सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है क्या कर्ण क्या अर्जुन सब रण में होते है गुरू दॖोण उस दक्षिणा का दण्ड रण में पाते है दॖूपद... Quote Writer 490 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 May 2023 · 1 min read मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ सहज भाव से लेखनी को लेकर अपने हाथ मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ कभी नदियाँ कभी अम्बर कभी पंक्षी कभी समुंदर कभी बारिश कभी बुन्दो पर लिख... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 4 2 530 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 22 May 2023 · 1 min read निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए वहती नदियाँ की तरह बहते रहिए पथ की सुगमता क्या पथ की जटिलता क्या जो भी मिले वरण कीजिए निरन्तरता ही जीवन है चलते... Quote Writer 233 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 19 May 2023 · 1 min read सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता चल पड़े है कदम जहां ले चले रस्ता टिकट कटा कर बैठ गये है अब तो हम गाड़ी में देखा जाएगा... Poetry Writing Challenge · कविता · कोटेशन · मुक्तक · शेर 1 263 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 May 2023 · 1 min read चाहता है जो चाहता है जो वो करता क्यों नहीं जो कर रहा वो भी करता क्यों नहीं करता है जो वो तू करता क्यों नहीं सोचा है कभी जो हो रहा है... Poetry Writing Challenge · Life Quotes · Love Life · कविता · ग़ज़ल · गीत 1 571 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 May 2023 · 1 min read चाहता है जो चाहता है जो वो करता क्यों नहीं जो कर रहा वो भी करता क्यों नहीं करता है जो वो तू करता क्यों नहीं सोचा है कभी जो हो रहा है... Hindi · Life · कविता · संस्मरण 1 390 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 May 2023 · 1 min read कवि की कल्पना जो कवि लिखता है वह भी कल्पना से ही पोषित भाव है जो हो कर भी नहीं ओर जो नहीं हो कर भी होते भाव है जो भी आया कल्पना... Poetry Writing Challenge · कविता · लेख · संस्मरण 229 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read मैं बारिश में तर था शहर में उस रोज बारिश थी और मैं बारिश में तर था रिस गई सारी कड़वाहट हृदय की ओर मैंने उस दिन भूला दिया उस गम को पल को लफ्ज़... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 162 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read कल कल करती बेकल नदियां कल कल करती बेकल नदियां किनारों से मेल ना करती नदियां अपने अल्हड़पन बहती नदियां अपने प्रारंभ और प्रारब्ध को जाने नदियां कल कल करती बेकल नदियां जीवन मंत्र देती... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 352 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी भ्रम की स्थिति में सही राह दिखाते है मेरे बाऊजी कभी गीता कभी रामायण के उदाहरण देते है मेरे बाऊजी... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 155 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read एहसासों से भरे पल हर लम्हे में कई पलो को समेटे बैठा हूं हां मैं अपने बरामदे में चाय लिए बैठा हूं चाय के हर घुट में यादें सजाए बैठा हूं शाम के वक्त... Poetry Writing Challenge · Poem · Poem Of Constitution Of India · गीत · मुक्तक · संस्मरण 2 189 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले तोड़ ये बंधनो के सब जाले शिखर की पुकार सुन ले बस एक बार खुद की भी सुन ले क्यों आखिर तू रूका है... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 245 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read जीवन की गाड़ी ॠतुए सदा एक सी नहीं बदलती रहती है जीवन की गाड़ी भी चलती रहती है नदिया की धारा को देख ये भी तो बदलती रहती है तू चिन्ता नहीं चुनौती... Poetry Writing Challenge · Poem 1 265 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा कोई बना मीरा कोई मुरलीवाला जग की रही ये रीत सदा किसी ने पिये अश्रु वियोगी किसी ने पीया हाला... Poetry Writing Challenge · कविता 272 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read धुनी रमाई है तेरे नाम की धुनी रमाई है तेरे नाम की भूल के दुनियादारी अब आया हू शरण तुम्हारी हे बाबा भोले भण्डारी बडी देर लगी मन भटका गली गली एक नाम तेरा सच्चा झूठी... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 200 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read हिटलर हिटलर जैसी है वो करती अपनी मनमानी है मेरी हर बात में उसको अपनी टांग अडानी है ना सुने मेरी एक बस मुझको ही सुनाती है करती अपनी मनमानी है... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 2 181 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read रण सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है क्या कर्ण क्या अर्जुन सब रण में होते है गुरू दॖोण उस दक्षिणा का दण्ड रण में पाते है दॖूपद... Poetry Writing Challenge · कविता 1 218 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read बनारस बनारस की नगरी में एक शाम गुजारी थी रंगों वाली रात थी वो संग भक्तों की टोली थी जमा रंग जब भक्ति का भोले भोले कर बैठे हम उस रात... Poetry Writing Challenge · Poem 1 314 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read अनादि क्षण क्षण क्षरण हो रहे क्षण में क्षणिक क्षण भर क्षितिज को देखो अनगिनत अनादि अनंत कल्पना खोलो कल्प कल्पित कल्पना के कलरव को जानो जाने से पहले स्वयं को... Poetry Writing Challenge · कविता 1 153 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 4 min read चिंतन और अनुप्रिया दिन की शुरुआत में चिन्तन जहां बेहद खुश था वही शाम होते होते एक अजीब सी बैचेनी उसके मन पर हावी हो रही थी हो भी क्यो ना वो पहली... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · कहानी · साहित्य कथा · हिंदी साहित्य परंपरा 1 450 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read सागर की ओर सफीना ले कर सागर की ओर जा रहा हूं मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं तेज बहुत तेज है सागर की ये हवाऐ हो कर मस्त मलंग... Poetry Writing Challenge · कविता 137 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read हमारी तुम्हारी मुलाकात रास्ते में कहीं जब कभी हमारी तुम्हारी मुलाकात होगी तो याद आएंगे बीते पल बीती बातें बीते ख्वाव कुछ सौगातें कुछ वादे कुछ यादें जो गुजारे थे कभी साथ फिर... Poetry Writing Challenge · Poem 154 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read मन हो हृदय पुलकित मन तुम कुछ ऐसा करना खिले किसी के मुख पर मुस्कान मन तुम कुछ ऐसा करना शूलो से सुज्जित राह हो जो किसी की सुमन की तुम... Poetry Writing Challenge · अतुकान्त कविता 249 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read नीर धरा का नीर है इसे अमृत जानो समस्या गम्भीर है इसे पहचानों नदी कुओं से नल तक आ गये धरा की हुई क्षति ये मानो विपदा भारी ना हो जाए... Poetry Writing Challenge · कविता · गीत · लेख · संस्मरण 202 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read जल जल जल जीवन जीवन की धारा है इस धारा को घर घर पहुंचाना है लक्ष्य हम ने बस यही ठाना है हर घर जल पहुंचाना है गांव गांव ओर शहर... Poetry Writing Challenge · कविता · ग़ज़ल · गीत · संस्मरण 178 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 29 Aug 2018 · 1 min read होता क्या है होता क्या है कुछ भी नहीं जो होता है कुछ है ही नहीं है ही नहीं जब कुछ भी तो फिर क्यों सोचे दिल कुछ होता ही सही कुछ बात... Hindi · मुक्तक 1 2 189 Share Previous Page 2