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15 May 2023 · 1 min read

हिटलर

हिटलर जैसी है वो
करती अपनी मनमानी है
मेरी हर बात में
उसको अपनी टांग अडानी है
ना सुने मेरी एक
बस मुझको ही सुनाती है
करती अपनी मनमानी है
मुझ से खफा भी होती है
ओर मुझ पर ही रोब जमाती है
हिटलर जैसी है वो
करती अपनी मनमानी है
नादान भी है परेशान भी है
बात बात पर हैरान भी है
गजब है वो अजब है वो
क्या कहू बस इतना ही कहना है
मेरी बातों में उस हिटलर का जिक्र रहना है
उस के इस प्यारे खौफ के साये में
मुझको ता उम्र रहना है
मुझको ता उम्र रहना है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

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