विनती
विनती है बस इतनी प्रभु
संतोष दे दो दान में
उम्मीदों की डोर ना जुड़े
कहीं भी किसी इंसान से
ना मसीहे की आस
ना रहनुमा की तलाश
बस आभार जीवन देने का
हो कितनी भी कठिनाई जहान में
चित्रा बिष्ट
विनती है बस इतनी प्रभु
संतोष दे दो दान में
उम्मीदों की डोर ना जुड़े
कहीं भी किसी इंसान से
ना मसीहे की आस
ना रहनुमा की तलाश
बस आभार जीवन देने का
हो कितनी भी कठिनाई जहान में
चित्रा बिष्ट