Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2023 · 2 min read

आहट

आज का दिन बहुत ही खुबसूरत निकला था सुरज की पहली किरण के साथ ही पंछीयो की चहचहाहट से जैसे सुबह झुम उठी हो ऐसा आज इसलिए था क्योंकी आज सुबह की पहली बस से चिन्तन अपने गांव जा रहा है पूरे दस साल बाद अपने परिवार से मिलने कई सालो से वह काम के चलते अपने परिवार से दूर शहर में रह रहा था दस साल बाद वह अपने घर अपने परिवार अपने दोस्तो से मिलने जा रहा था सुबह की पहली बस का इन्तजार चिन्तन ऐसे कर रहा था जैसे चकोर बारिश की बून्दो का करते है आखिरकार चिन्तन का इन्तजार खत्म हुआ 9.15 की बस बस अड्डे पर आई कनडेकटर भैया से चिन्तन ने खिड़की की एक टिकट ली ओर अपनी सीट पर बैठ गया घर जाने की खूशी उसके चहरे पर दिखाई दे रही थी खिड़की के पास बैठे चिन्तन को खिडकी से आती हवा अपने पुराने दिनो अपने खेत अपने दोस्तो की ओर ले गई कैसे वह अपने दोस्तो के साथ सुबह -सुबह “गौरी शंकर सीता राम पार्वती शिव सीता राम” की धुन के साथ पूरे गांव में पॖभातफेरी निकाला करते थे ओर फिर दिन में अपने जानवरो को जंगल तरफ घुमाने ले जाते फिर वही दडे की बोर ओर खट्टी-मीठी रैनी खाते खेलते प्यास लगने पर नाले का पानी पीते ओर शाम को वापस सभी अपने जानवरो जंगल से घर की ओर लाते शाम को गांव के सार्वजनिक मंदिर पर जोर जोर से आरती करते रात को खाना खाने के बाद सिलसिला घर में चालू होता था पिताजी ओर काका के जमाने की चर्चा का दौर रात 8-9बजे तक पूरा परिवार दोनो की बातो का आनंद लेते किस्से ऐसे के हंस के पेट दुखने लग जाता दस साल बाद अपनी पुरानी यादो को चिन्तन खिड़की के पास बैठे सोच रहा था अभी गांव को आने मे पूरे 4 घंटे थे बस जिनती तेजी से चलती चिन्तन के चहरे की खुशी ओर बढ़ती जाती ….. कॖमश

सुशील मिश्रा( क्षितिज राज)

2 Likes · 3 Comments · 266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
View all

You may also like these posts

वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
त्रिभाषा सूत्र लागू करने वाला पहला राज्य बना हरियाणा
त्रिभाषा सूत्र लागू करने वाला पहला राज्य बना हरियाणा
सुशील कुमार 'नवीन'
जरूरी तो नही
जरूरी तो नही
Ruchi Sharma
सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
पूर्वार्थ
जीवन है परिवर्तनशील
जीवन है परिवर्तनशील
महेश चन्द्र त्रिपाठी
4655.*पूर्णिका*
4655.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
..
..
*प्रणय प्रभात*
कहानी : वह गांव की पढ़ी लिखी लड़की
कहानी : वह गांव की पढ़ी लिखी लड़की
Ravi Prakash
मैं मज़दूर हूँ
मैं मज़दूर हूँ
कुमार अविनाश 'केसर'
अपना अपना सूरज
अपना अपना सूरज
Karuna Bhalla
कोई तंकीद कर नहीं पाते
कोई तंकीद कर नहीं पाते
Dr fauzia Naseem shad
कोरोना
कोरोना
विशाल शुक्ल
सुंदर छंद विधान सउदाहरण
सुंदर छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
परछाई
परछाई
Dr Archana Gupta
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
Manoj Mahato
चोट दिल  पर ही खाई है
चोट दिल पर ही खाई है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया
कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया
Kanchan Gupta
दिल की हालत
दिल की हालत
करन ''केसरा''
तकिया सकल बखान
तकिया सकल बखान
RAMESH SHARMA
लहरों सी होती हैं मुश्किलें यारो,
लहरों सी होती हैं मुश्किलें यारो,
Sunil Maheshwari
: बूँद की यात्रा
: बूँद की यात्रा
मधुसूदन गौतम
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
Akash Yadav
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
VINOD CHAUHAN
सोना मना है
सोना मना है
Shekhar Chandra Mitra
*वो पगली*
*वो पगली*
Acharya Shilak Ram
कभी हसरतें थी कि, तेरे शहर में मेरा मकां होगा
कभी हसरतें थी कि, तेरे शहर में मेरा मकां होगा
Manisha Manjari
दुपट्टा
दुपट्टा
Sudhir srivastava
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
अश्विनी (विप्र)
Loading...